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मौत के गम में भी सिस्टम का सितम, बारिश में तिरपाल-छाते से ढककर हो रहा अंतिम संस्कार

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Published : Aug 10, 2019, 10:04 PM IST

गरियाबंद के ग्रामीण इन दिनों सिस्टम के मार से परेशान हैं, मुक्तिधाम की राशि स्वीकृत होने के बाद भी प्रशासन ने गांव में मुक्तिधाम नहीं बनाया, जिससे ग्रामीण खुले आसमान के नीचे मूसलाधार बारिश में अंतिम संस्कार करते नजर आ रहे हैं.

तिरपाल से ढंक कर रहे अंतिम संस्कार

गरियाबंदः सावन की मूसलाधार बारिश में खुले आसमान के नीचे हाथों में छतरी लिए तिरपाल से ढककर ये लोग अपने किसी प्रिय का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. आप को ये जान कर और भी हैरानी होगी कि ये तस्वीर मॉडल गांव की है.

तिरपाल से ढंककर अंतिम संस्कार

ये दृष्य राजिम विधानसभा क्षेत्र के विकासखण्ड फिंगेश्वर के मॉडल ग्राम पंचायत जेंजरा के आश्रित ग्राम मुड़तराई का है. मॉडल ग्राम पंचायत के तहत होने के बावजूद इस गांव में मुक्तिधान नहीं है. मुड़तराई के लोगों को बारिश के दिनों में चिता को तिरपाल से ढंककर, हाथों में छतरी लिए खुले आसमान के नीचे दाह संस्कार करना पड़ता है.

तिरपाल से ढंककर अंतिम संस्कार

गांव में रहने वाले मोहन जोशी का निधन हो गया. जोरदार बारिश के बीच उनके परिजनों को तिरपाल से ढक कर उनका अंतिम संस्कार करना पड़ा. लंबे समय से मांग के बाद मुक्तिधाम निर्माण के लिए स्वीकृति तो मिली, काम शुरू भी हुआ लेकिन अब तक पूरा नहीं हो पाया.

निर्माण सामग्री पहुंचाने में हो रही दिक्कत

गांव की सरपंच निलेश्वरी साहू का कहना है कि निर्माण जारी है. निर्माण सामग्री पहुंचाने में बहुत सी समस्याएं आई, इसलिए देर हो रही है. वहीं जमीन को लेकर भी कुछ समस्याएं आ रही थी जो अब सुलझा ली गई है. लेकिन इसका निर्माण पूरा होने में अब भी समय लगेगा.

पढ़ें : छत्तीसगढ़ के 'सुदर्शन' ने अपने अंदाज में दी सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि

बरसात के बाद होगा निर्माण

जनपद सीईओ चंद्रशेखर शर्मा को इस बात की जानकारी तक नहीं थी कि गांव में ऐसे हालात हैं. ETV भारत ने उन्हें इसकी सूचना दी. हमारी जानकारी के बाद हरकत में आए सीईओ ने कहा कि निर्माण सामग्री पहुंचाने में दिक्कत है, बरसात के बाद ही निर्माण हो पाएगा. लिहाजा इस दौरान किसी की मौत होने पर उसके शव का अंतिम संस्कार ऐसे ही होगा जैसे मोहन जोशी का हुआ.

सिस्टम की सितम से जूझ रहे

ये हालात बेहद शर्मनाक हैं और इस बात की ओर इशारा करते हैं कि सरकारें भले ही बड़ी-बड़ी योजनाओं का ऐलान करती रहें, जमीन पर नजीता सिफर ही है. जिस परिवार में किसी की मौत हुई है उन्हें गम में भी इस सिस्टम की सितम से जूझना पड़ रहा है.

गरियाबंदः सावन की मूसलाधार बारिश में खुले आसमान के नीचे हाथों में छतरी लिए तिरपाल से ढककर ये लोग अपने किसी प्रिय का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. आप को ये जान कर और भी हैरानी होगी कि ये तस्वीर मॉडल गांव की है.

तिरपाल से ढंककर अंतिम संस्कार

ये दृष्य राजिम विधानसभा क्षेत्र के विकासखण्ड फिंगेश्वर के मॉडल ग्राम पंचायत जेंजरा के आश्रित ग्राम मुड़तराई का है. मॉडल ग्राम पंचायत के तहत होने के बावजूद इस गांव में मुक्तिधान नहीं है. मुड़तराई के लोगों को बारिश के दिनों में चिता को तिरपाल से ढंककर, हाथों में छतरी लिए खुले आसमान के नीचे दाह संस्कार करना पड़ता है.

तिरपाल से ढंककर अंतिम संस्कार

गांव में रहने वाले मोहन जोशी का निधन हो गया. जोरदार बारिश के बीच उनके परिजनों को तिरपाल से ढक कर उनका अंतिम संस्कार करना पड़ा. लंबे समय से मांग के बाद मुक्तिधाम निर्माण के लिए स्वीकृति तो मिली, काम शुरू भी हुआ लेकिन अब तक पूरा नहीं हो पाया.

निर्माण सामग्री पहुंचाने में हो रही दिक्कत

गांव की सरपंच निलेश्वरी साहू का कहना है कि निर्माण जारी है. निर्माण सामग्री पहुंचाने में बहुत सी समस्याएं आई, इसलिए देर हो रही है. वहीं जमीन को लेकर भी कुछ समस्याएं आ रही थी जो अब सुलझा ली गई है. लेकिन इसका निर्माण पूरा होने में अब भी समय लगेगा.

पढ़ें : छत्तीसगढ़ के 'सुदर्शन' ने अपने अंदाज में दी सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि

बरसात के बाद होगा निर्माण

जनपद सीईओ चंद्रशेखर शर्मा को इस बात की जानकारी तक नहीं थी कि गांव में ऐसे हालात हैं. ETV भारत ने उन्हें इसकी सूचना दी. हमारी जानकारी के बाद हरकत में आए सीईओ ने कहा कि निर्माण सामग्री पहुंचाने में दिक्कत है, बरसात के बाद ही निर्माण हो पाएगा. लिहाजा इस दौरान किसी की मौत होने पर उसके शव का अंतिम संस्कार ऐसे ही होगा जैसे मोहन जोशी का हुआ.

सिस्टम की सितम से जूझ रहे

ये हालात बेहद शर्मनाक हैं और इस बात की ओर इशारा करते हैं कि सरकारें भले ही बड़ी-बड़ी योजनाओं का ऐलान करती रहें, जमीन पर नजीता सिफर ही है. जिस परिवार में किसी की मौत हुई है उन्हें गम में भी इस सिस्टम की सितम से जूझना पड़ रहा है.

Intro:
पैकेज लायक स्टोरी है----
शर्मनाक : जन्म से मृत्यु तक योजनायें फिर भी तिरपाल ढंककर दाह संस्कार की मजबूरी*

शर्मनाक स्थिति होने की बात जनपद सीईओ ने स्वीकारी

1 साल पहले भी आज ही के दिन ठीक कि इसी गांव में हुई थी ऐसी ही घटना फिर भी प्रशासन नहीं सुधार पाया स्थिति

गरियाबंदः--इसे शर्मनाक नहीं तो और क्या कहेंगे 1 साल में भी फिंगेश्वर जनपद का प्रशासन स्थिति नहीं बदल पाया ठीक 1 साल पहले आज ही के दिन एक और लाश को अंतिम संस्कार के लिए ऐसी ही बुरी तरह परेशानी झेलनी पड़ी थी एक हाथ से छाता और दूसरे हाथ से त्रिपाल  पकड़ कर  लास  जलाने का प्रयास कर रहे यह लोग अपनी किस्मत पर आंसू बहा रहे हैं ठीक 1 साल पहले भी ऐसा ही हुआ था उस समय भी मृतक के परिजन अंतिम संस्कार के लिए काफी परेशान हुए थे ठीक वही दिन और ठीक उसी गांव में उसी स्थान पर आज फिर शर्मनाक स्थिति बनी एक लास को जलाने के लिए आज फिर त्रिपाल ढकना पड़ा ताकि जलती चिता बुझ न जाए चिता जलाने में भी काफी परेशानी आई। सबसे शर्मनाक बात यह रही कि अंततः लास्ट पूरी तरह नहीं जल पाई

Body:मामला फिंगेश्वर विकासखंड के मुड़तराई गांव का है यहां के जोशी परिवार के वरिष्ठ स्व. मोहन जोशी का निधन हो गया लाश जलाने काफी परेशानी उठानी पड़ी क्योंकि गांव का मुक्तिधाम निर्माणाधीन है

सावन की मूसलाधार बारिश में खुले आसमान के नीचे हाथों में छतरी लिए तिरपाल ढंककर दाह संस्कार क्रिया करते दिख रहे ये लोग किसी अति पिछड़े या अनुसूचित क्षेत्र के नहीं है वरन राजिम विधानसभा क्षेत्र के विकासखण्ड फिंगेश्वर के मॉडल ग्राम पंचायत जेन्जरा के आश्रित ग्राम मुड़तराई का है।आजादी के सात दशक बाद भी ग्राम मुड़तराई का मुकद्दर नहीं बदल सका है, विकास की दौड़ में पिछड़े इस ग्राम के पंचायत प्रतिनिधियों की निष्क्रियता का प्रमाण यह है कि गांव के लोगों को न जीवित रहते कोई खास बड़ी सुविधा है न ही मरणोपरांत.... आजादी के इतने साल बाद मुक्तिधाम बनना शुरू तो हुआ मगर अब तक पूरा नहीं हो पाया हालांकि निर्माण जारी है मगर फिर भी ऐसी स्थिति कतई उचित नहीं कहा जा सकता की लाश का अंतिम संस्कार करने त्रिपाल ढकना पड़े...

एक ओर तो सरकार विकास का दम भरती है परंतु दूसरी ओर मॉडल ग्राम पंचायत की यह तस्वीर उनके विकास के दावों की पोल खोलती दिखती है... उनके दावों पर किसी तमाचे से कम नहीं है.... साथ ही मॉडल ग्राम  की धुंधली तस्वीर को बयाँ करती है।गौरतलब है कि शासन एक ओर जन्म से मृत्यु तक की विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है लेकिन मरने के बाद बहुत से लोगों को सम्मान से अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हो पाता है क्योंकि कई गांव में मुक्तिधाम भी नसीब नहीं हो पाया। मुक्तिधाम का निर्माण पूरा नहीं हो पाने के कारण ग्राम मुड़तराई वासियों को सावन की मूसलाधार बारिश में भी तिरपाल ढंककर और हांथो में छतरी लिए खुले आसमान के नीचे दाह संस्कार करने को मजबूर होना पड़ा। ग्राम के श्री जोशी देहांत हुआ तो उनके परिजन खुले आसमान के नीचे ही दाह संस्कार करने को विवश हुए।इस समस्या के निराकरण हेतु कई बार मांग करते करते थक जाने के बाद बड़ी मुश्किल से कार्य स्वीकृत हुआ और निर्माण प्रारंभ हुआ मगर अब तक जारी है

ग्राम के वरिष्ठ नागरिक  स्व. जोशी के बड़े पुत्र राजेन्द्र जोशी, शिक्षक नंद कुमार जोशी, मिथुन जोशी एवं गांव के गणमान्य नागरिक तोरण ध्रुव, हुलास साहू, घनश्याम विश्वकर्मा, नकुल साहू, गणेश साहू, हरिकांत साहू, बीजू वर्मा, बुलखि जोशी, संतु साहू, रामेशर ध्रुव, महेंद्र जोशी, बीजू सतनामी, ध्रुव सहित मृतक के परिजनों ने शीघ्र ही मुक्तिधाम निर्माण जल्द पूरा कराने की मांग की। उनकी बातों में आक्रोश साफ नजर आ रहा है ग्राम पंचायत के खिलाफ आक्रोष प्रशासन के खिलाफ आक्रोष सरकार के खिलाफ आक्रोश

मामले को लेकर गांव की सरपंच निलेश्वरी साहू का कहना है कि निर्माण जारी है निर्माण सामग्री पहुंचाने में बहुत सी समस्याएं आई इसलिए कुछ देर हुआ वहीं जमीन को लेकर भी कुछ समस्याएं आ रही थी जो अब ठीक हो गई मगर निर्माण पूरा होने में अभी समय लगेगा



वहीं मामले को लेकर जनपद सीईओ चंद्रशेखर शर्मा ने फोन पर कहा कि आपने बताया तभी मुझे ऐसी जानकारी मिली की लाश का अंतिम संस्कार करने त्रिपाल ढकना पड़ रहा है हां यह सही है कि यह शर्मनाक है पिछले साल भी ऐसी स्थिति अगर बनी थी तो अब तक सुधर जानी चाहिए थी नहीं सुधारा गया यह गलती है मैं इसे जल्द ही देखता हूं कि क्या हो सकता है  इसके बाद उन्होंने मामले की जानकारी लेकर पुनः फोन कर बताया कि निर्माण सामग्री पहुंचाने में दिक्कत है बरसात के बाद ही निर्माण हो पाएगा यह पूछने पर कि क्या फिर से बरसात में किसी का निधन होने पर ऐसी शर्मनाक स्थिति पुनः बनेगी तो उन्होंने कहा कि यह गलत जरूर है मगर फिलहाल ऐसा फिर से हो सकता है


Conclusion:प्रदेश सरकार जन्म से लेकर मृत्यु तक दर्जनों योजनाएं चलाने की बातें तो जरूर करती है लेकिन धरातल पर योजनाएं सही ढंग से पहुंच जाएं इसकी देखरेख के लिए नियुक्त अधिकारी उन योजनाओं को पलीता लगाते नजर आ रहे हैं छोटे-छोटे बहाने बता कर लोगों को सुविधाएं उपलब्ध होने में सालों साल बीत जा रहा है किसी की मौत के बाद अगर उसे सम्मान से अंतिम क्रिया तक ना मिल पाए तो इससे शर्मनाक और क्या होगा

बाइट---राजेन्द्र जोशी--- मृतक का बेटा

Byte--हुलास साहू,

घनश्याम विश्वकर्मा,

नकुल साहू,


बाइट--- नीलेश्वर साहू सरपंच ग्राम पंचायत चेंजर
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