गरियाबंद : गरियाबंद के मैनपुर विकासखंड में किसानों को पानी उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने 35 साल पहले सलप जलाशय बनाने का फैसला लिया था. जलाशय का काम भी शुरू हुआ, लेकिन कुछ काम होने के बाद ठप हो गया. सरकार की ये योजना फाइलों में ही सिमटकर रह गई है. कई बार ग्रामीणों ने काम शुरू कराने की मांग की, लेकिन अपनी जिम्मेदारियों से भागते अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है.
पल्ला झाडने में लगे अधिकारी
जलाशय का निर्माण नहीं होने से कई गांव के किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों की मांग है कि जलाशय का काम जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि इसका पानी उनके खेतों तक पहुंच सके. जलाशय का निर्माण जल संसाधन विभाग कर रहा है. जिस जमीन पर जलाशय का निर्माण होना है, उसका कुछ हिस्सा उदंती अभयारण्य में और कुछ हिस्सा वन विभाग क्षेत्र में शामिल है. उदंती और वन विभाग की सहमति के बगैर जल संसाधन विभाग वहां काम नहीं कर सकता, इसलिए तीनों विभाग एक दूसरे पर सहयोग नहीं करने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने में लगे हैं.
वहीं इस मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है. जलाशय निर्माण में देरी के लिए कांग्रेस ने भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
जिम्मेदार नहीं ले रहे जिम्मेदारी
जिम्मेदारियों से बचना और दूसरों पर आरोप लगाना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल है खुद की जिम्मेदारी समझना और जवाबदारी लेना, लेकिन इस जलाशय मामले में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है. न तो अधिकारी अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभा रहे हैं और न ही जनप्रतिनिधि अपनी जवाबदारी सही ढंग से निभा रहे हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि किसानों के हितषी होने का दावा करने वाली सरकारें इस महती परियोजना को कब तक अमलीजामा पहनाती हैं.