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अधूरा पड़ा सलप जलाशय का निर्माण, सिंचाई को तरस रहा मैनपुर क्षेत्र - gariyaband news update

35 साल बाद भी यदि कोई परियोजना फाइलों में ही सिमटकर रह जाए, तो जिम्मेदारों की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी है. ऐसा ही हाल एक परियोजना में देखने को मिला है.

incomplete reservoir work in gariyaband
मैनपुर में जलाशय का काम अधूरा
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Published : Jan 22, 2020, 8:02 PM IST

गरियाबंद : गरियाबंद के मैनपुर विकासखंड में किसानों को पानी उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने 35 साल पहले सलप जलाशय बनाने का फैसला लिया था. जलाशय का काम भी शुरू हुआ, लेकिन कुछ काम होने के बाद ठप हो गया. सरकार की ये योजना फाइलों में ही सिमटकर रह गई है. कई बार ग्रामीणों ने काम शुरू कराने की मांग की, लेकिन अपनी जिम्मेदारियों से भागते अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है.

अधूरा पड़ा सलप जलाशय का निर्माण

पल्ला झाडने में लगे अधिकारी
जलाशय का निर्माण नहीं होने से कई गांव के किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों की मांग है कि जलाशय का काम जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि इसका पानी उनके खेतों तक पहुंच सके. जलाशय का निर्माण जल संसाधन विभाग कर रहा है. जिस जमीन पर जलाशय का निर्माण होना है, उसका कुछ हिस्सा उदंती अभयारण्य में और कुछ हिस्सा वन विभाग क्षेत्र में शामिल है. उदंती और वन विभाग की सहमति के बगैर जल संसाधन विभाग वहां काम नहीं कर सकता, इसलिए तीनों विभाग एक दूसरे पर सहयोग नहीं करने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने में लगे हैं.

वहीं इस मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है. जलाशय निर्माण में देरी के लिए कांग्रेस ने भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.

जिम्मेदार नहीं ले रहे जिम्मेदारी

जिम्मेदारियों से बचना और दूसरों पर आरोप लगाना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल है खुद की जिम्मेदारी समझना और जवाबदारी लेना, लेकिन इस जलाशय मामले में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है. न तो अधिकारी अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभा रहे हैं और न ही जनप्रतिनिधि अपनी जवाबदारी सही ढंग से निभा रहे हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि किसानों के हितषी होने का दावा करने वाली सरकारें इस महती परियोजना को कब तक अमलीजामा पहनाती हैं.

गरियाबंद : गरियाबंद के मैनपुर विकासखंड में किसानों को पानी उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने 35 साल पहले सलप जलाशय बनाने का फैसला लिया था. जलाशय का काम भी शुरू हुआ, लेकिन कुछ काम होने के बाद ठप हो गया. सरकार की ये योजना फाइलों में ही सिमटकर रह गई है. कई बार ग्रामीणों ने काम शुरू कराने की मांग की, लेकिन अपनी जिम्मेदारियों से भागते अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है.

अधूरा पड़ा सलप जलाशय का निर्माण

पल्ला झाडने में लगे अधिकारी
जलाशय का निर्माण नहीं होने से कई गांव के किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों की मांग है कि जलाशय का काम जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि इसका पानी उनके खेतों तक पहुंच सके. जलाशय का निर्माण जल संसाधन विभाग कर रहा है. जिस जमीन पर जलाशय का निर्माण होना है, उसका कुछ हिस्सा उदंती अभयारण्य में और कुछ हिस्सा वन विभाग क्षेत्र में शामिल है. उदंती और वन विभाग की सहमति के बगैर जल संसाधन विभाग वहां काम नहीं कर सकता, इसलिए तीनों विभाग एक दूसरे पर सहयोग नहीं करने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने में लगे हैं.

वहीं इस मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है. जलाशय निर्माण में देरी के लिए कांग्रेस ने भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.

जिम्मेदार नहीं ले रहे जिम्मेदारी

जिम्मेदारियों से बचना और दूसरों पर आरोप लगाना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल है खुद की जिम्मेदारी समझना और जवाबदारी लेना, लेकिन इस जलाशय मामले में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है. न तो अधिकारी अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभा रहे हैं और न ही जनप्रतिनिधि अपनी जवाबदारी सही ढंग से निभा रहे हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि किसानों के हितषी होने का दावा करने वाली सरकारें इस महती परियोजना को कब तक अमलीजामा पहनाती हैं.

Intro:स्लग---कार्यशैली पर सवाल
एंकर----35 साल बाद भी यदि कोई परियोजना फाईलों में ही सिमट कर रह जाये तो जिम्मेदारों की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमि है, ऐसा ही हाल एक परियोजना का इन दिनों गरियाबंद में देखने को मिल रहा है।
Body:वीओ 1----गरियाबंद के मैनपुर विकासखंड में किसानो को पानी उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने 35 साल पहले सलप जलाशय बनाने का फैसला लिया था, जलाशय का काम भी शुरु हुआ मगर कुछ काम होने के बाद ठप हो गया, उसके बाद से आसपास के ग्रामीण काम शुरु करने की लगातार मांग करते आ रहे है मगर जिम्मेदारों पर इसका कोई असर नही हुआ, जलाशय का निर्माण नही होने से एक दर्जन गॉव के किसानों को नुकसान उठाना पड रहा है, किसानों की मांग है कि जलाशय का काम जल्द से जल्द पुरा किया जाये ताकि जलाशय का पानी उनके खेतों तक पहुंच सके।
बाइट 1----भुनेश्वर, किसान...............
वीओ 2----जलाशय निर्माण का काम जलसंसाधन विभाग को करना है, मगर जिस जमीन पर जलाशय का निर्माण होना है उसका कुछ हिस्सा उदंती अभयारण्य में और कुछ हिस्सा वन विभाग क्षेत्र में शामिल है, उदंती और वन विभाग की सहमति के बगैर जल संसाधन विभाग वहॉ काम नही कर सकता, इसलिए तीनों विभाग एक दुसरे पर सहयोग नही करने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाडने में लगे है, वही मामले को लेकर राजनीति भी शुरु हो गयी है, जलाशय निर्माण में देरी के लिए कांग्रेस ने भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
बाइट 2----बीआर चंद्राकर, एसडीओ, जल संसाधन विभाग............
बाइट 3---नीरज ठाकुर, कांग्रेस नेता...................
Conclusion:फाईनल वीओ-------जिम्मेदारियों से बचना और दुसरों पर आरोप लगाना जितना आसान है उतना ही मुश्किल है खुद की जिम्मेदारी समझना और जवाबदारी लेना, मगर सलप जलाशय मामले में ऐसा कुछ भी देखने को नही मिल रहा है, ना तो अधिकारी अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभाते नजर आ रहे है और ना ही जनप्रतिनिधि अपनी जवाबदारी सही ढंग से निभा रहे है, ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि किसानों के हितषी होने का दावा करने वाली सरकारें इस महती परियोजना को कब तक अमली जामा पहनाती है।
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