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पाबंदी के बावजूद पैरा में आग लगा रहे किसान, पर्यावरण को हो रहा नुकसान

पांडुका के आसपास के सैकड़ों एकड़ खेत में धान की कटाई की गई है. प्रशासन की मनाही के बावजूद किसान खेतों में फसलों के बचे हुए अवशेषों (पैरावट) को जला रहे हैं.

पैरा में आग लगा रहे किसान
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Published : Jun 4, 2019, 5:09 PM IST

Updated : Jun 4, 2019, 6:21 PM IST

गरियाबंद : प्रशासन की मनाही के बावजूद किसान खेतों में फसलों के बचे हुए अवशेषों (पैरावट) को जला रहे हैं. पांडुका के कई किसानों ने खेतों में आग लगाई है, जिसे कई किलोमीटर दूर से ही देखा जा सकता है. खेतों में लगाई जा रही इस आग की वजह से पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंच रहा है.

पैरा में आग लगा रहे किसान

दरअसल, जिले के पांडुका के आसपास के सैकड़ों एकड़ खेत में धान की कटाई की गई है. धान कटने के बाद पैरा को खेतों में ही छोड़ दिया जाता है. वहीं कुछ समय बीतने के बाद पैरा में आग लगा दी गई है. खेतों में लगाई गई आग की लपटें कई किलोमीटर दूर से साफ नजर आ रही थी.

बता दें कि पैरा का इस्तेमाल पशुओं के चारे के लिए भी किया जाता है, लेकिन लगातार पशुओं की घटती संख्या की वजह से इसे चारे के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. इसी कारण किसान अब पैरा को सुरक्षित रखने के बजाए आग के हवाले कर रहे हैं.

दरअसल, फसल कटाई के बाद उसके बचे हुए अवशेषों को किसान जला देते हैं. किसानों का मानना है कि खेत में आग लगने से जमीन की उवर्क शक्ति बढ़ती है और नई फसल बेहतर होती है, जबकि पैरा को आग लगाने से पर्यावरण को खासा नुकसान होता है.

गरियाबंद : प्रशासन की मनाही के बावजूद किसान खेतों में फसलों के बचे हुए अवशेषों (पैरावट) को जला रहे हैं. पांडुका के कई किसानों ने खेतों में आग लगाई है, जिसे कई किलोमीटर दूर से ही देखा जा सकता है. खेतों में लगाई जा रही इस आग की वजह से पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंच रहा है.

पैरा में आग लगा रहे किसान

दरअसल, जिले के पांडुका के आसपास के सैकड़ों एकड़ खेत में धान की कटाई की गई है. धान कटने के बाद पैरा को खेतों में ही छोड़ दिया जाता है. वहीं कुछ समय बीतने के बाद पैरा में आग लगा दी गई है. खेतों में लगाई गई आग की लपटें कई किलोमीटर दूर से साफ नजर आ रही थी.

बता दें कि पैरा का इस्तेमाल पशुओं के चारे के लिए भी किया जाता है, लेकिन लगातार पशुओं की घटती संख्या की वजह से इसे चारे के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. इसी कारण किसान अब पैरा को सुरक्षित रखने के बजाए आग के हवाले कर रहे हैं.

दरअसल, फसल कटाई के बाद उसके बचे हुए अवशेषों को किसान जला देते हैं. किसानों का मानना है कि खेत में आग लगने से जमीन की उवर्क शक्ति बढ़ती है और नई फसल बेहतर होती है, जबकि पैरा को आग लगाने से पर्यावरण को खासा नुकसान होता है.

Intro:एंकर....प्रशासन की लाख मनाही के बावजूद गरियाबंद जिले में अन्नदाता इन दिनों अपने खेतों को आग लगा रहे हैं...ऐसी भयंकर आग की देखकर किसी का भी दिल सिहर उठे.... दरअसल ज्यादातर खेतों में धान की फसल को हार्वेस्टर से कटवा लिया गया है और पैरा खेत में ही पड़ा हुआ है.... मवेशियों की संख्या अब इतनी कम हो चुकी है कि बचा हुआ पैरा उनके लिए ले जाने की जरूरत नहीं पड़ रही.... वहीं किसान परंपरागत रूप से भी यह मानते हैं कि बचे हुए धान के पैरे को आग लगाने से उसकी राख अगली फसल के लिए खाद बन जाती है और अगली फसल अच्छी आती है....बस इसी फेरे में किसानों को ना पर्यावरण की चिंता होती है ना सरकार की मनाही की...... बीती रात गरियाबंद जिले के पांडुका के आसपास के सैकड़ों एकड़ खेत भयंकर रूप से जल रहे थे आग ऐसी थी कि कई किलोमीटर दूर से लपटें साफ नजर आ रही थी एक साथ काफी चौड़ाई में लगाई गई या आग काफी तेज गति से बढ़ती जा रही थी और एक खेत से दूसरे खेत में पहुंचती भी जा रही थी....आग की ऐसी भयावहता देखकर राहगीर भी सिहर उठे....दरअसल पैरा ज्यादा होने पर आग की लपटें कई फीट ऊपर तक उठती नजर आ रही थी इन सबके बीच बड़ा सवाल ये की आखिर क्यों मनाही के बावजूद किसानों को ऐसा करने से रोका नहीं जा पा रहा है.....वैसे खेतों में रहने वाले कई छोटे छोटे जीव जंतु इस आग के चलते हर साल मरते हैं जिसे रोकने की आवश्यकता है पिछले कुछ सालों में देखें तो आग लगाने की यह प्रवृत्ति कम होने की बजाय उल्टे बढ़ती ही जा रही है इस पर अब सख्त कदम उठाने की जरूरत अब महसूस की जा रही है ....Body:नोConclusion:नो
Last Updated : Jun 4, 2019, 6:21 PM IST
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