गरियाबंद : प्रशासन की मनाही के बावजूद किसान खेतों में फसलों के बचे हुए अवशेषों (पैरावट) को जला रहे हैं. पांडुका के कई किसानों ने खेतों में आग लगाई है, जिसे कई किलोमीटर दूर से ही देखा जा सकता है. खेतों में लगाई जा रही इस आग की वजह से पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंच रहा है.
दरअसल, जिले के पांडुका के आसपास के सैकड़ों एकड़ खेत में धान की कटाई की गई है. धान कटने के बाद पैरा को खेतों में ही छोड़ दिया जाता है. वहीं कुछ समय बीतने के बाद पैरा में आग लगा दी गई है. खेतों में लगाई गई आग की लपटें कई किलोमीटर दूर से साफ नजर आ रही थी.
बता दें कि पैरा का इस्तेमाल पशुओं के चारे के लिए भी किया जाता है, लेकिन लगातार पशुओं की घटती संख्या की वजह से इसे चारे के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. इसी कारण किसान अब पैरा को सुरक्षित रखने के बजाए आग के हवाले कर रहे हैं.
दरअसल, फसल कटाई के बाद उसके बचे हुए अवशेषों को किसान जला देते हैं. किसानों का मानना है कि खेत में आग लगने से जमीन की उवर्क शक्ति बढ़ती है और नई फसल बेहतर होती है, जबकि पैरा को आग लगाने से पर्यावरण को खासा नुकसान होता है.