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हर साल सैकड़ों जानें ले लेती है ये 'खूनी सड़क', फिर भी नहीं जागे जिम्मेदार

गरियाबंद की सुंदर वादियों से गुजर रही जतमई मंदिर रोड जितनी सुंदर है. लोग बताते हैं ये उतनी ही खतनाक भी है. यहां के बारे में एक प्रसिद्ध कहावत बन गई 'चूका ध्यान तो गई जान'. इस सड़क पर 3 किलोमीटर में 5 बेहद ही खतनाक मोड़ हैं.

खूनी सड़क
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Published : May 21, 2019, 2:53 PM IST

गरियाबंद: एक आंकड़े के मुताबिक बीते एक साल में देशभर में करीब डेढ़ लाख लोग सड़क हादसे में अपनी जांन गवां चुके हैं. भारत में प्रति लाख आबादी पर सड़क हादसों में होने वाली मौतों की दर 17.6 है, जो बहुत ज्यादा है. देश में सड़क सुरक्षा के तमाम दावे किये जाते हैं.

हर साल सैकड़ों जानें ले लेती है ये 'खूनी सड़क'

सड़कों के दोनों तरफ सुरक्षा को लेकर तमाम तरह के सूचना बोर्ड के साथ समय-समय पर कई अन्य कार्यक्रम भी होते रहते हैं, लेकिन सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लाख दावों के बाद भी राज्य की खूनी सड़कें हर वर्ष सैकड़ों लोगों की जिंदगी लील रही है. मौत का आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है. जो रोड सेफ्टी के लिए बड़ा चैलेंज है.

3 किलोमीटर में 5 खतनाक मोड़
गरियाबंद की सुंदर वादियों से गुजर रही जतमई मंदिर रोड जितनी सुंदर है. लोग बताते हैं ये उतनी ही खतनाक भी है. यहां के बारे में एक प्रसिद्ध कहावत बन गई 'चूका ध्यान तो गई जान'. इस सड़क पर 3 किलोमीटर में 5 बेहद ही खतनाक मोड़ हैं. जहां आये दिन हादसे होते रहते हैं. लोग बताते हैं, पहाड़ियों में बनी ये सड़क इतनी संकिर्ण और तीखे मोड़ से भरी है कि यहां हादसा होना आम बात हो गई है.

हर साल हो रही है सैकड़ों मौतें
पांडुका से छुरा जानेवाली ये मुख्यमार्ग छत्तीसगढ़ में आस्था और पर्यटन के लिए बेहद ही खास है. ये सड़क भक्तों को जतमई और घटारानी के दरबार तक लेकर जाती है. वहीं गर्मियों में पर्यटक यहां की हसीन वादियों का लुत्फ लेने आते हैं. संकिर्ण और तीखे मोड़ से भरी ये सड़क अबतक न जाने कितने ही लोगों की जिंदगी लील ली है, लेकिन सरकार की नींद अभी तक नहीं खुली है. सड़क सुरक्षा के तमाम दावों के बाद हर साल यहां सैंड़कों जानें जा रही है.

गरियाबंद: एक आंकड़े के मुताबिक बीते एक साल में देशभर में करीब डेढ़ लाख लोग सड़क हादसे में अपनी जांन गवां चुके हैं. भारत में प्रति लाख आबादी पर सड़क हादसों में होने वाली मौतों की दर 17.6 है, जो बहुत ज्यादा है. देश में सड़क सुरक्षा के तमाम दावे किये जाते हैं.

हर साल सैकड़ों जानें ले लेती है ये 'खूनी सड़क'

सड़कों के दोनों तरफ सुरक्षा को लेकर तमाम तरह के सूचना बोर्ड के साथ समय-समय पर कई अन्य कार्यक्रम भी होते रहते हैं, लेकिन सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लाख दावों के बाद भी राज्य की खूनी सड़कें हर वर्ष सैकड़ों लोगों की जिंदगी लील रही है. मौत का आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है. जो रोड सेफ्टी के लिए बड़ा चैलेंज है.

3 किलोमीटर में 5 खतनाक मोड़
गरियाबंद की सुंदर वादियों से गुजर रही जतमई मंदिर रोड जितनी सुंदर है. लोग बताते हैं ये उतनी ही खतनाक भी है. यहां के बारे में एक प्रसिद्ध कहावत बन गई 'चूका ध्यान तो गई जान'. इस सड़क पर 3 किलोमीटर में 5 बेहद ही खतनाक मोड़ हैं. जहां आये दिन हादसे होते रहते हैं. लोग बताते हैं, पहाड़ियों में बनी ये सड़क इतनी संकिर्ण और तीखे मोड़ से भरी है कि यहां हादसा होना आम बात हो गई है.

हर साल हो रही है सैकड़ों मौतें
पांडुका से छुरा जानेवाली ये मुख्यमार्ग छत्तीसगढ़ में आस्था और पर्यटन के लिए बेहद ही खास है. ये सड़क भक्तों को जतमई और घटारानी के दरबार तक लेकर जाती है. वहीं गर्मियों में पर्यटक यहां की हसीन वादियों का लुत्फ लेने आते हैं. संकिर्ण और तीखे मोड़ से भरी ये सड़क अबतक न जाने कितने ही लोगों की जिंदगी लील ली है, लेकिन सरकार की नींद अभी तक नहीं खुली है. सड़क सुरक्षा के तमाम दावों के बाद हर साल यहां सैंड़कों जानें जा रही है.

Intro:पैकेज लायक स्टोरी---


एंकर-- यूं तो हराभरा और शानदार वादियों भरी सड़क हो तो राही का सफर सुहाना हो जाता है , पर अगर वही रास्ता जानलेवा बन जाये तो...... आज हम आपको एक ऐसे ही सुन्दर वादियों से गुजरने वाली जानलेवा सड़क के बारे में बताने जा रहे है। जहां सुंदर वादियों के बीच दुर्घटनाओं की सड़क ने अब तक कई जान ले ली है तो वहीं सैकड़ों लोग इस सड़क पर घायल हो चुके हैं यहां के बारे में अब लोग कहने लगे हैं कि यहां पर..... चुका ध्यान तो गई जान....


Body:वीओ-- गरियाबंद जिला के प्रसिद्ध जतमई मंदिर रोड पर पड़ने वाली पहाड़ी की सड़क में खतरनाक मोड़ है ,खतरनाक मोड़ 5 राउंड का जो अत्यंत संकरी है रोड के किनारे बहुत खतरनाक गढ्ढे है बिल्कुल किसी घाटी की तरह जिसमे वाहन चालक को खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है । पहाड़ी के दोनों छोर में बेहद पेचीदा और खराब चढ़न और ढलान है सड़क भी जर्जर हो चुका है जिसमे कई लोगों की जान हादसे के कारण आये दिन में जाते रहती है , कुछ दिन पहले ही इसी मोड़ पर श्रद्धालुओं से भरी ट्रेक्टर पलट गई थी जिसमे 20 से 25 लोग घायल भी हो गए थे एक महिला तू 50 फिट गहरे खाई में नीचे ही गिर गई थी। दरअसल इस सड़क के एक और 50 से 100 फीट गहरी खाई हैं जिसके चलते खतरा और अधिक बढ़ जाता है

वीओ---यही सड़क पाण्डुका से छुरा जानेवाली मुख्यमार्ग भी हैं रोजाना हजारों गाड़ियां गुजरती है । जतमई और घटारानी मंदिर के दर्शन के लिए रोजाना सैकड़ों गाड़ियों की रेलमपेल रहती है वहीं नवरात्र और नया वर्ष और छुट्टियों के दिन खासकर 26 जनवरी और 15 अगस्त के समय रास्ते मे इतना भीड़ होता है कि कई किलोमीटर लंबा जाम भी लग जाता है क्योंकि सड़क काफी सक्रि है वहीं सड़क सकरी और तीखी ढलान में गति बढ़ जाने के चलते आए दिन दुर्घटना आए दिन होते रहती है जिसके कारण अब लोग इसे सुंदर वादियों वाली मौत की सड़क कहने लगे हैं सरकार को ऐसे गंभीर सड़कों को जल्द मरम्मत करवाना चाहिए और सड़क को चौड़ी करने की भी बेहद जरूरत है ताकि इस सड़क पर होने वाली दुर्घटनाएं रुक सके और कोई जानमाल का हानि न हो । सड़क इसलिए भी सुधार नहीं चाहिए क्योंकि हर साल लाखों की संख्या में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को भी सुविधा मिल सके और जिले की छवि अच्छी बने
Conclusion:Byte---1,2,3, राहगीर
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