गरियाबंद: किडनी की बीमारी से पीड़ित गांव सुपेबेड़ा में डॉक्टर की टीम मरीजों की जांच कर रही है. एम्स के डायरेक्टर, नेफ्रो के 5 एक्सपर्ट को लेकर सुपेबेड़ा पहुंच गए हैं. अब तक विशेष कैंप में 10 मरीज पहुंचे हैं. 15 दिन के अंदर दो मौतों से गांव के लोग दहशत में हैं, वहीं सरकार का ये कदम राहत भरा जरूर है.
29 सितंबर को पूर्व सरपंच की मौत के बाद 2 अक्टूबर को स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव पहूच कर जांच पड़ताल व मरीजों की देखरेख का जिम्मा एम्स के हवाले करने का एलान किया था. जिसके बाद एम्स के डायरेक्टर नितिन नागरकर, नेफ्रोलॉजीस्ट डॉ विनय राठौड़, डॉ जय पटेल ,डॉ अभिरुचि, डा कमलेश जैन के साथ 15 से ज्यादा लोगों की टीम सुपेबेड़ा पहुंची है और जांच कर रही है.
हालांकि जैसी अपेक्षा डॉक्टर लेकर गांव पहुंचे थे, उसके मुताबिक निराशा हाथ लग रही है. गांव में 200 से ज्यादा किडनी पीड़ित हैं पर अब तक 10 मरीज ही यहां टीम के पास पहुंचे हैं.
राज्यपाल भी करेंगी दौरा
सुपेबेड़ा में 15 दिन के अंदर दो ग्रामीणों की मौत ने गांव का दर्द और बढ़ा दिया है. राज्यपाल अनुसुइया उइके भी सुपेबेड़ का दौरा करेंगी. इससे पहले सुपेबेड़ा के लिए एम्स के विशेषज्ञों की टीम रायपुर से गई है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने सुपेबेड़ा में किडनी रोग से पीड़ितों को तत्काल इलाज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने 2 अक्टूबर को अपने सुपेबेड़ा प्रवास के दौरान वहां विशेषज्ञ एमडी चिकित्सक की नियुक्ति की घोषणा की थी.
कलेक्टर ने दी जानकारी
गरियाबंद के कलेक्टर ने बताया कि सुपेबेड़ा एवं देवभोग में सभी तरह की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने एवं शुद्ध पेयजल की व्यवस्था के लिए रणनीति पर काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि गरियाबंद जिला अस्पताल में फ्लोराइड प्रयोगशाला स्थापित की गई है.
किडनी संबंधी खून जांच और डायबिटीज आदि की भी जांच की सुविधा जिला अस्पताल एवं देवभोग स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध कराई जा रही ह.। स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव के निर्देश पर सुपेबेड़ा सहित 6 अन्य गांवों में किडनी रोग आधारित स्क्रीनिंग प्रारंभ की गई है. इससे रोगियों को समय पर चिन्हित कर उचित सलाह एवं उपचार दिया जा सकेगा.