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उदंती अभयारण्य में काट दिए गए एक हजार पेड़, सोता रहा अमला, डिप्टी रेंजर निलंबित

गरियाबंद के उदंती अभयारण्य में पेड़ों की अवैध कटाई घड़ल्ले से जारी है. अभयारण्य के तकरीबन एक हजार पेड़ काट दिए गए हैं. इस मामले में डिप्टी रेंजर को निलंबित कर दिया गया है.

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Published : Aug 21, 2019, 4:56 PM IST

Updated : Aug 21, 2019, 8:40 PM IST

पेड़ों की कटाई.

गरियाबंद: टाइगर प्रोजेक्ट के संरक्षित इलाके में जंगल का बड़ा इलाका काट दिया गया. यहां लगभग एक हजार पेड़ काटे जाने की सूचना है, जिसकी खबर वन विभाग को नहीं लगी. इतना बड़ा वन अमला सोता रहा और जंगल उजाड़ दिया गया. मामले में उदंती अभयारण्य के उप निदेशक ने डिप्टी रेंजर को निलंबित कर दिया है. ऐसा तो नहीं हुआ होगा कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ एक दो घंटे में काट दिए गए होंगे, कटाई 20 दिन तक चलती रही और विभाग सोता रहा.

उदंती अभयारण्य में पेड़ों की कटाई.

धड़ल्ले से जारी कटाई
इन दिनों उदंती सीतानदी टाइगर प्रोजेक्ट के वन परिक्षेत्र इंदागांव के कक्ष क्रमांक 1219 में धड़ल्ले से अवैध कटाई जारी है, जिसे रोकने वाला कोई नहीं है. अधिकारी-कर्मचारी मात्र गांव में रहकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर गायब हैं और जंगलों में अवैध कटाई की स्थिति ये है कि कुछ दिनों के अंदर ही 25 एकड़ में एक हजार पेड़ काट दिए गए.

डिप्टी रेंजर निलंबित
लगभग 8 लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई और लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर एक्शन लेने की बात वन विभाग ने कही थी. आज उदंती अभयारण्य के उप निदेशक ने डिप्टी रेंजर को निलंबित कर दिया है. उक्त कार्यवाही वन अधिनियम 1972 के अंतर्गत की गई है. कुछ लोगों ने इसमें राजनीतिक संलिप्तता की भी बात कही है.

कड़ाई के बीच हो गई कटाई
मामले में सबसे गंभीर बात यह है कि अभयारण्य क्षेत्र से एक लकड़ी का टुकड़ा तक उठाने की मनाही होती है. यहां का विकास इसलिए नहीं हो पा रहा है क्योंकि नियमों के हिसाब से यहां सड़क बनाने जमीन में 6 इंच का गड्ढा तक नहीं करने दिया जाता. बिजली इसलिए नहीं पहुंच पा रही है कि गड्ढा खोदने की मनाही होती है. इतनी कड़ाई के बीच अगर 1000 पेड़-पौधे कट जाएं तो यह समझा जा सकता है कि नीचे के कर्मचारी ही नहीं बल्कि रेंजर स्तर तक के अफसर अपने काम को लेकर गंभीर नहीं हैं.

गरियाबंद: टाइगर प्रोजेक्ट के संरक्षित इलाके में जंगल का बड़ा इलाका काट दिया गया. यहां लगभग एक हजार पेड़ काटे जाने की सूचना है, जिसकी खबर वन विभाग को नहीं लगी. इतना बड़ा वन अमला सोता रहा और जंगल उजाड़ दिया गया. मामले में उदंती अभयारण्य के उप निदेशक ने डिप्टी रेंजर को निलंबित कर दिया है. ऐसा तो नहीं हुआ होगा कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ एक दो घंटे में काट दिए गए होंगे, कटाई 20 दिन तक चलती रही और विभाग सोता रहा.

उदंती अभयारण्य में पेड़ों की कटाई.

धड़ल्ले से जारी कटाई
इन दिनों उदंती सीतानदी टाइगर प्रोजेक्ट के वन परिक्षेत्र इंदागांव के कक्ष क्रमांक 1219 में धड़ल्ले से अवैध कटाई जारी है, जिसे रोकने वाला कोई नहीं है. अधिकारी-कर्मचारी मात्र गांव में रहकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर गायब हैं और जंगलों में अवैध कटाई की स्थिति ये है कि कुछ दिनों के अंदर ही 25 एकड़ में एक हजार पेड़ काट दिए गए.

डिप्टी रेंजर निलंबित
लगभग 8 लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई और लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर एक्शन लेने की बात वन विभाग ने कही थी. आज उदंती अभयारण्य के उप निदेशक ने डिप्टी रेंजर को निलंबित कर दिया है. उक्त कार्यवाही वन अधिनियम 1972 के अंतर्गत की गई है. कुछ लोगों ने इसमें राजनीतिक संलिप्तता की भी बात कही है.

कड़ाई के बीच हो गई कटाई
मामले में सबसे गंभीर बात यह है कि अभयारण्य क्षेत्र से एक लकड़ी का टुकड़ा तक उठाने की मनाही होती है. यहां का विकास इसलिए नहीं हो पा रहा है क्योंकि नियमों के हिसाब से यहां सड़क बनाने जमीन में 6 इंच का गड्ढा तक नहीं करने दिया जाता. बिजली इसलिए नहीं पहुंच पा रही है कि गड्ढा खोदने की मनाही होती है. इतनी कड़ाई के बीच अगर 1000 पेड़-पौधे कट जाएं तो यह समझा जा सकता है कि नीचे के कर्मचारी ही नहीं बल्कि रेंजर स्तर तक के अफसर अपने काम को लेकर गंभीर नहीं हैं.

Intro:सैकड़ों वन कर्मचारियों की फौज सोती रही, जमीन के लालचीओं ने काट दिए हजार पेड़ पौधे

गरियाबंद-- वनों में भी जो सर्वाधिक सुरक्षित माना जाता है ऐसे टाइगर प्रोजेक्ट के संरक्षित इलाके में जंगल का एक बड़ा इलाका काट दिया गया 1000 पेड़ काटे गए और वन विभाग को खबर तक नहीं लगी ऐसा भी संभव नहीं कि 1000 पेड़ महल दो-चार दिन में कट जाए लगभग 20 दिन तक अवैध कटाई चलती रही और वन विभाग सोता रहा विभाग को इसका पता तब चला जब एक पत्रकार ने खबर बनाने के बाद वर्शन लेने अधिकारी से चर्चा की इससे साफ पता चलता है कि वन कर्मचारी अपनी ड्यूटी कैसा निभा रहे हैं और गरियाबंद जिले के जंगल वन कर्मचारियों के नहीं भगवान भरोसे हैं इस स्थिति को शर्मनाक नहीं तो और क्या कहेंगे। अब आप आसानी से अंदाजा लगा सकते होंगे कि अगर जंगल की सुरक्षा की ऐसी स्थिति है तो वहा निवास करने वाले वन्यजीवों की सुरक्षा कैसे संभव है पूरा मामला उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व का है वही बड़ा सवाल यह भी है कि सैकड़ों लोगों का वन विभाग के स्टाफ आखिर कर क्या रहा है की एक गांव के एक पूरे मोहल्ले के लोग जंगल के बड़े इलाके को अपने अपने हिस्से के रूप में बांट लेते हैं वहां एक हजार पेड़ काट लेते हैं और वन विभाग के कान पर जूं तक नहीं रेंगती अपनी गलती स्वीकारने की बजाय अब वन विभाग के अधिकारी पत्रकार को धन्यवाद देते नजर आ रहे हैं कि चलो हमारे सैकड़ों कर्मचारी ना सही कम आपने तो हमें बताया...

Body:...इन दिनों उदंती सीतानदी टाइगर प्रोजेक्ट के वन परिक्षेत्र इंदागांव के कक्ष क्रमांक 1219 में धड़ल्ले से अवैध कटाई जारी है जिसे रोकने वाला कोई नहीं है अधिकारी-कर्मचारी मात्र गांव में रहकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में ही मशगूल है वहीं जंगलों की अवैध कटाई की स्थिति यह है कि मात्र कुछ दिनों में ही लोगों ने लगभग 25 एकड़ में 1000 से अधिक पेड़ों पौधे को काट डाला इस प्रकरण की शिकायत एक पत्रकार के माध्यम से उजागर किए जाने के बाद अधिकारी हरकत में आए और आज जाकर लगभग 8 लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की प्रक्रिया जारी रखी है वही इस संबंध में चर्चा करने पर वन अधिकारी बताते हैं कि उक्त कार्यवाही के बाद जिन अधिकारियों पर लापरवाही बरतने की बात सामने आएंगे उनके विरुद्ध तत्काल कार्यवाही की जाएगी उदंती सीतानाडी टाइगर प्रोजेक्ट जहां वनों के साथ वन्यजीवों को भी सुरक्षित रखने के लिए इस संस्था का गठन किया गया है वहीं देखा जा रहा है कि इसी संस्थान के अधिकारी कर्मचारियों के लापरवाही की वजह से लगातार जंगल कटते जा रहे हैं बीते एक माह के अंदर यहां 25 एकड़ सुरक्षित व संरक्षित जंगल पर एक हजार से अधिक पेड़ पौधों को काट डाला गया है जो कि यहां के एक पत्रकार के द्वारा उक्त बात को उजागर करने के बाद अधिकारी हरकत में आए हैं और लगभग 25 एकड़ में 1000 से अधिक पेड़ पौधे काट डालना पाया गया है जिसकी उप निदेशक आरके रायस्त कार्यवाही में जुटे हुए हैं और उन्होंने लगभग 8 लोगों के विरुद्ध प्राकरण बनाकर न्यायालय तक ले जाने की तैयारी में जुटे हुए हैं उनसे हुई चर्चा में वे कहते हैं ऐसा नहीं होना चाहिए विभाग के अधिकारी कर्मचारी की लापरवाही से जंगलों की कटाई हुई है इस पर सख्त कायँवाही किया जायेगा और प्रथम दृष्टि में इस तरह की कार्यवाही के पश्चात अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कौन-कौन अधिकारी कर्मचारी इस में लापरवाही बरते हैं और उन पर भी कार्यवाही किया जाएगा उक्त कार्यवाही वन अधिनियम 1972 के अंतर्गत किया जा रहा है जिसमें मौके का निरीक्षण के पश्चात कार्यवाही जारी है जिसमें पी ओ आर क्रमांक 14272/25 के तहत कार्यवाही जारी है

मामले में अब आधिकारिक राजनीतिक संरक्षण होने की बात भी दबी जुबान से कह रहेConclusion:मामले में सबसे गंभीर बात यह है कि अभयारण्य क्षेत्र से एक लकड़ी का टुकड़ा तक उठाने की मनाही होती है यहां का विकास इसलिए नहीं हो पा रहा है क्योंकि नियमों के हिसाब से यहां सड़क बनाने जमीन में 6 इंच का गड्ढा तक नहीं करने दिया जाता बिजली इसलिए नहीं पहुंच पा रही है कि हम बेगड़ा ने गड्ढा तक करने मनाही होती इतनी कड़ाई के बीच अगर 1000 पेड़-पौधे कट जाए तो यह समझा जा सकता है कि नीचे के कर्मचारी कि नहीं रेंजर स्तर के अधिकारी तक अपने काम में गंभीर नहीं है

Byte-- आरके रायस्त सहायक संचालक उदंती सितारा द टाइगर प्रोजेक्ट
Last Updated : Aug 21, 2019, 8:40 PM IST
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