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हाय रे सिस्टम! खत्म होने को है सेशन लेकिन अब तक हाथ न आई साइकिल

शिक्षा सत्र खत्म होने को है लेकिन अब तक छात्राओं को सरस्वती साइकिल योजना के तहत साइकिल नहीं बांटी गई हैं.

छात्राएं
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Published : Mar 29, 2019, 1:56 PM IST

Updated : Mar 30, 2019, 1:08 PM IST

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गरियाबंद: महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं और इन्हीं में से एक है सरस्वती साइकिल योजना. गरियाबंद जिले में इस योजना की अलग ही तस्वीर सामने आ रही है. शिक्षा सत्र खत्म होने को है, लेकिन अब तक छात्राओं को साइकिलें नहीं बांटी गई हैं.

होनहार बालिकाओं को स्कूल पैदल न आना पड़े, इसलिए शुरू की गई सरस्वती साइकिल योजना सरकार की लेटलतीफी की भेंट चढ़ गई है. इंतजार करते-करते पूरा सत्र बीत गया है और किसी न किसी कारण के चलते छात्राओं को साइकिलनहीं बांटी जा सकी हैं.


अलग-अलग पुर्जों में आईं साइकिलें
दरअसल सरस्वती सायकल योजना के तहत बांटी जाने वाली साइकलजिले आईं, तो जरूर लेकिन अलग-अलग पुर्जों की शक्ल में. इन्हें जोड़ते-जोड़ते पूरा सत्र बीत गया और आचार संहिता लग गई. अब आचार संहिता का हवाला देकर बच्चियों को साइकिलें अगले कुछ महीने नहीं मिलने की बात कही गई है.


545 साइिकलेंखा रही हैं धूल
साल भर पैदल स्कूल आने के बाद अब बच्चियां परीक्षा देने भी पैदल आने को मजबूर हैं. जिलेभर में साइकिले बनकर तैयार धूल खा रही हैं, लेकिन आचार संहिता के नियमों के चलते उन्हें बांटा नहीं जा रहा है. अकेले गरियाबंद ब्लॉक में 545 साइकिलें धूल खा रही हैं.

ऐसे सिस्टम का क्या फायदा जो किसी योजना को समय बीत जाने के बाद भी पूरा न कर सके. कुल मिलाकर 9वीं की छात्राओं को अब 10वीं में पहुंचने के बाद भी कब तक सरस्वती साइकिल योजना की साइकिलें मिलेंगी ये देखने वाली बात है.

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गरियाबंद: महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं और इन्हीं में से एक है सरस्वती साइकिल योजना. गरियाबंद जिले में इस योजना की अलग ही तस्वीर सामने आ रही है. शिक्षा सत्र खत्म होने को है, लेकिन अब तक छात्राओं को साइकिलें नहीं बांटी गई हैं.

होनहार बालिकाओं को स्कूल पैदल न आना पड़े, इसलिए शुरू की गई सरस्वती साइकिल योजना सरकार की लेटलतीफी की भेंट चढ़ गई है. इंतजार करते-करते पूरा सत्र बीत गया है और किसी न किसी कारण के चलते छात्राओं को साइकिलनहीं बांटी जा सकी हैं.


अलग-अलग पुर्जों में आईं साइकिलें
दरअसल सरस्वती सायकल योजना के तहत बांटी जाने वाली साइकलजिले आईं, तो जरूर लेकिन अलग-अलग पुर्जों की शक्ल में. इन्हें जोड़ते-जोड़ते पूरा सत्र बीत गया और आचार संहिता लग गई. अब आचार संहिता का हवाला देकर बच्चियों को साइकिलें अगले कुछ महीने नहीं मिलने की बात कही गई है.


545 साइिकलेंखा रही हैं धूल
साल भर पैदल स्कूल आने के बाद अब बच्चियां परीक्षा देने भी पैदल आने को मजबूर हैं. जिलेभर में साइकिले बनकर तैयार धूल खा रही हैं, लेकिन आचार संहिता के नियमों के चलते उन्हें बांटा नहीं जा रहा है. अकेले गरियाबंद ब्लॉक में 545 साइकिलें धूल खा रही हैं.

ऐसे सिस्टम का क्या फायदा जो किसी योजना को समय बीत जाने के बाद भी पूरा न कर सके. कुल मिलाकर 9वीं की छात्राओं को अब 10वीं में पहुंचने के बाद भी कब तक सरस्वती साइकिल योजना की साइकिलें मिलेंगी ये देखने वाली बात है.

Intro:गरियाबंद-- 9 वी की होनहार बालिकाओं को स्कूल आने पैदल चलना ना पड़े इसलिए प्रारंभ की गई सरस्वती सायकल योजना सरकारी की लेटलतीफी की भेंट चढ़ गई है....... लेट भी दो चार दस दिन नहीं बल्कि पूरा साल (एक सत्र)लेट........ जीहा इंतजार करते करते पूरा सत्र बीत गया और कोई न कोई कारण के चलते लेट होते होते छात्राओं को पूरे सत्र में साइकिले नहीं बाटी जा सकी..... साइकिले आई तो जरूर लेकिन अलग अलग कल पुर्जो की शक्ल में जिन्हें जोड़ते जोड़ते आचार संहिता ही लग गयी और अब आचार संहिता का हवाला देकर बबच्चियों को साइकिले आने वाले और कई दिनों तक नहीं मिलने की बात कह दी गई

......मजबूरन साल भर पैदल स्कूल आने के बाद अब बच्चियां परीक्षा दिलाने भी पैदल आने को मजबूर नजर आ रही हैं जिलेभर में साइकिले बनकर तैयार धूल खा रही हैं मगर आचार संहिता के नियमों के चलते उन्हें बांटा नहीं जा पा रहा है कुल मिलाकर नवी की छात्राओं को अब दसवीं पहुंचने के बाद भी कब तक सरस्वती सायकल योजना की साइकिले मिलेगी यह कोई नहीं बता पा रहा अकेले गरियाबंद ब्लॉक में 545 साइकिले धूल खा रही है और बच्चियां पैदल आने जाने को मजबूर है हद है लेटलतीफी की जो किसी योजना को समय बीत जाने के बाद भी पूरा न कर सके शर्म आनी चाहिए ऐसे सिस्टम को जो समय रहते योजनाओं का लाभ ना दिला सके.....


Body:बच्चियां भी बड़े मासूमियत से कहती है कि गांव 2- 4 किलोमीटर दूर है परीक्षा में जलती होती है तो भी कभी पैदल तो कभी लिफ्ट लेकर आ जाती है

साइकिले अगस्त में मिलनि थीं देखते देखते भरोसा ही टूट गया कि मिलेंगी कि नहीं अब आई तो जरूर है मगर स्कूल के कमरे में नियमों का हवाला देकर बंद कर दी गई है


शिक्षक भी कहते हैं क्या करें मजबूरी ही ऐसी कि पहले तो साइकिले आ ही नहीं रही थी और जब आई तो आचार संहिता लग चुकी थी ऊपर से आदेश था कि किसी कमरे में बंद करवा दो



वहीं गरियाबंद के विकास खंड शिक्षा अधिकारी क्या कहते हैं यह आप खुद सुन लीजिए सिस्टम की लेटलतीफी का इन अधिकारियों के पास भी कोई जवाब नजर नहीं आ रहा


बाइट----1------ भूमिका ध्रुव छात्रा कक्षा 9वी
बाइट----2------ वंदना विश्वकर्मा छात्रा कक्षा 9वी
बाइट----3------ कमलेश सत्यपाल शिक्षक कन्या शाला गरियाबंद
बाइट----4------ श्री सारथी विकास खंड शिक्षा अधिकारी गरियाबंद पहचान कुर्सी पर बैठे हुए बाइट



Conclusion:
Last Updated : Mar 30, 2019, 1:08 PM IST
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