होनहार बालिकाओं को स्कूल पैदल न आना पड़े, इसलिए शुरू की गई सरस्वती साइकिल योजना सरकार की लेटलतीफी की भेंट चढ़ गई है. इंतजार करते-करते पूरा सत्र बीत गया है और किसी न किसी कारण के चलते छात्राओं को साइकिलनहीं बांटी जा सकी हैं.
अलग-अलग पुर्जों में आईं साइकिलें
दरअसल सरस्वती सायकल योजना के तहत बांटी जाने वाली साइकलजिले आईं, तो जरूर लेकिन अलग-अलग पुर्जों की शक्ल में. इन्हें जोड़ते-जोड़ते पूरा सत्र बीत गया और आचार संहिता लग गई. अब आचार संहिता का हवाला देकर बच्चियों को साइकिलें अगले कुछ महीने नहीं मिलने की बात कही गई है.
545 साइिकलेंखा रही हैं धूल
साल भर पैदल स्कूल आने के बाद अब बच्चियां परीक्षा देने भी पैदल आने को मजबूर हैं. जिलेभर में साइकिले बनकर तैयार धूल खा रही हैं, लेकिन आचार संहिता के नियमों के चलते उन्हें बांटा नहीं जा रहा है. अकेले गरियाबंद ब्लॉक में 545 साइकिलें धूल खा रही हैं.
ऐसे सिस्टम का क्या फायदा जो किसी योजना को समय बीत जाने के बाद भी पूरा न कर सके. कुल मिलाकर 9वीं की छात्राओं को अब 10वीं में पहुंचने के बाद भी कब तक सरस्वती साइकिल योजना की साइकिलें मिलेंगी ये देखने वाली बात है.