गरियाबंद: देवभोग विकासखंड की कदलीमुडा पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने शौचालयों का हाल आप देखेंगे तो हैरान रह जाएंगे. कदलीमुडा पंचायत के लिए कुल 361 शौचालय स्वीकृत हुए थे, लेकिन इनमें से 145 शौचालयों का निर्माण किया ही नहीं गया.
ऐसा नहीं है कि जिम्मेदारों को इस बात की खबर नहीं थी. ETV भारत की पड़ताल में ये पता चला है कि 6 महीने पहले ही शौचालयों में भ्रष्टाचार की शिकायत तत्कालीन पंच उग्रेसन बीसी ने देवभोग जनपद पंचायत सीईओ से की थी. शिकायत के बाद भी अधिकारियों ने मिलकर लगभग 17 लाख रुपये का गबन किया.
महज कागजों पर है शौचालय
शौचालय निर्माण न होने का खामियाजा यहां रहने वाले लोगों को उठाना पड़ रहा है. ग्रामीणों के लिए कागजों में टॉयलेट्स का निर्माण तो हो गया लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और है. ग्रामीण शौच के लिए खुले में या फिर दूसरे के घरों में जाने को मजबूर हैं.
गरियाबंद: कोरोना की मॉकड्रिल ने छुड़ाए स्वास्थ्य और पुलिस कर्मियों के पसीने
65 हितग्राहियों के घर नहीं है शौचालय
जनपद पंचायत की जांच में 40 ऐसे लोगों के नाम पर शौचालय बनाना दर्शाया गया है, जो उस गांव में रहते ही नहीं हैं. वहीं 75 नाम ऐसे हैं, जिनके घर एक शौचालय बनाकर दो लोगों का नाम लिखा गया है. वहीं 40 शौचालय गायब पाए गए और 65 हितग्राहियों के घर शौचालय बना ही नहीं है.
VIDEO : 'आपकी मदद किसी जरूरतमंद के चेहरे पर मुस्कान ला सकती है
कलस्टर प्रभारी ने दी दलील
इस तरह कुल 145 शौचालयों का निर्माण किए बैगर ही 17 लाख 40 हजार राशि का आहरण कर लिया गया है. इस मामले में क्लस्टर प्रभारी ने अभी तक भ्रष्टाचार की बात नहीं मानी है और अपनी अलग दलील दे रहे हैं.
गांववाले दोषियों पर जल्द कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं. उम्मीद है यहां जल्द शौचालय का निर्माण हो, जिससे लोगों को सुविधा मिले.