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गरियाबंद: बुजुर्ग महिला को सिस्टम ने दिया मार, इसकी गुहार सुन लो सरकार

गरियाबंद में सिस्टम की लापरवही का अनोखा मामला सामने आया है. जहां एक ओर जिंदा महिला को मृत बताकर उसने मिलने वाली सरकारी सुविधाएं रोक दी गई हैं, तो वहीं दूसरी ओर एक महिला को सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जा रहा है.

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Published : May 5, 2019, 11:57 PM IST

Updated : May 6, 2019, 12:02 AM IST

गरियाबंद: कई साल पहले किसी इंसान की मौत हो चुकी हो और वो खुद को जिंदा साबित करने के लिए जद्दोजहद कर रहा हो तो भला आप इसे क्या कहेंगे. दरअसल मामला छत्तीसगढ़ के गरियाबंद का है. जिले के फिंगेश्वर विकासखंड के परसदा जोशी गांव में रहने वाली अलेनबाई वो बदनसीब है जिस पर सिस्टम कहर बनकर टूटा है.

नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का फायदा


जिंदा महिला को किया मृत घोषित
अलेनबाई का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना की लिस्ट में चौथे स्थान पर होने के बावजूद उसे आवास नहीं मिला, जबकी लिस्ट में 125 नंबर तक के लोगों को आवास दिए जा चुके हैं. जब अलेनबाई ने सिस्टम के सिपहसलारों से योजनाओं का फायदा नहीं मिलने का कारण पूछा तो जानकारी दी गई कि, सरकारी कागजों से हिसाब से उसकी मौत हो चुकी है.


नहीं मिल रही विधवा पेंशन
कुछ ऐसा ही दूसरा मामला फिंगेश्वर विकासखंड के कौन्दकेरा गांव में रहने वाली 80 साल की डेरहीनबाई के साथ हुआ है. 30 साल पहले पति की मौत होने के बावजूद डेरहीनबाई को न तो विधवा पेंशन मिल रही है और न ही उसे निराश्रित पेंशन का फायदा मिला और तो और उसे प्रधानमंत्री आवास योजना का फायदा भी नहीं दिया गया.


पीएम तक को लिख चुकी हैं खत
योजनाओं के फायदे के लिए डेरहीनबाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को खत लिख चुकी हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उसकी सुनवाई कहीं नहीं हो ही है. जब इस बारे में जिम्मेदारों से बात की गई तो वो लाभार्थियों की लिस्ट में नाम नहीं होने का हवाला देते हुए पल्ला झाड़ते हुए नजर आए.


अफसर लगा रहे पलीता
एक ओर सरकार खुद को गरीबों का मसीहा बताते हुए अपने योजनाओं के जरिए उनके उद्धार का ढिंढोरा पीटते नहीं थकती, वहीं दूसरी ओर सरकार के नुमाइंदे उनकी योजनाओं पर कैसे पलीता लगा रहे हैं, इसका अंदाजा आप अलेनाबाई और डेरहीनबाई की कहानी देखकर खुद ही लगा सकते हैं.

गरियाबंद: कई साल पहले किसी इंसान की मौत हो चुकी हो और वो खुद को जिंदा साबित करने के लिए जद्दोजहद कर रहा हो तो भला आप इसे क्या कहेंगे. दरअसल मामला छत्तीसगढ़ के गरियाबंद का है. जिले के फिंगेश्वर विकासखंड के परसदा जोशी गांव में रहने वाली अलेनबाई वो बदनसीब है जिस पर सिस्टम कहर बनकर टूटा है.

नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का फायदा


जिंदा महिला को किया मृत घोषित
अलेनबाई का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना की लिस्ट में चौथे स्थान पर होने के बावजूद उसे आवास नहीं मिला, जबकी लिस्ट में 125 नंबर तक के लोगों को आवास दिए जा चुके हैं. जब अलेनबाई ने सिस्टम के सिपहसलारों से योजनाओं का फायदा नहीं मिलने का कारण पूछा तो जानकारी दी गई कि, सरकारी कागजों से हिसाब से उसकी मौत हो चुकी है.


नहीं मिल रही विधवा पेंशन
कुछ ऐसा ही दूसरा मामला फिंगेश्वर विकासखंड के कौन्दकेरा गांव में रहने वाली 80 साल की डेरहीनबाई के साथ हुआ है. 30 साल पहले पति की मौत होने के बावजूद डेरहीनबाई को न तो विधवा पेंशन मिल रही है और न ही उसे निराश्रित पेंशन का फायदा मिला और तो और उसे प्रधानमंत्री आवास योजना का फायदा भी नहीं दिया गया.


पीएम तक को लिख चुकी हैं खत
योजनाओं के फायदे के लिए डेरहीनबाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को खत लिख चुकी हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उसकी सुनवाई कहीं नहीं हो ही है. जब इस बारे में जिम्मेदारों से बात की गई तो वो लाभार्थियों की लिस्ट में नाम नहीं होने का हवाला देते हुए पल्ला झाड़ते हुए नजर आए.


अफसर लगा रहे पलीता
एक ओर सरकार खुद को गरीबों का मसीहा बताते हुए अपने योजनाओं के जरिए उनके उद्धार का ढिंढोरा पीटते नहीं थकती, वहीं दूसरी ओर सरकार के नुमाइंदे उनकी योजनाओं पर कैसे पलीता लगा रहे हैं, इसका अंदाजा आप अलेनाबाई और डेरहीनबाई की कहानी देखकर खुद ही लगा सकते हैं.

Intro:स्लग---सिस्टम फेल


एंकर----सरकार की योजनाओं का लाभ जब सही हितग्राहियों को नही मिलता तो सवाल ना केवल योजनाओं पर उठते है बल्कि सिस्टम में बैठे उन तमाम लोगो पर भी उठते है जिन पर इन योजनाओं को लागू करने की जिम्मेदारी होती है, ऐसे ही कुछ मामले गरियाबंद में देखने को मिले है जिनसे योजनाओँ और सिस्टम में बैठे लोगो पर कई तरह के सवाल खडे हो गये है। देखिए सिस्टम के फेल होने की एक रिपोर्ट...........


Body:वीओ 1----ये है फिंगेश्वर विकासखंड के कौन्दकेरा गॉव की 80 वर्षीय डेरहीनबाई साहू, 30 साल से विधवा डेरहीनबाई को ना तो विधवा पेंशन मिलती है और ना ही निराश्रित पेंशन, ना पीएम आवास मिला और ना ही शासन की दुसरी तमाम योजनाओं का लाभ, जबकि उनके पास जीवनयापन का कोई जरिया नही है, डेरहीनबाई के पडोस में रह रही उसकी बेटी और उसके दामाद ही बुढापे में उसकी देखभाल कर रहे है, योजनाओं का लाभ मिले इसके लिए डेरहीनबाई पीएम तक खत लिख चुकी है, मगर अब तक केवल आश्वासनों के कुछ हासिल नही हुआ, मामले में जिम्मेदार सर्वे सुची में नाम नही होने का हवाला देकर अपना पल्ला झाड रहे है।

बाइट 1---डेरहीनबाई, पीडिता......... बैठ कर दी गई बाइट मोटी बुजुर्ग महिला
बाइट 2---पीडिता के दामाद............ सर पर बाल नहीं
बाइट 3---दीनू यादव, सचिव, कौंदकेरा पंचायत......... गोल्डन चश्मा पहने हुए पीछे ग्रामीण विकास लिखा हुआ
वीओ 2----अब जरा अलेनाबाई की दास्तान सुन लीजिए, फिंगेश्वर विकासखंड के ही परसदा जोशी गॉव की रहने वाली अलेनाबाई को पीएम आवास सर्वे सुची में चौथे स्थान पर नाम होने के बाद आवास नही मिला जबकि 125 नबंर तक के लोगो को आवास मिल चुका है, जिम्मेदार अधिकारी अलेनाबाई को आवास नही मिलने का कारण बता रहे है कि वह सरकारी कागजों मर चुकी है और फिलहाल उन्हें जिंदगा करने की प्रक्रिया चल रही है, जब जिंदा हो जायेंगी तो उनको आवास आबंटित किया जायेगा हालांकि अलेनाबाई जिंदा कब तक होंगी फिलहाल किसी भी जिम्मेदार अधिकारी के पास इसका कोई मुकमल जवाब नही है।
बाइट 4----अलेनाबाई, पीडिता............ दुबली बुजुर्ग महिला
बाइट 5----चंद्रशेखर शर्मा, सीईओ, जनपद पंचायत फिंगेश्वर............. टावेल वाली कुर्सी पर नीले शर्ट पहने बैठे अधिकारी
Conclusion:फाईनल वीओ----मामला डेरहीनबाई का हो या फिर ऐलनबाई का, दोनो ही मामलों में योजनाओं का सही ढंग से पालन नही होने के कारण ये स्थिति निर्मित हुयी है, डेरहीनबाई का सर्वे सुची में नाम नही चढाना और ऐलनबाई का नाम सर्वे सुची में मृत घोषित कर देना अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुआ है, जबकि इसका खामियाजा पीडितों को भुगतना पड रहा है, जिम्मेदारों की लापरवाही यहीं खत्म नही हो जाती बल्कि अभी भी जिम्मेदार इम मामलों को लेकर गंभीर नजर नही आ रहे है।
Last Updated : May 6, 2019, 12:02 AM IST
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