गरियाबंद: कई साल पहले किसी इंसान की मौत हो चुकी हो और वो खुद को जिंदा साबित करने के लिए जद्दोजहद कर रहा हो तो भला आप इसे क्या कहेंगे. दरअसल मामला छत्तीसगढ़ के गरियाबंद का है. जिले के फिंगेश्वर विकासखंड के परसदा जोशी गांव में रहने वाली अलेनबाई वो बदनसीब है जिस पर सिस्टम कहर बनकर टूटा है.
जिंदा महिला को किया मृत घोषित
अलेनबाई का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना की लिस्ट में चौथे स्थान पर होने के बावजूद उसे आवास नहीं मिला, जबकी लिस्ट में 125 नंबर तक के लोगों को आवास दिए जा चुके हैं. जब अलेनबाई ने सिस्टम के सिपहसलारों से योजनाओं का फायदा नहीं मिलने का कारण पूछा तो जानकारी दी गई कि, सरकारी कागजों से हिसाब से उसकी मौत हो चुकी है.
नहीं मिल रही विधवा पेंशन
कुछ ऐसा ही दूसरा मामला फिंगेश्वर विकासखंड के कौन्दकेरा गांव में रहने वाली 80 साल की डेरहीनबाई के साथ हुआ है. 30 साल पहले पति की मौत होने के बावजूद डेरहीनबाई को न तो विधवा पेंशन मिल रही है और न ही उसे निराश्रित पेंशन का फायदा मिला और तो और उसे प्रधानमंत्री आवास योजना का फायदा भी नहीं दिया गया.
पीएम तक को लिख चुकी हैं खत
योजनाओं के फायदे के लिए डेरहीनबाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को खत लिख चुकी हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उसकी सुनवाई कहीं नहीं हो ही है. जब इस बारे में जिम्मेदारों से बात की गई तो वो लाभार्थियों की लिस्ट में नाम नहीं होने का हवाला देते हुए पल्ला झाड़ते हुए नजर आए.
अफसर लगा रहे पलीता
एक ओर सरकार खुद को गरीबों का मसीहा बताते हुए अपने योजनाओं के जरिए उनके उद्धार का ढिंढोरा पीटते नहीं थकती, वहीं दूसरी ओर सरकार के नुमाइंदे उनकी योजनाओं पर कैसे पलीता लगा रहे हैं, इसका अंदाजा आप अलेनाबाई और डेरहीनबाई की कहानी देखकर खुद ही लगा सकते हैं.