ETV Bharat / state

गरियाबंद: एप्पल बेर के पौधे लगाने के नाम पर लाखों का भ्रष्टाचार, CEO ने दिया कार्रवाई का भरोसा

जिला पंचायत में एप्पल बेर के पौधे लगाने के नाम पर लाखों के भ्रष्टाचार करने का मामला सामने आया है. वहीं CEO जांच टीम गठित करने की बात कह रहे हैं. साथ ही जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई करने का भरोसा दिला रहे हैं.

एप्पल बेर के पौधे लगाने के नाम पर लाखों के भ्रष्टाचार का मामला
author img

By

Published : Nov 7, 2019, 11:55 AM IST

Updated : Nov 7, 2019, 3:32 PM IST

गरियाबंद: जिला पंचायत में एक करोड़ 33 लाख रुपये की लागत से पौधे तैयार करने का टेंडर मिला था. लेकिन जिम्मेदारों ने नियम-कानूनों को ताक पर रखकर परियोजना तैयार की और फिर उसमें जमकर भ्रष्टाचार हुआ.

गरियाबंद: एप्पल बेर के पौधे लगाने के नाम पर लाखों का भ्रष्टाचार

ये है पूरा मामला
दरअसल बिरीघाट पंचायत की 48 एकड़ शासकीय जमीन पर डेढ साल पहले जिला पंचायत ने एप्पल बेर उगाने की योजना बनायी थी. इसके लिए शासन की ओर से एक करोड़ 33 लाख रुपये दिए गए थे. जिसके लिए ग्राम पंचायत को क्रियान्वयन एजेंसी बनाया गया था.

ऐसे हुआ भ्रष्टाचार का खेल
वहीं भूमि की घेराबंदी करने के बाद उसमें कुल 12 हजार पौधे रोपे गये, जिसमें खाद और मिट्टी के नाम पर 36 लाख खर्च किए गए है और इस पूरी परियोजना में अब तक 85 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं. लेकिन इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी कहीं भी कोई हरा भरा पौधा नजर नहीं आ रहा है. सबसे अहम बात ये है कि क्रियान्वयन एजेंसी ग्राम पंचायत होने के बाद भी राशि का खर्च डायरेक्ट जिला पंचायत की ओर से किया गया.

CEO ने जांच टीम गठित कर कार्रवाई करने की बात कही
वहीं जब ये पूरा खेल चल रहा था उस समय जो जिम्मेदार अधिकारी मौजूद थे. वे अब इस पूरे मामले में जानकारी नहीं होना बता रहे हैं. जबकि तत्कालीन जिला पंचायत CEO का तबादला हो गया है और वर्तमान CEO फाइल देखने के बाद ही कुछ कहने की बात कह रहे हैं. हालांकि CEO पीआर खुंटे ने जांच टीम गठित करने की बात कही है. साथ ही जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई करने का भरोसा दिला रहे हैं.

पढ़े :जिसने उधार पर दिलवाए मार्केट से पैसे उसी महिला की प्रेमी के साथ मिलकर कर दी हत्या

गरियाबंद: जिला पंचायत में एक करोड़ 33 लाख रुपये की लागत से पौधे तैयार करने का टेंडर मिला था. लेकिन जिम्मेदारों ने नियम-कानूनों को ताक पर रखकर परियोजना तैयार की और फिर उसमें जमकर भ्रष्टाचार हुआ.

गरियाबंद: एप्पल बेर के पौधे लगाने के नाम पर लाखों का भ्रष्टाचार

ये है पूरा मामला
दरअसल बिरीघाट पंचायत की 48 एकड़ शासकीय जमीन पर डेढ साल पहले जिला पंचायत ने एप्पल बेर उगाने की योजना बनायी थी. इसके लिए शासन की ओर से एक करोड़ 33 लाख रुपये दिए गए थे. जिसके लिए ग्राम पंचायत को क्रियान्वयन एजेंसी बनाया गया था.

ऐसे हुआ भ्रष्टाचार का खेल
वहीं भूमि की घेराबंदी करने के बाद उसमें कुल 12 हजार पौधे रोपे गये, जिसमें खाद और मिट्टी के नाम पर 36 लाख खर्च किए गए है और इस पूरी परियोजना में अब तक 85 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं. लेकिन इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी कहीं भी कोई हरा भरा पौधा नजर नहीं आ रहा है. सबसे अहम बात ये है कि क्रियान्वयन एजेंसी ग्राम पंचायत होने के बाद भी राशि का खर्च डायरेक्ट जिला पंचायत की ओर से किया गया.

CEO ने जांच टीम गठित कर कार्रवाई करने की बात कही
वहीं जब ये पूरा खेल चल रहा था उस समय जो जिम्मेदार अधिकारी मौजूद थे. वे अब इस पूरे मामले में जानकारी नहीं होना बता रहे हैं. जबकि तत्कालीन जिला पंचायत CEO का तबादला हो गया है और वर्तमान CEO फाइल देखने के बाद ही कुछ कहने की बात कह रहे हैं. हालांकि CEO पीआर खुंटे ने जांच टीम गठित करने की बात कही है. साथ ही जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई करने का भरोसा दिला रहे हैं.

पढ़े :जिसने उधार पर दिलवाए मार्केट से पैसे उसी महिला की प्रेमी के साथ मिलकर कर दी हत्या

Intro:स्लग---भ्रष्टाचार

एंकर----गरियाबंद जिला पंचायत 36 लाख रुपये की खाद डालकर भी 360 पौधे तैयार नही कर पाया, जिम्मेदारों ने नियम कानूनों को ताक पर रखकर परियोजना तैयार की और फिर उसमें जमकर भ्रष्टाचार हुआ।


Body:वीओ 1------घेरा की हुयी बिरीघाट पंचायत की 48 एकड इस शासकीय भूमि पर डेढ साल पहले जिला पंचायत ने एपल बेर उगाने की योजना बनायी थी, इसके लिए एक करोड 33 लाख रुपये सेंशन किये गये, ग्राम पंचायत को क्रियान्वयन एजेंसी बनाया गया, भूमि की घेराबंदी करने के बाद उसमें कुल 12 हजार पौधे रोपे गये, जिसमें खाद और मिट्टी के नाम पर 36 लाख खर्च किये गये, अब तक इस परियोजना पर 85 लाख रुपये खर्च हो चुके है, मगर इतनी बडी रकम खर्च करने के बाद भी कही कोई हरा भरा पौधा नजर नही आ रहा है, सबसे अहम बात ये है कि क्रियान्वयन एंजेसी ग्राम पंचायत होने के बाद भी राशि का खर्च डायरेक्ट जिला पंचायत द्वारा किया गया।

बाइट 1-----सलाम खॉ, पंचायत सचिव..........
बाइट 2---भुवन मांझी, सरपंच............
बाइट 3----निर्भय ठाकुर, जनपद सदस्य...............

वीओ--अब जरा ये भी समझ लीजिए की इस पुरे मामले में क्या क्या गलत हुआ और नियम कानूनों को ताक पर रखकर कैसे बडे भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया ..........

1)----ग्राम पंचायत को क्रियान्यन एंजेसी बनाया गया, जबकि नियमानुसार ग्राम पंचायत को 20 लाख से अधिक के काम अपने स्तर पर करने की पावर ही नही है।

2)--- परियोजना में पानी के लिए बजट की कोई व्यवस्था नही की गयी, फिर खानापूर्ति के लिए आसपास के तीन किसानों के नाम पर सौर उर्जा चलित पंप सेंशन करवाकर नियम विरुद्ध प्लांट में लगवा दिये, उसमें भी ट्रीपिंग व्यवस्था नही की गयी,


3)----इस तरह के पौधे उगाने के लिए जिले में उद्धानिकि विभाग मौजूद है, जिसके पास इस तरह की पुरी टेक्निकल जानकारी होती है, मगर यहॉ जिला पंचायत ने ग्राम पंचायत को एंजेसी बनाकर सारा काम बाहर के कुछ लोगों से करवाया केवल मजदूरी ही गांव के लोगों से करवाई गई शिकायत कर्ताओं का ऐसा आरोप है कि वे लोग अधिकारियों के चाहते थे,


4)---- ग्रामीणों और शिकायत करताओ का आरोप है कि जिन दो ठेकेदारों को खाद सहित दुसरे मटीरियल का भुगतान किया गया उनके पास इस तरह के काम का कोई पुराना लंबे समय तब इस क्षेत्र में कार्य करने का अनुभव नही था,

5)----दोनो ही ठेकेदार तत्कालिन एक बड़े अधिकारी के करीबी होने के चलते इस तरह का कार्य करने का आरोप लग रहे हैं यहॉ से अधिकारी का ट्रांसफर होने के बाद दोनो ठेकेदार भी गायब हो गये है।


6)---सबसे अहम और महत्वपूर्ण कि मनरेगा में सब काम की कई स्तरों पर बेहतर मॉनिटिरिंग की व्यवस्था होती है, इसकी मॉनिटिरिंग क्यों नही हुयी, क्या इस पुरे मामले में उपर से नीचे तक कौन-कौन शामिल थे, या फिर नीचे स्तर के अधिकारियों पर सही मॉनिटरिंग नही करने का कोई दबाव था। यह सवाल खड़े हो रहा है


वीओ 2------ जब ये पुरा खेल चल रहा था उस समय जो जिम्मेदार अधिकारी मौजूद थे वे इस पुरे मामले से अब अनभिज्ञता जाहिर कर रहे है, तत्कालिन जिला पंचायत सीईओ का तबादला हो गया, और वर्तमान सीईओ फाईल देखने के बाद ही कुछ कहने की बात कह रहे है, हालांकि सीईओ पीआर खुंटे ने जॉच दल गठित करने का दावा करते हुए जॉच के बाद दोषियों पर कार्यवाही करने का भरोसा दिलाया है।

बाइट 4-----एलआर साहू, कार्यक्रम अधिकारी, मैनपुर विकासखंड............

बाइट 5---पीआर खुंटे, सीईओ, जिला पंचायत.................


Conclusion:फाईनल वीओ-----पुरे मामले को जिस तरह अंजाम दिया गया उसको देखकर नही लगता कि अधिकारियों की मंशा सही काम करने की थी, जिम्मेदारों ने मिलकर भ्रष्टाचार का जो खेल खेला है उसकी पोल खुलने के बाद अब जिम्मेदार अधिकारी भले ही जॉच करने और दोषियों पर कार्यवाही करने की बात कह रहे हो मगर ऐसा होगा इसको लेकर भी ग्रामीणों में शंका बनी हुयी है।
Last Updated : Nov 7, 2019, 3:32 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.