गरियाबंद: दुनियाभर में आज विश्व सिकलसेल दिवस मनाया जा रहा है. इस पर ETV भारत ने गरियाबंद सिकल सेल के नोडल अधिकारी डॉक्टर प्रवीण अग्रवाल से बात की. जिस पर डॉ. प्रवीण ने सिकलसेल की बीमारी के बारे में बताया.
डॉ. प्रवीण ने बताया कि सिकलसेल की बीमारी खून की कमी से होती है. या यूं कहें कि इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को खून की कमी हो जाती है. इस बिमारी को सिकलसेल एनिमिया कहा जाता है. इसका मतलब इसके नाम में ही छिपा है. 'सिकल' जिसका मतलब होता है 'हसिया', इस बिमारी में इंसान के शरीर में जो लाल रक्त कणिकाएं होती है उसका आकार गोल न होकर हसिए के जैसा हो जाता है, जिससे रक्त कणिकाओं में खून नहीं जा पाता है. इस वजह से लोगों में कमजोरी और खून की कमी जैसी समस्याएं होती है.
लोगों को जागरूक करना जरूरी
सिकलसेल अनुवांशिक बिमारी है. इस बिमारी से पीड़ित मरीज के हाथ पैर में सूजन, जोड़ों में दर्द, ब्लड क्लॉटिंग, इंफेक्शन और रक्त कोशिकाओं में सही मात्रा में ऑक्सीजन न पहुंचने जैसी समस्याएं होती है. छत्तीसगढ़ में भी सिकलसेल से पीड़ित मरीजों की अधिकता देखी गई है. जिसके चलते लोगों में इसकी जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है.
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नि:शुल्क रक्त की व्यवस्था
डॉ अग्रवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए प्रदेश के 27 जिलों में ब्लड बैंक की स्थापना की है. जिससे जरुरतमंदो को नि:शुल्क रक्त उपलब्ध कराया जा सके. ताकि उन्हें जरूरत पड़ने पर तकलीफ ना हो. इसके अलावा दुर्ग जिले में भी सिकलसेल के मरीजों की जांच के लिए व्यवस्था की गई है. पूरे जिले में इसके लिए बाकायदा सर्वे करवाया गया.
प्रदेश में 10 प्रतिशत लोग प्रभावित
इस बीमारी से जुड़ी दुखद बात यह है कि इसकी संख्या प्रदेश में लाखों में है. सरकारी अनुमान के मुताबिक कुल आबादी का करीब 10 प्रतिशत हिस्सा, सिकलसेल से गंभीर नहीं तो आंशिक रूप से पीड़ित हैं.