गरियाबंद: कोरोना वायरस को हरा कर घर लौटी बल्दी बाई का एक दिन बाद ही हार्ट अटैक से निधन हो गया. गरियाबंद जिले के मैनपुर ब्लॉक के कुल्हाड़ीघाट गांव की रहने वाली 92 साल की बल्दी बाई कांग्रेस की पोस्टर लेडी (congress poster lady) के रूप में मशहूर थीं. साल 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (rajeev gandhi) अपनी पत्नी सोनिया गांधी(sonia gandhi) के साथ उनके घर पहुंचे थे और उनके हाथों से कंदमूल खाए थे.
नहीं रहीं बल्दी बाई
उम्र के आखिरी पड़ाव में 92 साल की बल्दी बाई बुधवार को कोरोना से जंग जीतकर अपने गांव लौटी थीं. लेकिन गुरुवार को हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया. 10 दिनों तक अस्पताल में संघर्ष करने के बाद बुधवार को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी, लेकिन गुरुवार सुबह उन्हें अचानक हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई. गरियाबंद के सीएमओ ने उनके निधन की पुष्टि की है. उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है.
पूर्व पीएम राजीव गांधी के खिलाया था कंदमूल
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड के कुल्हाड़ीघाट गांव की रहने वाली बल्दी बाई 36 साल पहले 1985 में पहली बार चर्चा में आई थीं, जब भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पत्नी सोनिया के साथ उनके घर पहुंचे थे. बल्दी बाई ने अपने हाथों से उन्हें करूं कांदा नामक कंदमूल खिलाया था. अपने भीतर कई यादें समेटे बल्दी बाई ने दुनिया को अलविदा कह दिया.
कोरोना को मात देने के बाद बल्दी बाई का गरियाबंद में कार्डियक अरेस्ट से निधन
सीएम भूपेश ने इलाज के लिए की थी समुचित व्यवस्था
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विशेष रूचि लेकर बल्दी बाई का इलाज रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में करवाया. किसी तरह बल्दी बाई ने कोरोनावायरस से जंग तो जीत ली. लेकिन हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया.
गांव तक पहुंचा कोरोना
कोरोना वायरस हर कहीं कहर बरपा रहा है. बल्दी बाई जिस गांव में रहती थीं. वह काफी अंदरूनी इलाके में था. बाहरी व्यक्ति वहां कम ही जाया करते थे. गांव में कोरोना वायरस कौन लेकर आया यह समझ में किसी को नहीं आया. गांव के दर्जन भर से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हो गए. बल्दी बाई भी चपेट में आ गईं. बल्दी बाई महिला विशेष पिछड़ी जनजाति का दर्जा प्राप्त कमार जनजाति से थीं.
कांग्रेस की पोस्टर लेडी बल्दी बाई
कांग्रेस के सभी छोटे-बड़े नेताओं ने खुद को फेमस बनाने के लिए बल्दी बाई को जरिया बनाया. उनके साथ फोटो खिंचवाई. राजीव गांधी की जयंती हो या पुण्यतिथि. कांग्रेस नेता बल्दी बाई के पास पहुंचकर उनके साथ फोटो खिंचवाया करते थे. कांग्रेस के बैनर-पोस्टर में नेताओं के साथ बल्दी बाई भी नजर आया करती थीं. मगर बल्दी बाई की मुफलिसी का दौर कभी खत्म नहीं हुआ. परिवार चलाने अंतिम समय तक बल्दी बाई बांस की टोकरी बनाती रहीं.
नहीं सुधरी गांव और बल्दी बाई की स्थिति
प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी जब बल्दी बाई के गांव कुल्हाड़ीघाट गांव पहुंचे तो ग्रामीणों को लगा कि उनके दिन फिरेंगे. गांव के लिए कुछ अच्छा होगा. ना गांव के हालात सुधरे और ना ही बल्दी बाई के सालों तक कच्ची झोपड़ी में ही दिन गुजारने पड़े. पहले पति और फिर बेटे की मौत. दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद करते हो गईं.