गरियाबंद: रायपुर संभाग के राजिम विधानसभा सीट पर भाजपा ने अपना प्रत्याशी तय कर लिया है. बीजेपी की तरफ से रोहित साहू को उम्मीदवार घोषित किया गया है. अब कांग्रेस इसकी काउंटर स्ट्रेटजी बनाने में लगी है. राजिम विधानसभा सीट पर साहू समाज का दबदबा है. साहू समाज के बाद यहां सिन्हा समाज के लोग भी रहते हैं.वर्तमान में इस सीट पर कांग्रेस से अमितेश शुक्ल विधायक हैं. इस बार भी कांग्रेस ने अमितेश शुक्ल को ही प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बीजेपी ने इस बार रोहित साहू टिकट दिया है.बीजेपी उम्मीदवार रोहित साहू साहू समाज से आते है. इस सीट पर साहू समाज की संख्या अधिक है. साहू समाज ही इस सीट पर निर्णायक की भूमिका निभाते हैं. यही कारण है कि भाजपा ने यहां से साहू समाज के प्रत्याशी को चुना है.
राजिम विधानसभा में जातीय समीकरण: राजिम विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो सबसे ज्यादा मतदाता साहू समाज से हैं.साहू समाज के बाद सिन्हा समाज से जुड़े लोग इस विधानसभा में निवासरत है.कुल मिलाकर पिछड़ी जाति के वोटर्स यहां प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करते हैं. इसके बाद आदिवासी और सामान्य वर्ग के वोटर्स आते हैं.
जानिए कौन हैं रोहित साहू ?: रोहित साहू वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं, जो पिछले विधानसभा चुनाव में जनता कांग्रेस से चुनाव लड़े थे. साल 2021 में 13 हजार समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे. रोहित साहू राजिम के पास के पीपरछेड़ी गांव के रहने वाले हैं. रोहित दो बार सेम्हरतरा गांव के सरपंच भी रह चुके हैं.
मतदाताओं की संख्या: इस विधानसभा में मतदाताओं की संख्या 2 लाख 28 हजार 335 है. जिसमें 112163 पुरुष और 116167 महिला मतदाता हैं. वहीं, थर्ड जेंडर मतदाता 5 हैं. विधानसभा में 274 मतदान केंद्र हैं. जिनमें से 27 केंद्रों को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है. इस बार करीब 20 हजार लोग पहली बार वोट डालेंगे. 80 वर्ष से अधिक मतदाताओं की संख्या 4018 है. विधानसभा में 1000 महिलाओं पर 1020 पुरूष हैं. 2018 के चुनाव में 82.86 प्रतिशत वोटिंग इस विधानसभा में हुई थी.
राजिम विधानसभा के मुद्दे और समस्याएं : कृषि प्रधान इलाका होने के कारण इस क्षेत्र में किसानों से जुड़ी समस्याएं और मुद्दे चुनाव में हावी रहते हैं. लेकिन अब यहां की जनता उद्योग को लेकर भी सरकार से सवाल पूछ रही है. क्योंकि उद्योग नहीं होने से स्थानीय लोगों को रोजगार के लिए दूसरे जिले या राज्य में पलायन करना पड़ता है.राजिम को तीर्थ स्थल घोषित करने के बाद करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए गए हैं. लेकिन तीर्थ नगरी के लोगों की समस्याओं को नहीं सुना गया. इस बार आगामी विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी,शिक्षा और उद्योगों की कमी का मुद्दा राजिम विधानसभा में जमकर उठेगा.
साल 2018 के चुनावी नतीजे: राजिम के पिछले चुनाव नतीजों की बात करें तो कांग्रेस ने अमितेश शुक्ल को टिकट दिया था. वहीं बीजेपी की ओर से संतोष उपाध्याय ने कमान संभाली थी.चुनाव हुए तो अमितेश शुक्ल ने संतोष उपाध्याय को 58 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त दी थी. अमितेश शुक्ल को 99041 मत मिले थे.वहीं संतोष उपाध्याय को 40909 वोट मिले थे. 58132 वोटों से बीजेपी को ये सीट गंवानी पड़ी थी. 2013 के चुनाव में इस सीट से संतोष उपाध्याय विधायक बने थे.
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों से जनता मायूस: राजिम विधानसभा हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है. लेकिन यहां से चुने जाने वाले जनप्रतिनिधि इस क्षेत्र के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सके हैं. इस विधानसभा में ना तो कोई बड़ा उद्योग लगा ना ही रोजगार के साधन बनाए गए. इस विधानसभा की ज्यादातर आबादी खेती किसानी पर निर्भर है.चुनाव के दौरान किसानों से जुड़े मुद्दों को ही तवज्जो दी जाती है.इस विधानसभा में कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी का कब्जा रहा है. लेकिन जब बात उद्योग की आती है तो दोनों ही दलों के जनप्रतिनिधियों के पास ठोस जवाब नहीं होता.