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छत्तीसगढ़ में अब ये क्या हो रहा है, नहर के अंदर हो रही खेती !

Farming In Canal Of Gariaband: गरियाबंद में सरकार द्वारा लागू 8 साल पुरानी जलप्लावन योजना फेल नजर आ रही है. यहां किसान नहरों में दलहन की खेती करने को मजबूर हैं. वहीं, अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही समस्या का निपटारा हो जाएगा.

Farming In Canal Of Gariaband
नहरों में दलहन की खेती करने को मजबूर किसान
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 7, 2023, 4:53 PM IST

नहर के अंदर हो रही खेती

गरियाबंद: गरियाबंद में सरकार की योजनाएं फेल साबित हो रही है. यहां के देवभोग सिंचाई अनुविभाग में 8 साल पहले 54 करोड़ की लागत से नहर तैयार की गई थी. लेकिन यहां से पानी नहीं दिया जा रहा है, जिसकी वजह से किसान यहां नहर में खेती करने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं अधिग्रहण किए जमीन का मुआवजा कई किसानों को नहीं मिला है. यही कारण है कि किसान नहरों में दलहन तिलहन की खेती कर रहे हैं.

नहर योजना हुई फेल : दरअसल, जलप्लावन योजना बारहों माह बहने वाली नदियों को लेकर बनाया जाता है. लेकिन क्षेत्र में कम पानी बहने वाली नदी में बना करोड़ों रुपया बर्बाद कर दिया गया है. योजना के सपोर्ट के लिए बनाए जाने वाले योजना का काम ओडिशा सीमा विवाद के कारण बंद कर दिया गया. यही वजह है कि क्षेत्र के 27 गांव के 3186 हेक्टेयर सिंचाई की सुविधा देने का दावा करने वाली यह योजना फेल हो गई है.

क्या कहते हैं किसान: किसानों की मानें तो सालों से ये इंतजार कर रहे हैं. हालांकि अब तक किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है. वहीं, दूसरी ओर किसानों को खेती किसानी में पानी की कमी झेलने के साथ ही अन्य दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है.

इस बार नहर से सिंचाई का पानी नहीं मिला. खरीफ की फसल चौपट हो गई है. हम किसानों ने अपनी लागत वसूलने के लिए अपने खेतों से होकर गए नहरों के भीतर ही जुताई की है. हमने दलहन की खेती की है.- किसान

अधिकारियों ने दिया आश्वासन: वहीं, इस मामले में अधिकारी कुछ भी कहने से इंकार कर रहे हैं. दूसरी ओर लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. नहर में पानी न होने के कारण किसान नहर में ही खेती कर रहे हैं. अधिकारियों की मानें तो नहर लाइनिंग के काम का प्रस्ताव भेजा गया है. इसके बनते ही सिंचाई की सुविधा मुहैया कराई जाएगी.

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नहर योजना हुई फेल : दरअसल, जलप्लावन योजना बारहों माह बहने वाली नदियों को लेकर बनाया जाता है. लेकिन क्षेत्र में कम पानी बहने वाली नदी में बना करोड़ों रुपया बर्बाद कर दिया गया है. योजना के सपोर्ट के लिए बनाए जाने वाले योजना का काम ओडिशा सीमा विवाद के कारण बंद कर दिया गया. यही वजह है कि क्षेत्र के 27 गांव के 3186 हेक्टेयर सिंचाई की सुविधा देने का दावा करने वाली यह योजना फेल हो गई है.

क्या कहते हैं किसान: किसानों की मानें तो सालों से ये इंतजार कर रहे हैं. हालांकि अब तक किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है. वहीं, दूसरी ओर किसानों को खेती किसानी में पानी की कमी झेलने के साथ ही अन्य दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है.

इस बार नहर से सिंचाई का पानी नहीं मिला. खरीफ की फसल चौपट हो गई है. हम किसानों ने अपनी लागत वसूलने के लिए अपने खेतों से होकर गए नहरों के भीतर ही जुताई की है. हमने दलहन की खेती की है.- किसान

अधिकारियों ने दिया आश्वासन: वहीं, इस मामले में अधिकारी कुछ भी कहने से इंकार कर रहे हैं. दूसरी ओर लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. नहर में पानी न होने के कारण किसान नहर में ही खेती कर रहे हैं. अधिकारियों की मानें तो नहर लाइनिंग के काम का प्रस्ताव भेजा गया है. इसके बनते ही सिंचाई की सुविधा मुहैया कराई जाएगी.

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