गरियाबंद: छत्तीसगढ़ सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट हमर गौठान अब धरातल पर दिखने लगा है. गरियाबंद में सरकार की योजना अब आकार लेने लगी है. सरकार की योजना को जिला प्रशासन के आला अधिकारी सफल बनाने में जुटे हैं.
जिले के हर पंचायत में 20 लाख रुपये की लागत गौठान का निर्माण कराया जा रहा है. जिसमें पशुओं के लिए चारा, पानी और बैठने की उत्तम व्यवस्था की जा रही है. इसके अलावा गौठानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वर्मी कम्पोस्ट और कम्पोस्ट खाद टैंको का भी निर्माण किया गया है. ताकि इससे होने वाली कमाई से समय-समय पर पशुओं के लिए चारा और दूसरी जरूरी चीजें खरीदी जा सकें. गौठान में गांव का कोई भी किसान अपने पशुओं को भेज सकता है. पशुओं का ख्याल रखने वाले चरवाहों के लिए भी गौठान में विशेष व्यवस्थाएं की जा रही है. जिले में गौठान का कामकाज महिला समूहों को सौंपा गया है.
कैसे काम करेगा योजना
सरकार नरवा, गरवा, घुरुआ और बाड़ी को बचाने के लिए एक योजना बनाई है. इसके लिए हर गांव में चार समितियां बनाई जा रही है. जो नरवा, गरवा, घुरुआ और बाड़ी से जुड़े काम करेगी.
नरवा समिति: नरवा समिति जल संरक्षण पर ध्यान देगी. गांव का पानी बहकर बर्बाद न हो इसके लिए इस टीम द्वारा काम किया जाएगा.
गरवा समिति: गरवा समिति पशुधन गौठान का पूरा उपयोग करें इसका ध्यान रखेगी.
घुरुआ समिति: इसके साथ घुरुआ समिति को गांव के कचरा फेंकने की जगह से खाद बनाकर उसे गांव वालों के उपयोग में लाने और बेचने के लिए काम करेगी.
बाड़ी समिति: बाड़ी समिति ये देखेगी कि जिसके भी घर में खाली जगह है उस जगह पर कुछ उगा कर उसका उपयोग करें. इसके तहत पहली प्राथमिकता सब्जियों को दी जाएगी. इसके बाद मुनगा आदि के पेड़ को लगाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा.