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दुर्ग में बरगद के पेड़ से निकल रहा पानी, बड़ी संख्या में लोगों ने शुरू की पूजा अर्चना - बरगद के पेड़ से निकल रहा पानी

Water Coming From Banyan Tree: दुर्ग में एक बरगद के पेड़ से पानी गिर रहा है. लोग इस पेड़ की पूजा कर रहे हैं. लोगों का मानना है कि ये दैवीय कृपा है. लोग इस पानी को लेकर पी रहे हैं. लोगों के इस दावे की पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता.

water coming From banyan tree
पेड़ से निकल रहा पानी
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 13, 2024, 7:52 PM IST

बरगद के पेड़ से निकल रहा पानी

दुर्ग: दुर्ग जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है. जिले में एक बरगद के पेड़ को काटने पर पानी गिर रहा है. जिले के मरोदा रेलवे स्टेशन पर एक बरगद के पड़े को काटने के बाद दो दिनों से पानी निकल रहा हैं. स्थानीय लोग इसे चमत्कार मान रहे हैं. लोग ये पानी बर्तनों में भरकर ले जा रहे हैं. लोगों का मानना है कि ये पेड़ से गिरता पानी दैवीय कृपा है. कई स्थानीय लोगों ने दावा किया है कि इस पानी को पीने से रोग खत्म हो रहा है.

पेड़ की कटाई के दौरान निकलने लगा पानी: दरअसल, जिले के मरोदा रेलवे स्टेशन पर बरगद का काफी पुराना पेड़ है. यह पेड़ निर्माणाधीन नई रेलवे लाइन की जद में आ रहा है. यही कारण है कि रेलवे ने पड़े काटने से पहले उसकी डालों की छंटाई शुरू कर दी. पेड़ की डाल को काटने के बाद उसमें से पानी निकलने लगा. स्थानीय लोगों की मानें तो ये पानी पीने से बीमारियां दूर होती है. लोगों का कहना है कि इस पेड़ पर दैवीय कृपा है. लोग पेड़ नहीं काटने देंगे. पेड़ के पास भगवान शिव का मंदिर भी बना हुआ है. लोग अब पेड़ के आसपास पंडाल लगाकर पूजा करना भी शुरू कर दिए हैं. यानी कि इस पेड़ से लोगों की आस्था जुड़ गई है.

बरगद के पेड़ में भगवान का वास होता है. इसलिए हम पूजा कर रहे हैं. रेलवे के अधिकारियों ने इस पेड़ को कटवाने का प्रयास किया. लेकिन पेड़ नहीं काट पाए. अब पेड़ से बूंद-बूंद कर पानी निकल रहा है. -स्थानीय निवासी

स्थानीय लोगों की जुड़ी आस्था: बता दें कि स्थानीय लोग ये पानी ग्लास, लोटा और अन्य बर्तनों में भर रहे हैं. इस पानी को लोगों ने अपने घर में रख लिया है. पानी को प्रसाद के रूप में यहां के लोग उपयोग कर रहे हैं. इसे छिड़कने से सभी रोग और दोष मिटने का ये लोग दावा कर रहे हैं. इस पेड़ के ठीक नीचे भगवान भोलेनाथ का छोटा सा मंदिर बना है. महादेव की कृपा है. लोग यहां पंडाल बनाकर पूजा कर रहे हैं. यहां से लोगों की आस्था जुड़ गई है. हालांकि ये पानी कहां से आ रहा है? इस पानी का स्रोत क्या है? इस बारे में किसी जानकार ने अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन लोगों की अटूट आस्था कुछ ही देर में पेड़ से जुड़ गई है.

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बरगद के पेड़ से निकल रहा पानी

दुर्ग: दुर्ग जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है. जिले में एक बरगद के पेड़ को काटने पर पानी गिर रहा है. जिले के मरोदा रेलवे स्टेशन पर एक बरगद के पड़े को काटने के बाद दो दिनों से पानी निकल रहा हैं. स्थानीय लोग इसे चमत्कार मान रहे हैं. लोग ये पानी बर्तनों में भरकर ले जा रहे हैं. लोगों का मानना है कि ये पेड़ से गिरता पानी दैवीय कृपा है. कई स्थानीय लोगों ने दावा किया है कि इस पानी को पीने से रोग खत्म हो रहा है.

पेड़ की कटाई के दौरान निकलने लगा पानी: दरअसल, जिले के मरोदा रेलवे स्टेशन पर बरगद का काफी पुराना पेड़ है. यह पेड़ निर्माणाधीन नई रेलवे लाइन की जद में आ रहा है. यही कारण है कि रेलवे ने पड़े काटने से पहले उसकी डालों की छंटाई शुरू कर दी. पेड़ की डाल को काटने के बाद उसमें से पानी निकलने लगा. स्थानीय लोगों की मानें तो ये पानी पीने से बीमारियां दूर होती है. लोगों का कहना है कि इस पेड़ पर दैवीय कृपा है. लोग पेड़ नहीं काटने देंगे. पेड़ के पास भगवान शिव का मंदिर भी बना हुआ है. लोग अब पेड़ के आसपास पंडाल लगाकर पूजा करना भी शुरू कर दिए हैं. यानी कि इस पेड़ से लोगों की आस्था जुड़ गई है.

बरगद के पेड़ में भगवान का वास होता है. इसलिए हम पूजा कर रहे हैं. रेलवे के अधिकारियों ने इस पेड़ को कटवाने का प्रयास किया. लेकिन पेड़ नहीं काट पाए. अब पेड़ से बूंद-बूंद कर पानी निकल रहा है. -स्थानीय निवासी

स्थानीय लोगों की जुड़ी आस्था: बता दें कि स्थानीय लोग ये पानी ग्लास, लोटा और अन्य बर्तनों में भर रहे हैं. इस पानी को लोगों ने अपने घर में रख लिया है. पानी को प्रसाद के रूप में यहां के लोग उपयोग कर रहे हैं. इसे छिड़कने से सभी रोग और दोष मिटने का ये लोग दावा कर रहे हैं. इस पेड़ के ठीक नीचे भगवान भोलेनाथ का छोटा सा मंदिर बना है. महादेव की कृपा है. लोग यहां पंडाल बनाकर पूजा कर रहे हैं. यहां से लोगों की आस्था जुड़ गई है. हालांकि ये पानी कहां से आ रहा है? इस पानी का स्रोत क्या है? इस बारे में किसी जानकार ने अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन लोगों की अटूट आस्था कुछ ही देर में पेड़ से जुड़ गई है.

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