दुर्ग: अक्सर आपने रामलीला (Ramlila) का मंचन होते देखा होगा. जहां राम (Ram) और सीता (Sita) के साथ रामायण (Ramayan) के हर पात्र का किरदार कलाकार बखूबी निभाते हैं. लेकिन इन किरदार को निभाना आसान नहीं है. यही कारण है कि ग्रामीण अंचलों में जहां दुर्गापूजा (Durga puja) के बाद अक्सर रामलीला का मंचन (Daughters Ramlila staged) होता है, वहां इन किरदारों को युवक निभाते हैं. ज्यादातर तो महिला का किरदार भी युवकों को निभाते हुए देखा गया है. हालांकि बदलते दौर के साथ हर चीज बदल रही है.
आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे गांव की बेटियों के बारे में जो किसी नजीर से कम नहीं है. दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल(Chief Minister Bhupesh Baghel) के गृह विधानसभा पाटन के तर्रा गांव (Home Assembly Tarra village of Patan) का दशहरा (Dussehra) इस बार बेहद खास है. क्योंकि यहां इस बार गांव की बेटियां रामायण (Ramayan) के हर पात्र का किरदार निभा रही हैं. चाहे किरदार राम (Ram) का हो या फिर रावण (Rawan) का या फिर हनुमान (Hanuman) का ये बेटियां (Daughters) हर किरदार में खुद को न सिर्फ ढ़ाल चुकी है. बल्कि बखूबी उन किरदारों का मंचन भी कर रही है.
कंधे पर धनुष और गदा लेकर बेहतर अभिनय कर रही बेटियां
मंचन से लेकर प्रदर्शन तक सब कुछ यहां बेंटिया ही कर रही हैं. वहीं मंच पर जब कंधे पर धनुष, हाथों में गदा और तलवार लिए बेटियों को देखा गया तो ये अंदाजा भी लगाना मुश्किल था कि जब वे रामलीला के संवादों को बोलेंगी तो उनकी हल्की काया से भारी और बुलंद आवाज हर किसी को हतप्रभ कर देगी. यकीन मानिए अंगद के किरदार में गोल्डी जब चारों दिशा में गदा घुमाकर रावण को राम का संदेशा सुनाती है, तो देखने वाले उसकी कलाकारी के कायल हो जाते हैं. ऐसे लगता है कि मानो ये कोई प्रशिक्षित कलाकार है.
खुद को किरदार में ढ़ाल रही बेटियां
वही, लक्ष्मण के किरदार में शिवानी कुछ इस तरह डूब गई कि रावण को देख उसका चेहरा भी गुस्से से लाल होने लगा. कुछ ऐसा ही नजारा तर्रा गांव के पंचायत भवन परिसर का था. जहां देर शाम होते ही गांव की बेटियां रामलीला की रिहर्सल में जुट गई है.
ऐसे बनी बेटियों के रामलीला की टीम
बताया जा रहा है कि ये पहली बार है जब राम और रावण सहित पूरी रामलीला में अभिनय बेंटिया कर रही है. बेटियां और रामलीला सुनकर जरा अजीब लगता है, वो भी एक गांव में बेटियों का रामलीला मंचन. दरअसल, तीन साल पहले गांव के बुजुर्गो ने फैसला लिया था कि गांव की रामलीला अब बेटियां ही करेंगी. रामलीला में किरदार निभाने वाले पुरुषों ने अपनी बेटियों को आगे लाया और बन गई यहां बेटियों की रामलीला की टीम.
पंचायत उठाते हैं रामलीला का खर्च
वहीं, इस विषय में गांव के सरपंच डॉ. योगेश चंद्राकर बताते हैं कि गांव की हमारी 35 से अधिक बेटियां किसी से कम नहीं और जब गांव के रामलीला में बेटियों को शामिल करने की बात आई तो कई घरों की बेटियां आगे आ गई और चंद दिनों में ही उन्होंने रामायण के किरदारों में खुद को ढाल भी लिया. अब बेटियों का हौसला बढ़ाने रामलीला का सारा खर्च पंचायत उठाती है. इतना ही नहीं उन्हें जिस चीज की जरूरत होती है उन्हें उपलब्ध कराई जाती है.
शामिल हैं ये बेटियां
बता दें कि रामलीला की टीम में शामिल निकिता, शिवानी, वर्षा, गोल्डी, तोषिका जैसी बेटियां इसमें भाग लेकर काफी खुश हैं. वे कहती हैं कि गांव में अब उनकी पहचान रामायण के किरदारों के रूप में होने लगी है. वे लगातार तीन साल से एक ही किरादर को निभाती आ रही हैं. इसलिए अब संवाद उन्हें जुबानी याद हैं.
गांव में एक अलग ही बनी पहचान
इस बारे में शिवानी कहती हैं कि उस वक्त बहुत अच्छा लगता है जब लोग देखकर यह कहते हैं कि, अरे यह तो वही है जो रामलीला में लक्ष्मण बनती है. वहीं, राम बनी निकिता ने बताती है कि राम का स्वाभाव सौम्य, शांत है और उनके किरदार को पाकर वे अपने जीवन में भी शांति का अनुभव करती हैं. वहीं, रावण के किरदार को निभाने वाली कलाकार संतोषी तिवारी कहती हैं कि जब उन्हें रावण का किरदार निभाने को कहा गया तो उन्होंने झट से हां कर दी थी, क्योंकि रावण का कैरेक्टर रामायण की जान है. वे कहती हैं कि गांव में बेटियों की रामलीला करने का फैसला लेकर गांव के बुजुर्गो ने एक नया नारा दिया बेटी को आगे बढ़ाओ. बताया जा रहा है कि इस रामलीला की टीम के बनने के बाद अब हर साल इसमें किरदारों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है.