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पेसा कानून के विरोध में राजभवन घेरने निकले आदिवासी

पेसा कानून का फायदा नहीं मिलने पर आदिवासी राज्यपाल से मुलाकात करने पैदल निकले थे. वे दुर्ग पहुंच चुके हैं. 25 जनवरी को राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से रूबरू कराएंगे.

पेसा कानून
पेसा कानून के विरोध में राजभवन घेरने निकले आदिवासी
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Published : Jan 23, 2021, 8:39 PM IST

दुर्ग :पेसा कानून की विसंगतियों से नाराज आदिवासियों का जत्था राजनादगांव के अंदरूनी और नक्सल प्रभावित क्षेत्र खडग़ांव से पैदल चलते हुये दुर्ग पहुंचा. इस यात्रा में हजारों की संख्या में महिला पुरुष और जवान शामिल हैं. 20 जनवरी से खड़गांव से शुरू हुआ ये पद यात्रा 25 जनवरी को राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से रूबरू कराएंगे.

पेसा कानून के विरोध में राजभवन घेरने निकले आदिवासी

पेसा कानून के परिपालन को लेकर पिछले तीन महीनों से संघर्षरत ये आदिवासी अब सड़को पर उतर आये हैं. हजारो की संख्या में इन्होंने अब राजभवन की ओर कूच किया है. अपनी व्यवस्था खुद कर ये आदवासी पैदल आगे बढ़ रहे हैं. आदिवासियों के साथ बहुत से बच्चे भी शामिल हैं.

पढ़ें : रायपुर में किसानों ने बोला हल्ला, कृषि कानून वापस लेने की मांग

बैनर पोस्टर लेकर पैदल निकले आदिवासी
आगे बढ़ रहे आदिवासियों के पोस्टर में पेसा कानून विसंगतियां दूर करने समेत जल, जंगल, जमीन के संरक्षण के नारे लिखे हुए हैं. आदिवासियो का मांग है कि जो प्रशासन द्वारा मूलभूत सुविधाएं मिलती है उससे वे वंचित हैं. इसलिए वे पैदल ही राज्यपाल से मिलने जा रहे हैं. पैदल यात्रा का नेतृत्व कर रहे मोतीलाल हिरवानी का कहना है, कि संविधान की 5वी अनुसूची में आदिवासी संस्कृति, भाषा, जीवनशैली और अधिकारों के संरक्षण राज्यपाल द्वारा तय किया जाता है. लेकिन छत्तीसगढ़ में न तो उनका संरक्षण हो रहा है और न ही पेसा कानून का पालन किया जा रहा है. 20 जनवरी से शुरू हुई उनकी पैदल यात्रा 25 तारीख को राजभवन पहुंचकर समाप्त होगी. वे राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपेंगे.

दुर्ग :पेसा कानून की विसंगतियों से नाराज आदिवासियों का जत्था राजनादगांव के अंदरूनी और नक्सल प्रभावित क्षेत्र खडग़ांव से पैदल चलते हुये दुर्ग पहुंचा. इस यात्रा में हजारों की संख्या में महिला पुरुष और जवान शामिल हैं. 20 जनवरी से खड़गांव से शुरू हुआ ये पद यात्रा 25 जनवरी को राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से रूबरू कराएंगे.

पेसा कानून के विरोध में राजभवन घेरने निकले आदिवासी

पेसा कानून के परिपालन को लेकर पिछले तीन महीनों से संघर्षरत ये आदिवासी अब सड़को पर उतर आये हैं. हजारो की संख्या में इन्होंने अब राजभवन की ओर कूच किया है. अपनी व्यवस्था खुद कर ये आदवासी पैदल आगे बढ़ रहे हैं. आदिवासियों के साथ बहुत से बच्चे भी शामिल हैं.

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बैनर पोस्टर लेकर पैदल निकले आदिवासी
आगे बढ़ रहे आदिवासियों के पोस्टर में पेसा कानून विसंगतियां दूर करने समेत जल, जंगल, जमीन के संरक्षण के नारे लिखे हुए हैं. आदिवासियो का मांग है कि जो प्रशासन द्वारा मूलभूत सुविधाएं मिलती है उससे वे वंचित हैं. इसलिए वे पैदल ही राज्यपाल से मिलने जा रहे हैं. पैदल यात्रा का नेतृत्व कर रहे मोतीलाल हिरवानी का कहना है, कि संविधान की 5वी अनुसूची में आदिवासी संस्कृति, भाषा, जीवनशैली और अधिकारों के संरक्षण राज्यपाल द्वारा तय किया जाता है. लेकिन छत्तीसगढ़ में न तो उनका संरक्षण हो रहा है और न ही पेसा कानून का पालन किया जा रहा है. 20 जनवरी से शुरू हुई उनकी पैदल यात्रा 25 तारीख को राजभवन पहुंचकर समाप्त होगी. वे राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपेंगे.

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