ETV Bharat / state

भिलाई: 20 साल में भी नहीं बन पाया 3 मंजिला कॉम्प्लेक्स, अब भी जारी है विवाद

भिलाई हाइवे पर चंद्रा मौर्या टॉकिज के सामने बने कॉम्प्लेक्स का विवादों से पुराना नाता है. कॉम्प्लेक्स के निर्माण पूरा होने से पहले एक बार फिर इसपर विवाद शुरू हो गया है. इस बार भिलाई नगर निगम के वार्ड 12 के बीजेपी पार्षद ने इसके निर्माण में धांधली का आरोप लगाया है.

20 साल में भी नहीं बन पाया 3 मंजिला कॉम्प्लेक्स,
author img

By

Published : Sep 28, 2019, 8:09 AM IST

Updated : Sep 28, 2019, 11:55 AM IST

भिलाई: हाइवे पर चंद्रा मौर्या टकिज के सामने बने कॉम्प्लेक्स का विवादों से पुराना नाता लगता है. कॉम्प्लेक्स आबंटन से लेकर निर्माण तक इसपर कई बार विवाद हो चुका है. कॉम्प्लेक्स आबंटन के 20 साल बाद निर्माण की अनुमति निगम से मिल तो गई है, लेकिन निर्माण पूरा होने से पहले एक बार फिर इसपर विवाद शुरू हो गया है. इस बार भिलाई नगर निगम के वार्ड 12 के बीजेपी पार्षद ने इसके निर्माण में धांधली का आरोप लगाया है.

20 साल में भी नहीं बन पाया 3 मंजिला कॉम्प्लेक्स

भिलाई नगर निगम के चंद्रा मौर्या के सामने निर्माणाधीन 3 मंजिला कॉम्प्लेक्स 2 दशक से निर्माण पूरा होने की राह देख रहा है. 18 नबंबर 1999 में कॉम्प्लेक्स के लिए भूखंड का आबंटन 4 अलग-अलग लोगों के नाम पर हुआ था. जिसमें विजय गुप्ता, शशि गुप्ता, यशबीर बंसल और मीरा बंसल का नाम शामिल था. भूखंड आबंटन के समय भिलाई नगर निगम साडा के तहत आता था. जिसमें आबंटित जमीन को लेकर शर्त थी कि पट्टा शुरू होने की तारीख से 2 साल के भीतर और अधिकतम 4 साल के अंदर भवन निर्माण पूर्ण कर लेना है. साथ ही भवन निर्माण पूरा नहीं होने की स्थिति में पट्टा निरस्त कर विशेष शुल्क, सेवा शुल्क के साथ अन्य राशि वापस करना है, लेकिन 20 साल बाद भी कॉम्प्लेक्स का निर्माण नहीं हो सका.

पढ़ेः-सीएम भूपेश ने दुर्ग को दी करोड़ों की सौगात, कहा- बदलेगी जिले की तस्वीर

20 साल तक भवन निर्माण जरूरी अनुमति की फाइल मंत्रालय से कार्यालय तक घूमता रहा. क्योंकि नगर तथा ग्राम निवेश में ये भूमि उद्यान, वृक्षारोपण और पार्किंग के लिए संरक्षित रखा गया था. इस भूखंड पर कॉम्प्लेक्स निर्माण के लिए हाइवे से उसकी दूरी का मापदंड पूरा नहीं बता रहा था. वहीं भवन निर्माण से जुड़ी फाइलों के साथ एक अजीब इत्तेफाक भी जुड़ा है कि इसका आबंटन कब हस्तांतरण हुआ इसके कोई भी दस्तावेज या मूल नस्ती फाइल में ही नहीं है, कारण पूछने पर निगम के अधिकारी कई बार आग लगने का हवाला देते रहे.

पढ़ेः-दुर्ग: सीमेंट कंपनी को नगर निगम का नोटिस, 30 में संपत्ति कर जमा करने के निर्देश

इस विवादस्पद कॉम्प्लेक्स निर्माण के लिए अभी 2 महीने पहले भवन अनुज्ञा मिला, जिसके बाद यहां 2 महीनो में तीन मंजिला भवन का निर्माण करा दिया गया. अब भिलाई नगर निगम के 12 वार्ड के पार्षद का कहना है 2014 में हाईकोर्ट के आदेश पर जांच समिति गठित की गई थी, जिसमें निगम के अधिकारी और पार्षद दल ने जांच कर रिपोर्ट दिया था कि उक्त भूमि पर्यावरण के लिए संरक्षित है, और इसके आबंटन को खारिज किया जाना चाहिए. जिसके बाद भूमि के कब्जादारों ने फिर से याचिका लगाई. जिसपर शासन ने आदेश दिया कि सामान्य सभा में अगर यह प्रस्ताव पारित होता है तो अनुमति दी जा सकती है, लेकिन आज तक किसी सामान्य सभा में चर्चा के बिना ही भूखंड पर कॉम्प्लेक्स निर्माण को हरी झंडी मिल गई.

भिलाई: हाइवे पर चंद्रा मौर्या टकिज के सामने बने कॉम्प्लेक्स का विवादों से पुराना नाता लगता है. कॉम्प्लेक्स आबंटन से लेकर निर्माण तक इसपर कई बार विवाद हो चुका है. कॉम्प्लेक्स आबंटन के 20 साल बाद निर्माण की अनुमति निगम से मिल तो गई है, लेकिन निर्माण पूरा होने से पहले एक बार फिर इसपर विवाद शुरू हो गया है. इस बार भिलाई नगर निगम के वार्ड 12 के बीजेपी पार्षद ने इसके निर्माण में धांधली का आरोप लगाया है.

20 साल में भी नहीं बन पाया 3 मंजिला कॉम्प्लेक्स

भिलाई नगर निगम के चंद्रा मौर्या के सामने निर्माणाधीन 3 मंजिला कॉम्प्लेक्स 2 दशक से निर्माण पूरा होने की राह देख रहा है. 18 नबंबर 1999 में कॉम्प्लेक्स के लिए भूखंड का आबंटन 4 अलग-अलग लोगों के नाम पर हुआ था. जिसमें विजय गुप्ता, शशि गुप्ता, यशबीर बंसल और मीरा बंसल का नाम शामिल था. भूखंड आबंटन के समय भिलाई नगर निगम साडा के तहत आता था. जिसमें आबंटित जमीन को लेकर शर्त थी कि पट्टा शुरू होने की तारीख से 2 साल के भीतर और अधिकतम 4 साल के अंदर भवन निर्माण पूर्ण कर लेना है. साथ ही भवन निर्माण पूरा नहीं होने की स्थिति में पट्टा निरस्त कर विशेष शुल्क, सेवा शुल्क के साथ अन्य राशि वापस करना है, लेकिन 20 साल बाद भी कॉम्प्लेक्स का निर्माण नहीं हो सका.

पढ़ेः-सीएम भूपेश ने दुर्ग को दी करोड़ों की सौगात, कहा- बदलेगी जिले की तस्वीर

20 साल तक भवन निर्माण जरूरी अनुमति की फाइल मंत्रालय से कार्यालय तक घूमता रहा. क्योंकि नगर तथा ग्राम निवेश में ये भूमि उद्यान, वृक्षारोपण और पार्किंग के लिए संरक्षित रखा गया था. इस भूखंड पर कॉम्प्लेक्स निर्माण के लिए हाइवे से उसकी दूरी का मापदंड पूरा नहीं बता रहा था. वहीं भवन निर्माण से जुड़ी फाइलों के साथ एक अजीब इत्तेफाक भी जुड़ा है कि इसका आबंटन कब हस्तांतरण हुआ इसके कोई भी दस्तावेज या मूल नस्ती फाइल में ही नहीं है, कारण पूछने पर निगम के अधिकारी कई बार आग लगने का हवाला देते रहे.

पढ़ेः-दुर्ग: सीमेंट कंपनी को नगर निगम का नोटिस, 30 में संपत्ति कर जमा करने के निर्देश

इस विवादस्पद कॉम्प्लेक्स निर्माण के लिए अभी 2 महीने पहले भवन अनुज्ञा मिला, जिसके बाद यहां 2 महीनो में तीन मंजिला भवन का निर्माण करा दिया गया. अब भिलाई नगर निगम के 12 वार्ड के पार्षद का कहना है 2014 में हाईकोर्ट के आदेश पर जांच समिति गठित की गई थी, जिसमें निगम के अधिकारी और पार्षद दल ने जांच कर रिपोर्ट दिया था कि उक्त भूमि पर्यावरण के लिए संरक्षित है, और इसके आबंटन को खारिज किया जाना चाहिए. जिसके बाद भूमि के कब्जादारों ने फिर से याचिका लगाई. जिसपर शासन ने आदेश दिया कि सामान्य सभा में अगर यह प्रस्ताव पारित होता है तो अनुमति दी जा सकती है, लेकिन आज तक किसी सामान्य सभा में चर्चा के बिना ही भूखंड पर कॉम्प्लेक्स निर्माण को हरी झंडी मिल गई.

Intro:भिलाई के हाइवे में चंद्रा मौर्या टकिज के सामने स्थित काम्प्लेक्स का विवादों से पुराना नाता लगता है इस काम्प्लेक्स के आबंटन से निर्माण तक एक के बाद एक विवाद खड़े होने शुरू जाते है...आबंटन के 20 वे साल में इसे निर्माण की अनुमति निगम से मिल तो गयी पर पूर्ण होने के पहले फिर से विवाद इसका दामन थामते दिख रही है ...इस बार भिलाई नगर निगम के भाजपा के वार्ड 12 के पार्षद ने इसके भवन अनुज्ञा समेत तमाम दस्तावेजो के आधार पर इसके निर्माण में गड़बड़ी का आरोप लगाया है ...

Body:भिलाई नगर निगम के चंद्रा मौर्या के सामने निर्माणाधीन 3 मंजिला काम्प्लेक्स को विवादों का काप्लेक्स कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी ...बीते 2 दशको से यह पूरा होने के लिए जद्दोजहद कर रहा है ....आइये 20 साल पहले इसके विवादों के थोड़े गहरे में चलते है कि आखिर किस वजह यह विवादों में आया 18.11.1999 इस भूखंड का आबंटन 4 अलग अलग लोगो के नाम पर हुआ था जिसमे विजय गुप्ता, शशि गुप्ता, यशबीर बंसल और मीरा बंसल के नाम पर हुआ था ... भूखंड आबंटन के वक्त भिलाई नगर निगम साडा के तहत आता था जिसमे आबंटित जमीन में शर्त थी कि पट्टा प्रारंभ होने की तिथि से 2 वर्ष के भीतर व् अधिकतम 4 वर्ष के अंदर भवन निर्माण पूर्ण कर लेना है ..भवन पूर्ण नही होने की स्थिति में पट्टा निरस्त कर विशेष शुल्क, सेवा शुल्क अन्य देय राशि वापस किये जाने का प्रावधान था ...पर 2 से 4 वर्ष तो क्या 2 दशक बीतने को है और अब यह भवन नियमो की धज्जियां उड़ा कर अधुरा खड़ा तो हो गया है ...बीते 2 दशको में इस भवन के निर्माण के अनुज्ञा के लिए फाईलो ने हाई कोर्ट से लेकर मंत्रालय तक का सफ़र कई बार तय भी किया पर निर्माण के सम्बन्ध में कोई हरी झंडी नही मिल पा रही थी...क्युकि नगर तथा ग्राम निवेश में उक्त भूमि उद्यान, वृक्षारोपण एवं पार्किंग के लिए संरक्षित रखा गया था...वही स्थान पर काम्लेक्स का निर्माण होना है हाइवे से उसकी दुरी का मापदंड भी वह पूरा नही करता ....इस भवन से जुडी फाईलो के साथ एक अजीब ही इत्तेफाक जुडा है कि इसका आबंटन कब हस्तांतरण हुआ इसके कोई भी दस्तावेज या मूल नस्ती फाईलो से गायब है और कारन पूछने पर निगम के अधिकारी कई बार आग लगने का हवाला देते दिखाई देते है पर जब आग लगी भी तो बस कुछ उन पन्ने बाकी पन्ने सुरक्षित बच भी गए ...खैर अब हम इस अधूरे विवादस्पद काम्प्लेक्स के वर्तमान में आ जाते है जब महज 2 माह पूर्व उसे भवन अनुज्ञा प्राप्त हुआ और दिन रात निर्माण कर 2 महीनो में आज यह तीन मंजिला खड़ा दिख रहा है ...भोजराम सिन्हा भिलाई नगर निगम के वार्ड 12 के पार्षद का कहना है 2014 में हाई कोर्ट के आदेश पर शासन का पत्र पर जाँच समिति गठित की गयी थी जिसमे निगम के अधिकारी व् पार्षद दल ने जाँच कर रिपोर्ट दिया था कि उक्त भूमि पर्यावरण के लिए संरक्षित है और इसके आबंटन को ख़ारिज किया जाना चाहिए....भूमि के कब्जेदारो दवारा पुनः याचिका लगाई गयी जिसमे शासन ने आदेश दिया कि सामान्य सभा में अगर यह प्रस्ताव पारित होता है तो अनुमति प्रदान की जा सकती है पर आज तक किसी सामान्य सभा में चर्चा के बिना ही इसे कैसे हरी झंडी मिल गयी यह तो शोध का ही विषय है ....बहरहाल करोडो की भूमि में इस तरह का आबंटन एक बड़े भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करता है जिसमे निगम के सत्ता पक्ष और बड़े अधिकारीयों की भूमिका से इंकार भी नही किया जा सकता ...Conclusion:विवादों का काम्प्लेक्स भिलाई नगर निगम से महज कुछ कदमो की दुरी पर है इस बारे निगम के महापौर देवेन्द्र यादव से जब पूछा गया कि आखिर इतने विरोध के बाद भी हाइवे के बाजू में कैसे बिल्डिंग बनाने की परमिशन दे दी गयी तो उनका कहना था कि जो परमिशन दी गयी है वो सम्बन्धित अधिकारीयों ने नियमो को ध्यान में रखकर ही दिया होगा वही कुछ चीजों में वक्त ज़रूर लगता है और नियमो को देखते हुए उसका निराकरण होना भी चाहिए कमिश्नर स्तर के अधिकारी के पास इसका अधिकार होता है और उन्हेंअपने अधिकारी पर पूरा विश्वास है ....पर जब महापौर से सम्बंधित स्थान की फाईलो के दस्तावेज गायब होने की बात पूछी गयी तो उन्होंने इस बारे में जानकारी नही होने का हवाला देते नज़र आये ...महपौर जी को निगम की सत्ता पर काबिज हुए लगभग 3.5 साल हो गए और निगम से कुछ ही दुरी पर स्थित उनके क्षेत्र के सबसे विवादस्पद काम्प्लेक्स के फाईलो की जानकरी तक नही अजीब इतेफाक है ....

बाईट :- भोजराम सिन्हा ,भाजपा पार्षद ननि भिलाई (ओरेंज टी शर्ट में)

बाईट :- देवेन्द्र यादव ,महापौर ननि भिलाई (नीला शर्ट में)

कोमेन्द्र सोनकर,दुर्ग
Last Updated : Sep 28, 2019, 11:55 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.