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दिल्ली में आंदोलन को समर्थन देने पहुंचा छत्तीसगढ़ के किसानों का जत्था - छत्तीसगढ़ के किसान

दिल्ली में किसान आंदोलन को समर्थन देने छत्तीसगढ़ के 100 से ज्यादा किसानों का एक जत्था सिंघु बॉर्डर पहुंचा हुआ है. छत्तीसगढ़ के किसान नेताओं ने मंच से अपनी बात भी रखी. देवलाल नरेटी ने केंद्र के कृषि संबंधी कानूनों को काला कानून बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है.

support the farmers movement in Delhi
किसान आंदोलन को समर्थन
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Published : Dec 29, 2020, 8:35 PM IST

दुर्ग: केंद्र सरकार के कृषि संबंधी तीन कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन में छत्तीसगढ़ के किसान भी शामिल हुए हैं. छत्तीसगढ़ के 100 से ज्यादा किसानों का एक जत्था दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर पहुंचा हुआ है. इन लोगों ने छत्तीसगढ़ के किसानों की ओर से आंदोलन को समर्थन दिया है.

छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के संयाेजक राजकुमार गुप्ता ने बताया कि संगठन में बालोद जिले के महासचिव घनश्याम चंद्राकर और देवलाल नरेटी की अगुवाई में यह जत्था ट्रेन से दिल्ली पहुंचा है. इसमें बालोद, बेमेतरा, राजनांदगांव और दुर्ग जिले के किसान शामिल हैं. ये किसान आंदोलन को छत्तीसगढ़ के किसानों की ओर से समर्थन देने पहुंचे हैं.

पढ़ें-महासमुंद: नए कृषि कानून के विरोध में एक दिन का उपवास

छत्तीसगढ़ से दिल्ली पहुंचे किसान अपने निजी वाहनों से दिल्ली जाने की योजना बना रहे थे, लेकिन उत्तर प्रदेश और हरियाणा में जगह-जगह किसानों के जत्थे को दिल्ली की ओर जाने से रोका जा रहा है. इसके बाद ट्रेन से जाना तय हुआ, सभी लोग 26 दिसंबर को दिल्ली जाने वाली ट्रेन में बैठे. 28 दिसंबर की सुबह दिल्ली के सिंंघु बाॅर्डर पहुंचकर किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया गया.

किसान नेताओं ने मंच से रखी अपनी बात

छत्तीसगढ़ के किसान नेताओं ने मंच से अपनी बात भी रखी. देवलाल नरेटी ने केंद्र के कृषि संबंधी कानूनों को काला कानून बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की. उन्होंने कहा, इन कानूनों को खत्म किए बिना बात नहीं बनेगी.

दुर्ग: केंद्र सरकार के कृषि संबंधी तीन कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन में छत्तीसगढ़ के किसान भी शामिल हुए हैं. छत्तीसगढ़ के 100 से ज्यादा किसानों का एक जत्था दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर पहुंचा हुआ है. इन लोगों ने छत्तीसगढ़ के किसानों की ओर से आंदोलन को समर्थन दिया है.

छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के संयाेजक राजकुमार गुप्ता ने बताया कि संगठन में बालोद जिले के महासचिव घनश्याम चंद्राकर और देवलाल नरेटी की अगुवाई में यह जत्था ट्रेन से दिल्ली पहुंचा है. इसमें बालोद, बेमेतरा, राजनांदगांव और दुर्ग जिले के किसान शामिल हैं. ये किसान आंदोलन को छत्तीसगढ़ के किसानों की ओर से समर्थन देने पहुंचे हैं.

पढ़ें-महासमुंद: नए कृषि कानून के विरोध में एक दिन का उपवास

छत्तीसगढ़ से दिल्ली पहुंचे किसान अपने निजी वाहनों से दिल्ली जाने की योजना बना रहे थे, लेकिन उत्तर प्रदेश और हरियाणा में जगह-जगह किसानों के जत्थे को दिल्ली की ओर जाने से रोका जा रहा है. इसके बाद ट्रेन से जाना तय हुआ, सभी लोग 26 दिसंबर को दिल्ली जाने वाली ट्रेन में बैठे. 28 दिसंबर की सुबह दिल्ली के सिंंघु बाॅर्डर पहुंचकर किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया गया.

किसान नेताओं ने मंच से रखी अपनी बात

छत्तीसगढ़ के किसान नेताओं ने मंच से अपनी बात भी रखी. देवलाल नरेटी ने केंद्र के कृषि संबंधी कानूनों को काला कानून बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की. उन्होंने कहा, इन कानूनों को खत्म किए बिना बात नहीं बनेगी.

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