ETV Bharat / state

Woman's Day: हार नहीं मानी, खुद को बनाया मजबूत और कर दिया पति के सपने को साकार

author img

By

Published : Mar 7, 2021, 8:53 PM IST

2007 में जगन्नाथपुरी में एक सड़क हादसे में पति को खोने के बाद दो बच्चों की जिम्मेदारी को कैसे निभाई सरोजनी...महिला दिवस पर ईटीवी भारत पर देखिये सरोजिनी की संघर्ष की कहानी...अपराजिता...

sarojini panigrahi
सरोजिनी पाणिग्रही

भिलाई: मन में लगन और दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कितने भी अभाव और अवरोध हो, सफलता जरूर मिलती है. इसे सही साबित किया है भिलाई की रहने वाली सरोजिनी पाणिग्रही ने. 2007 में जगन्नाथपुरी में सरोजिनी के पति की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. इसके बाद पति की मौत का सदमा और बच्चों की जिम्मेदारी सरोजिनी को अकेले उठानी थी. अचानक पड़ी बोझ से विचलित हुए बिना सरोजनी ने जिम्मेदारी संभाली और चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया. सरोजिनी की मेहनत के आगे तामम परेशानियों सरेंडर कर दिया और सरोजिनी ने सफलता की नई इमारत खड़ी कर दी. महज चार साल में सरोजिनी ने मेहनत और काबिलयत के दम पर कंपनी का दूसरा ब्रांच शुरू कर लिया. वर्तमान में दोनों कंपनी में करीब 45 कर्मचारी काम कर रहे हैं.

Woman's Day: हार नहीं मानी, खुद को बनाया मजबूत और कर दिया पति के सपने को साकार

जगन्नाथपुरी से लौटते समय हुआ था हादसा

सरोजनी बताती हैं, 5 दिसंबर 2007 को परिवार के साथ वे जगन्नाथपुरी से दर्शन कर लौट रही थी. इसी बीच एक सड़क हादसा हो गया. हादसे में सरोजनी के पति की मौके पर ही मौत हो गई. सरोजनी के साथ उनके दोनों बच्चे भी गाड़ी पर सवार थे. गनीमत रहा वे लोग लोग बच गए. इसके बाद बच्चों की देखरेख और पति द्वारा संचालित सरोज इंडस्ट्रीज की कमान इनके कंधे पर आ गई. शुरुआत में जैसे-तैसे काम संभाली और धीरे-धीरे आज महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गईं.

Woman's Day: गोल्डन गर्ल ने आंखों की रोशनी खोई, लेकिन गोल्ड पर लगाया निशाना

हार नहीं मानी, खुद को बनाया मजबूत

हादसे के बाद कुछ भी समझ नहीं आ रहा था. बच्चों की देखरेख के साथ ही पति की कंपनी की जिम्मेदारी भी संभालनी थी, क्योंकि इससे पहले कंपनी और व्यापार से दूर-दूर तक उनका कोई वास्ता नहीं था, लेकिन, सरोजनी ने हार नहीं मानी, खुद को मजबूत बनाया और पति के सपने को साकार करने में लग गई. इस बीच कई चुनौतियां भी आई, लेकिन कहते हैं न कि संघर्ष कभी बेकार नहीं जाता. बच्चों को देखकर सरोजनी को हिम्मत मिलती गई और हिम्मत ने सफलता के उस मुकाम तक पहुंचा दिया, जहां जाना कोई आम बात नहीं है.

पति दिन-रात करते थे मेहनत

सरोजिनी बताती हैं, उनके पति नारायण अपनी कंपनी में दिन-रात मेहनत करते थे. उनकी मेहनत को देखकर वे उनसे इंस्पायर हुई थी. उनका सपना था कि इस फैक्ट्री को आगे बढ़ाया जाए. उन्होंने तो ऐसा नहीं कर पाया, लेकिन उनके जाने के बाद उनके सपने को साकार करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने बताया कि महिला होने के नाते सामाजिक तानों के बावजूद वह कंपनी गई और पुरुषों के बीच रहकर सफलतापूर्वक काम को अंजाम दिया.

15 सालों से हॉस्पिटलिटी सेक्टर में अपना लोहा मनवा रहीं हैं नाजिमा खान

हर परिस्थिति के लिए रहे तैयार

सरोजिनी कहती हैं कि जो हादसे उनके साथ हुआ किसी और के साथ होता तो टूट गई होती, लेकिन महिलाओं को टूटना नहीं चाहिए. सरोजनी कहती हैं, संकट और विपत्तियां आती रहती है, उनसे मुकाबला करने वाले ही समाज को नई दिशा देती हैं. महिलाओं को हर परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि परिस्थिति कभी किसी को बताकर नहीं आती. कब क्या हो जाए, भरोसा नहीं. यदि गलती से भी हिम्मत हार गए और डिप्रेशन में चले गए तो सरवाइव करना मुश्किल हो जाता है.

हर दिन 8-10 घंटे कंपनी को देती हैं सरोजनी

सरोजिनी बताती हैं कि वो हर दिन सुबह 9 बजे वह घर से निकलती हैं. सबसे पहले वह अपने पति के फैक्ट्री में जाती है. वहां कुछ घंटे समय देने के बाद अपनी दूसरी फैक्ट्री में जाकर देखरेख करती है. इसी तरह वह हर रोज 8 से 10 घंटे का समय अपने दोनों फैक्ट्रियों में देती हैं. महिला सशक्तिकरण की मिसाल सरोजनी को महिला दिवस पर ईटीवी भारत का सलाम

भिलाई: मन में लगन और दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कितने भी अभाव और अवरोध हो, सफलता जरूर मिलती है. इसे सही साबित किया है भिलाई की रहने वाली सरोजिनी पाणिग्रही ने. 2007 में जगन्नाथपुरी में सरोजिनी के पति की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. इसके बाद पति की मौत का सदमा और बच्चों की जिम्मेदारी सरोजिनी को अकेले उठानी थी. अचानक पड़ी बोझ से विचलित हुए बिना सरोजनी ने जिम्मेदारी संभाली और चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया. सरोजिनी की मेहनत के आगे तामम परेशानियों सरेंडर कर दिया और सरोजिनी ने सफलता की नई इमारत खड़ी कर दी. महज चार साल में सरोजिनी ने मेहनत और काबिलयत के दम पर कंपनी का दूसरा ब्रांच शुरू कर लिया. वर्तमान में दोनों कंपनी में करीब 45 कर्मचारी काम कर रहे हैं.

Woman's Day: हार नहीं मानी, खुद को बनाया मजबूत और कर दिया पति के सपने को साकार

जगन्नाथपुरी से लौटते समय हुआ था हादसा

सरोजनी बताती हैं, 5 दिसंबर 2007 को परिवार के साथ वे जगन्नाथपुरी से दर्शन कर लौट रही थी. इसी बीच एक सड़क हादसा हो गया. हादसे में सरोजनी के पति की मौके पर ही मौत हो गई. सरोजनी के साथ उनके दोनों बच्चे भी गाड़ी पर सवार थे. गनीमत रहा वे लोग लोग बच गए. इसके बाद बच्चों की देखरेख और पति द्वारा संचालित सरोज इंडस्ट्रीज की कमान इनके कंधे पर आ गई. शुरुआत में जैसे-तैसे काम संभाली और धीरे-धीरे आज महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गईं.

Woman's Day: गोल्डन गर्ल ने आंखों की रोशनी खोई, लेकिन गोल्ड पर लगाया निशाना

हार नहीं मानी, खुद को बनाया मजबूत

हादसे के बाद कुछ भी समझ नहीं आ रहा था. बच्चों की देखरेख के साथ ही पति की कंपनी की जिम्मेदारी भी संभालनी थी, क्योंकि इससे पहले कंपनी और व्यापार से दूर-दूर तक उनका कोई वास्ता नहीं था, लेकिन, सरोजनी ने हार नहीं मानी, खुद को मजबूत बनाया और पति के सपने को साकार करने में लग गई. इस बीच कई चुनौतियां भी आई, लेकिन कहते हैं न कि संघर्ष कभी बेकार नहीं जाता. बच्चों को देखकर सरोजनी को हिम्मत मिलती गई और हिम्मत ने सफलता के उस मुकाम तक पहुंचा दिया, जहां जाना कोई आम बात नहीं है.

पति दिन-रात करते थे मेहनत

सरोजिनी बताती हैं, उनके पति नारायण अपनी कंपनी में दिन-रात मेहनत करते थे. उनकी मेहनत को देखकर वे उनसे इंस्पायर हुई थी. उनका सपना था कि इस फैक्ट्री को आगे बढ़ाया जाए. उन्होंने तो ऐसा नहीं कर पाया, लेकिन उनके जाने के बाद उनके सपने को साकार करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने बताया कि महिला होने के नाते सामाजिक तानों के बावजूद वह कंपनी गई और पुरुषों के बीच रहकर सफलतापूर्वक काम को अंजाम दिया.

15 सालों से हॉस्पिटलिटी सेक्टर में अपना लोहा मनवा रहीं हैं नाजिमा खान

हर परिस्थिति के लिए रहे तैयार

सरोजिनी कहती हैं कि जो हादसे उनके साथ हुआ किसी और के साथ होता तो टूट गई होती, लेकिन महिलाओं को टूटना नहीं चाहिए. सरोजनी कहती हैं, संकट और विपत्तियां आती रहती है, उनसे मुकाबला करने वाले ही समाज को नई दिशा देती हैं. महिलाओं को हर परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि परिस्थिति कभी किसी को बताकर नहीं आती. कब क्या हो जाए, भरोसा नहीं. यदि गलती से भी हिम्मत हार गए और डिप्रेशन में चले गए तो सरवाइव करना मुश्किल हो जाता है.

हर दिन 8-10 घंटे कंपनी को देती हैं सरोजनी

सरोजिनी बताती हैं कि वो हर दिन सुबह 9 बजे वह घर से निकलती हैं. सबसे पहले वह अपने पति के फैक्ट्री में जाती है. वहां कुछ घंटे समय देने के बाद अपनी दूसरी फैक्ट्री में जाकर देखरेख करती है. इसी तरह वह हर रोज 8 से 10 घंटे का समय अपने दोनों फैक्ट्रियों में देती हैं. महिला सशक्तिकरण की मिसाल सरोजनी को महिला दिवस पर ईटीवी भारत का सलाम

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.