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दुर्ग के छात्रों ने बनाया अनोखा इलेक्ट्रॉनिक साइकिल,जानिए एंटी थेप्ट खूबियों सहित इस साइकिल में क्या है खास - Rungta College Bhilai

दुर्ग में छात्रों ने अनोखा इलेक्ट्रॉनिक साइकिल बनाया है, जो कि कम कीमत में तैयार किया गया है. अधिक जानकारी के लिए पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

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अनोखा इलेक्ट्रॉनिक साइकिल
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Published : Feb 21, 2022, 9:35 PM IST

दुर्ग: पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए दुर्ग के छात्रों ने अनोखी इलेक्ट्रॉनिक साइकिल बनाई है. भिलाई के रूंगटा कॉलेज आर 1 के बीई इलेक्ट्रिकल फाइनल इयर के छात्रों ने कम कीमत में इस खास साइकिल को तैयार किया है. इस साइकिल की खास बात यहा है कि, इसकी बैटरी महज आधा यूनिट बिजली में चार्ज हो जाती है और 25 किलोमीटर की दूरी तय करती है. ये 35 किलोमीटर प्रति घंटे की टॉप स्पीड से सड़कों पर दौड़ सकती है.

भिलाई के छात्रों का कमाल

इस साइकिल को इंजीनियरिंग फाइनल इयर के 6 स्टूडेंट्स ने मिलकर बनाया है. इसमें पल्ल्व चटर्जी, अभिषेक उर्वशा, प्रखर चंद्राकर, प्रांशू मित्तल, मोहन कुमार और जयंत टंडन शामिल हैं. इस बारे में पल्लव चटर्जी ने ईटीवी भारत को बताया कि, उन्होंने यह साइकिल मात्र 12 हजार रुपए के खर्च में तैयार की है. यह एक हाईब्रिड ईवी साइकिल है.इसे बाजार में आने वाली इलेक्ट्रिक साइकिल से अधिक हाईटेक फीचर के साथ तैयार किया गया है. इस साइकिल में एंटी थेप्ट अलार्म सिस्टम लगा है जो कि, साइकिल चोरी होने से बचाएगा. दुघर्टना की स्थिति में ये साइकिल संबंधित के फोन पर मैसेज भेजकर सूचित भी करेगा. इसके साथ ही इसमें खास एलईडी लाइट का सेटअप लगाया गया है.

यह भी पढ़ें: रायपुर में अंतरराज्यीय ड्रग्स रैकेट का पर्दाफाश, नारकोटिक्स विंग ने चार तस्करों को किया गिरफ्तार

लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल

इस साइकिल में 36 वोल्ट की मोटर को संचिलित करने के लिए लिथियम आयन फॉस्फेट बैटरी का उपयोग किया गया है. यह लिथियम आयन बैटरी से अलग है. इस बैटरी में लिथियम आयन बैटरी की तरह विस्फोट का बिल्कुल डर नहीं है. इतना ही नहीं इस बैटरी की लाइफ 8 से 10 साल तक रहेगी. इसे किसी भी मेंटेनेंस की जरूरत नहीं है.

ई-साइकिल को बाजार में उतारने की तैयारी

इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स इस ई-साइकिल को बाजार में लाने की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए साइकिल कंपनियों से बात चल रही है, जिसके बाद इसे बाजार में भी उतारा जाएगा. इसकी कीमत अन्य ई-साइकिल से 30 फीसदी तक कम होगी.

यह भी पढ़ें: कोरबा का सोशल मीडिया सेंसेशन : मिलिये "36 इंच" के मयंक से, जिन्होंने अपनी कमजोरी को बनाई सबसे बड़ी ताकत

प्रोजेक्ट तैयार करने में छात्राओं के साथ-साथ टीचर्स की अहम भूमिका

इस ई-साइकिल को तैयार करने में इलेक्ट्रिकल विभाग के हेड डॉ. अलबर्ट जॉन वर्गीस और डीन डॉ. एस भारती का विशेष सहयोग रहा. डॉ जॉन ने ईटीवी भारत को बताया कि उनके मार्गदर्शन में स्टूडेंट्स ने काफी कम लागत में बाजार से बेहतर और हाईटेक ई-साइकिल तैयार किया है.

दुर्ग: पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए दुर्ग के छात्रों ने अनोखी इलेक्ट्रॉनिक साइकिल बनाई है. भिलाई के रूंगटा कॉलेज आर 1 के बीई इलेक्ट्रिकल फाइनल इयर के छात्रों ने कम कीमत में इस खास साइकिल को तैयार किया है. इस साइकिल की खास बात यहा है कि, इसकी बैटरी महज आधा यूनिट बिजली में चार्ज हो जाती है और 25 किलोमीटर की दूरी तय करती है. ये 35 किलोमीटर प्रति घंटे की टॉप स्पीड से सड़कों पर दौड़ सकती है.

भिलाई के छात्रों का कमाल

इस साइकिल को इंजीनियरिंग फाइनल इयर के 6 स्टूडेंट्स ने मिलकर बनाया है. इसमें पल्ल्व चटर्जी, अभिषेक उर्वशा, प्रखर चंद्राकर, प्रांशू मित्तल, मोहन कुमार और जयंत टंडन शामिल हैं. इस बारे में पल्लव चटर्जी ने ईटीवी भारत को बताया कि, उन्होंने यह साइकिल मात्र 12 हजार रुपए के खर्च में तैयार की है. यह एक हाईब्रिड ईवी साइकिल है.इसे बाजार में आने वाली इलेक्ट्रिक साइकिल से अधिक हाईटेक फीचर के साथ तैयार किया गया है. इस साइकिल में एंटी थेप्ट अलार्म सिस्टम लगा है जो कि, साइकिल चोरी होने से बचाएगा. दुघर्टना की स्थिति में ये साइकिल संबंधित के फोन पर मैसेज भेजकर सूचित भी करेगा. इसके साथ ही इसमें खास एलईडी लाइट का सेटअप लगाया गया है.

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लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल

इस साइकिल में 36 वोल्ट की मोटर को संचिलित करने के लिए लिथियम आयन फॉस्फेट बैटरी का उपयोग किया गया है. यह लिथियम आयन बैटरी से अलग है. इस बैटरी में लिथियम आयन बैटरी की तरह विस्फोट का बिल्कुल डर नहीं है. इतना ही नहीं इस बैटरी की लाइफ 8 से 10 साल तक रहेगी. इसे किसी भी मेंटेनेंस की जरूरत नहीं है.

ई-साइकिल को बाजार में उतारने की तैयारी

इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स इस ई-साइकिल को बाजार में लाने की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए साइकिल कंपनियों से बात चल रही है, जिसके बाद इसे बाजार में भी उतारा जाएगा. इसकी कीमत अन्य ई-साइकिल से 30 फीसदी तक कम होगी.

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प्रोजेक्ट तैयार करने में छात्राओं के साथ-साथ टीचर्स की अहम भूमिका

इस ई-साइकिल को तैयार करने में इलेक्ट्रिकल विभाग के हेड डॉ. अलबर्ट जॉन वर्गीस और डीन डॉ. एस भारती का विशेष सहयोग रहा. डॉ जॉन ने ईटीवी भारत को बताया कि उनके मार्गदर्शन में स्टूडेंट्स ने काफी कम लागत में बाजार से बेहतर और हाईटेक ई-साइकिल तैयार किया है.

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