दुर्ग: जिले में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से थोड़ी राहत मिली ही थी कि ब्लैक फंगस ने अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया. उसके बाद अब जिलेवासियों को डेंगू (dengue in Durg) का डर सता रहा है. दुर्ग में अब तक डेंगू के मरीज नहीं मिले हैं, लेकिन दो संदिग्धों की पहचान की गई है, जिनका इलाज जारी है. इन संदिग्धों के मिलने के बाद दुर्ग जिला प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट हो गया है.
निगम प्रशासन ने की डेंगू से लड़ने की तैयारियां शुरू
दुर्ग जिला प्रशासन ने सभी निगमों को अलर्ट कर दिया है. इसके तहत जिले के सभी क्षेत्रों में डेंगू से बचाव की तैयरियां शुरू कर दी गई हैं. डेंगू से निपटने के लिए जलभराव वाले क्षेत्रों में दवा का छिड़काव, टेमिफाॅस की दवा का वितरण और फॉगिंग का काम शुरू कर दिया गया है. जिलेवासियों को लगातार इसके लिए जागरूक किया जा रहा है. उन्हें अपने घरों या आसपास के इलाकों में कहीं भी पानी न जमा करने की हिदायत दी जा रही है.
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डेंगू से भिलाई में हुई थी 50 मौत
दुर्ग में साल 2018 में डेंगू ने सबसे ज्यादा कहर बरसाया था. जिसमें जिले के भिलाई शहर में 50 से अधिक मौतें डेंगू से हुई थी. लिहाजा इस बार प्रशासन पहले ही पूरी तरह से अलर्ट हो गया है. इसके अंतर्गत एहतियातन कदम उठाए जा रहे हैं.
जिले में डेंगू के आंकड़े
साल | संक्रमित | मौत |
2018 | 1974 | 50 |
2019 | 115 | 0 |
2020 | 12 | 0 |
डेंगू के कारण (reasons for Dengue)
डेंगू मादा एडीज मच्छर के काटने से होता है. ये मादा मच्छर साफ और स्थिर पानी में तेजी से बढ़ती है. जैसे टायरों में भरे पानी में, कूलर या डब्बों में भरे पानी में ये मच्छर बढ़ते हैं. डेंगू चार प्रकार के वायरस से फैलता है. जब ये संक्रमित मादा मच्छर किसी व्यक्ति को काट लेती हैं, तब ये वायरस उस इंसान में भी प्रवेश कर जाता है. जिससे डेंगू बुखार हो जाता है, जो काफी खतरनाक है. समय रहते इलाज नहीं मिले, तो मरीज की मौत भी हो सकती है. इससे बचाव या नियंत्रण पर ध्यान देना चाहिए.
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डेंगू के लक्षण
साधारण डेंगू
इसके लक्षण मच्छर के दंश के एक हफ्ते बाद देखने को मिलते हैं. इसमें गंभीर या घातक जटिलताएं शामिल हैं. इसके मरीज को 2 से 7 दिन तक तेज बुखार चढ़ता है.
लक्षण
- अचानक तेज बुखार
- सिर में आगे की ओर तेज दर्द
- आंखों के पीछे दर्द और आंखों के हिलने से दर्द में और तेजी
- मांसपेशियों (बदन) व जोडों में दर्द।
- छाती और ऊपरी अंगों पर खसरे जैसे दाने
- चक्कर आना
- जी घबराना, उल्टी आना
- शरीर पर खून के चकत्ते और खून की सफेद कोशिकाओं की कमी
- बच्चों में डेंगू बुखार के लक्षण बड़ों की तुलना में हल्के होते हैं
- रक्त स्राव वाला डेंगू (डेंगू हमरेजिक बुखार)
इस अवस्था की शुरुआत में शरीर में लक्षण हल्के स्तर पर नजर आते हैं, जो ध्यान न देने पर गंभीर हो जाते हैं. इस अवस्था में डेंगू के सामान्य लक्षणों से अलग लक्षण भी नजर आ सकते हैं.
लक्षण
- शरीर की चमड़ी पीली और ठंडी पड़ जाना.
- नाक, मुंह और मसूढ़ों से खून बहना.
- प्लेटलेट कोशिकाओं की संख्या 1,00,000 या इससे कम हो जाना.
- फेंफड़ों और पेट में पानी इकट्ठा हो जाना.
- चमड़ी में घाव पड़ जाना.
- बैचेनी रहना और लगातार कराहना.
- प्यास ज्यादा लगना (गला सूख जाना).
- खून वाली या बिना खून वाली उल्टी आना.
- सांस लेने में तकलीफ होना.
डेंगू शॉक सिन्ड्रोम
यह डेंगू का एक गंभीर रूप है, जो कई बार जानलेवा भी हो सकता है. इस अवस्था में ऊपर दिए गए लक्षणों के अलावा मरीज में परिसंचारी तंत्र में भी समस्याएं नजर आ सकती हैं.
लक्षण (symptoms)
- नब्ज का कमजोर होना और तेजी से चलना.
- रक्तचाप का कम हो जाना और त्वचा का ठंडा पड़ जाना.
- मरीज को बहुत अधिक बेचैनी महसूस होना.
- पेट में तेज और लगातार दर्द.
- डेंगू से बचाव
कैसे करें डेंगू से बचाव (how to prevent dengue)
- डेंगू से बचाव के लिए जरूरी है कि अपने आसपास सफाई रखें. इसके अतिरिक्त इस रोग से बचने के लिए निनलिखित बातों को ध्यान में रखा जा सकता है.
- डेंगू के मच्छर सुबह या शाम को अत्यधिक सक्रिय होते हैं, इसलिए ऐसे समय में बाहर निकलने से बचने की कोशिश करें. त्वचा को खुला न छोड़ें.
- मच्छरों को दूर रखने के लिए मच्छर रोधी क्रीम लगा सकते हैं.
- जब आप किसी वायरस से संक्रमित होते हैं, तो आप अन्य बीमारियों के प्रति अतिरिक्त संवेदनशील हो जाते हैं, इसलिए कीटाणुओं को दूर रखने के लिए अपने शरीर की स्वच्छता बनाए रखें .
- एडीज मच्छर साफ और स्थिर पानी में पनपते हैं. पानी के बर्तन या टंकी को हर समय ढंककर रखें और यदि आवश्यक हो, तो एक उचित कीटाणुनाशक का उपयोग करें.
- मच्छरों के लिए एक प्रजनन आधार विकसित करने की संभावनाओं को कम करने के लिए ऐसे किसी भी बर्तन या सामान को उल्टा करके रखें, जिसमें पानी इकट्ठा हो सकता है.
- छोटे डिब्बों और ऐसे स्थानों से पानी निकालें, जहां पानी बराबर भरा रहता है.
- कूलरों का पानी सप्ताह में एक बार अवश्य बदलें.
- घर में कीटनाशक दवाएं छिड़कें.
- सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें.
- सरकार के स्तर पर किये जाने वाले कीटनाशक छिड़काव में सहयोग करें.
- आवश्यकता होने पर जले हुये तेल या मिट्टी के तेल को नालियों में और इकट्ठे हुए पानी पर डालें.
- मरीज को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं.