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किसान की खुदकुशी के बाद 'नकली' पर गरमाई सियासत, विपक्ष भड़का तो सत्ता को याद आई पिछली सरकार - statement of Ravindra Chaubey in suicide case

दुर्ग के किसान ने 5 एकड़ में अच्छी फसल का सपना देखा था लेकिन दवा के छिड़काव के बाद फसल खराब हो गई. अन्नदाता सुसाइड नोट छोड़कर गया है, जिसमें इस बात का जिक्र है. अब नकली खाद-बीज और कीटनाशक पर प्रदेश की सियासत गरमा गई है.

Farmer suicide in durg
दुर्ग में किसान की आत्महत्या
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Published : Oct 5, 2020, 10:54 PM IST

Updated : Oct 6, 2020, 2:17 AM IST

रायपुर: दुर्ग में फसल खराब होने की वजह से अन्नदाता ने मौत को गले लगा लिया. किसान डुगेश प्रसाद निषाद अपने पीछे सुसाइड नोट छोड़ कर गया है, जिसमें उसने दवा का छिड़काव करने के बाद फसल खराब होने की बात लिखी है. किसान की मौत से गांव में मातम पसरा हुआ है. पिता का कहना है कि उसके बेटे ने तीन बार खेतों में दवा का छिड़काव किया था. करीब 5 एकड़ में लगी खड़ी फसल बर्बाद हो गई और उसका बेटा खेत में ही फांसी के फंदे पर झूल गया.

किसान की खुदकुशी के बाद 'नकली' पर गरमाई सियासत

बताया जा रहा है कि डुगेश के पास अपनी डेढ़ एकड़ जमीन थी और उसने 4 एकड़ जमीन रेगहा पर ली थी. किसान ने 5 एकड़ में फसल लगाई थी, जो दवा के छिड़काव के बाद खराब हो गई. स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले उसकी फसल में चितरी नाम की बीमारी लगी फिर ब्लास. इस बीमारी की रोकथाम के लिए उसने खेत में 3 बार दवाई का छिड़काव किया था.

पढ़ें- किसान आत्महत्या केस: कांग्रेस सरकार में आत्महत्या, बीजेपी कार्यकाल पर सवाल !

परिवार को 4 लाख रुपए की सहायता

शोक में डूबे परिवार के जख्मों पर मरहम लगाने गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू पहुंचे. उन्होंने सरकार की तरफ से परिजनों को 4 लाख रुपए की सहायता राशि प्रदान की है. गृहमंत्री और कृषि मंत्री दोनों ने मामले में जांच की बात कही है. साहू ने किसी नई बीमारी से भी फसल खराब होने की आशंका जताई है.

यह भी पढ़ें- किसान आत्महत्या केस: कारणों का पता लगाने के लिए बीजेपी बना रही जांच कमेटी

पिछले सरकार पर निशाना

इधर आत्महत्या पर सियासत भी शुरू हो गई है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सरकार पर नकली खाद-बीज और कीटनाशक को लेकर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं. भाजपा इस मामले में जांच कमेटी का भी गठन करेगी. वहीं कृषि मंत्री ने पूर्व की रमन सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि 15 सालों में सत्ता सरकार के संरक्षण में बड़े पैमाने पर खाद बीज और नकली कीटनाशकों के व्यापार में काम होता रहा है. कांग्रेस सरकार ऐसी तमाम कंपनियों पर कार्रवाई जारी रखेगी.

यह भी पढ़ें- किसान आत्महत्या मामला: परिवार को गृहमंत्री ने दी सहायता राशि, जांच के आदेश

एक तरफ भाजपा सरकार पर तंज कस रही है कि किसानों के हितैषी किसानों को भूल गए हैं. वहीं सरकार इसे 15 साल का फल बता रही है. इस बीच ये न भूल जाएं कि अन्नदाता के जाने के बाद परिवार को सिर्फ चंद पैसों का मुआवजा मिलता है, बेटा नहीं.

रायपुर: दुर्ग में फसल खराब होने की वजह से अन्नदाता ने मौत को गले लगा लिया. किसान डुगेश प्रसाद निषाद अपने पीछे सुसाइड नोट छोड़ कर गया है, जिसमें उसने दवा का छिड़काव करने के बाद फसल खराब होने की बात लिखी है. किसान की मौत से गांव में मातम पसरा हुआ है. पिता का कहना है कि उसके बेटे ने तीन बार खेतों में दवा का छिड़काव किया था. करीब 5 एकड़ में लगी खड़ी फसल बर्बाद हो गई और उसका बेटा खेत में ही फांसी के फंदे पर झूल गया.

किसान की खुदकुशी के बाद 'नकली' पर गरमाई सियासत

बताया जा रहा है कि डुगेश के पास अपनी डेढ़ एकड़ जमीन थी और उसने 4 एकड़ जमीन रेगहा पर ली थी. किसान ने 5 एकड़ में फसल लगाई थी, जो दवा के छिड़काव के बाद खराब हो गई. स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले उसकी फसल में चितरी नाम की बीमारी लगी फिर ब्लास. इस बीमारी की रोकथाम के लिए उसने खेत में 3 बार दवाई का छिड़काव किया था.

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परिवार को 4 लाख रुपए की सहायता

शोक में डूबे परिवार के जख्मों पर मरहम लगाने गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू पहुंचे. उन्होंने सरकार की तरफ से परिजनों को 4 लाख रुपए की सहायता राशि प्रदान की है. गृहमंत्री और कृषि मंत्री दोनों ने मामले में जांच की बात कही है. साहू ने किसी नई बीमारी से भी फसल खराब होने की आशंका जताई है.

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पिछले सरकार पर निशाना

इधर आत्महत्या पर सियासत भी शुरू हो गई है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सरकार पर नकली खाद-बीज और कीटनाशक को लेकर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं. भाजपा इस मामले में जांच कमेटी का भी गठन करेगी. वहीं कृषि मंत्री ने पूर्व की रमन सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि 15 सालों में सत्ता सरकार के संरक्षण में बड़े पैमाने पर खाद बीज और नकली कीटनाशकों के व्यापार में काम होता रहा है. कांग्रेस सरकार ऐसी तमाम कंपनियों पर कार्रवाई जारी रखेगी.

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एक तरफ भाजपा सरकार पर तंज कस रही है कि किसानों के हितैषी किसानों को भूल गए हैं. वहीं सरकार इसे 15 साल का फल बता रही है. इस बीच ये न भूल जाएं कि अन्नदाता के जाने के बाद परिवार को सिर्फ चंद पैसों का मुआवजा मिलता है, बेटा नहीं.

Last Updated : Oct 6, 2020, 2:17 AM IST
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