दुर्ग: नारायणपुर और दंतेवाड़ा के गौठान समितियों के सदस्य और महिला समूहों ने पाटन विकासखंड के सिकोला, केसरा, बोरेंदा, कौही और कुर्मीगुंडरा में स्थित गौठानों का जायजा लिया है. महिला समूह की सदस्यों ने गौठान समितियों से प्रबंधन की जानकारी ली है. उन्होंने इन गौठानों से रोजगार के तरीकों की जानकारी ली है.
बोरेंदा के गौठान में बनाए गए सोलर सामुदायिक उद्वहन सिंचाई और सिकोला में नरवा संवर्धन कार्यों को भी परखा है. राज्य सरकार के नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी कार्यक्रम के तहत बनाये गए सिकोला नाला को पुनर्जीवित कर इसके साथ लगे 6 एकड़ जमीन में गर्मी के महीने में भी चारागाह, बाड़ी और मछली पालन जैसी गतिविधि सफलता पूर्वक संचालित की जा रही है.
दो दिन के भ्रमण पर पहुंचा दल
नारायणपुर के दल का आज पहला दिन था. दंतेवाड़ा के दल का दूसरा दिन था. सभी ने अध्ययन के लिए भ्रमण किया है. नारायणपुर के प्रतिनिधि 19 मार्च को रायपुर जिले के बैहार गौठान, सेरीखेड़ी मल्टी-यूटिलिटी सेंटर और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में कृषि संग्रहालय का भ्रमण करेंगे. दोनों जिलों के 25-25 प्रतिनिधि आए हैं. रायपुर और दुर्ग के गौठानों और मल्टी-यूटिलिटी सेंटर्स के अध्ययन और भ्रमण कर रहे हैं.
गौठान दर्शन योजना: महिलाओं ने किया कृषि विज्ञान केंद्र कांकेर का भ्रमण
भ्रमण का क्या है उद्देश्य?
दोनों जिलों के प्रतिनिधियों ने गौठानों में ग्रामीण विकास, कृषि, पशुधन विकास, उद्यानिकी, क्रेडा, मनरेगा, स्थानीय गौठान समिति और महिला स्व-सहायता समूह की ओर से विकसित स्व-रोजगार की विभिन्न कार्यों को नजदीक से देखने और समझने के लिए पहुंचे हैं. उन्होंने गौठानों में गोबर खरीदी, पशुधन और चारा व्यवस्था, चारागाह विकास, सामुदायिक बाड़ी, मछली पालन, कुक्कुट पालन, मशरूम उत्पादन, केंचुआ उत्पादन, वर्मी कंपोस्ट निर्माण और मिनी राइस-मिल के बारे में इनके संचालन से जुड़ी स्व-सहायता समूहों की महिलाओं से जानकारी ली है.
कोरिया: गौठान में हुआ छात्र-छात्राओं का शैक्षणिक भ्रमण
उन्नत कृषि को अपनाने के लिए किया गया प्रेरित
स्थानीय स्व-सहायता समूहों की महिलाओं ने दंतेवाड़ा और नारायणपुर के प्रतिनिधियों को अपनी सामुदायिक बाड़ी में उगाए पपीता, ककड़ी, कुम्हड़ा, चेंच भाजी और अमारी भाजी भेंट किया. बस्तर क्षेत्र के ग्रामीणों को कृषि गतिविधियों में नवाचार अपनाने, गोधन न्याय योजना को बेहतर ढंग से समझाने और उन्नत कृषि को अपनाने के लिए प्रेरित करने मैदानी क्षेत्रों के गौठानों का अध्ययन भ्रमण कराया गया.