संभाग के 5 जिलों के मरीज अपना इलाज कराने दुर्ग-भिलाई के शासकीय और निजी अस्पतालों में आते है. स्वाइन फ्लू का कहर सबसे ज्यादा दुर्ग जिले में बरपा है. यहां साल 2017 में स्वाइन फ्लू से 19 लोगों की मौत हुई थी. वहीं साल 2018 में डेंगू से 50 से भी ज्यादा मौतें हुई है. इस पीड़ा से दुर्ग जिला अभी उभर नहीं पाया है कि यह जिला अब स्वाइन फ्लू की चपेट में आ गया है.
19 लोगों की हो चुकी है मौत
साल 2017 में जिला दुर्ग, बालोद और बेमेतरा सहित इलाज के दौरान कुल 19 मरीजों की मौत दुर्ग भिलाई के विभिन्न अस्पतालों में हुई थी. वहीं कुल 150 से अधिक संदिग्ध मरीजों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चला था, जिसमें से 58 मरीजों का टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आया था. इलाज के लिए संभाग के सभी जिलों के मरीज दुर्ग भिलाई के अस्पतालों में भर्ती थे, जिसमें से 19 की मौत हो गई थी. इसके बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सकते में आ गया था.
स्वाइन फ्लू की वजह से हुई 2 मरीज की मौत की पुष्टि
बता दें कि खतरनाक वायरस से मौत के मामलों में दुर्ग जिला प्रदेश में अव्वल रहा है. अब साल 2019 के शुरुआती महीनों में ही स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीजों के मिलने से स्वास्थ्य विभाग के होश उड़े हुए है. जिले में अब तक इस साल 2 मरीज की मौत स्वाइन फ्लू की वजह से होने की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 1 संदिग्ध की मौत हो चुकी है.
स्वाइन फ्लू से से हुई मौत का आंकड़ा
- भिलाई सेक्टर 6 के रहने वाले 58 वर्षीय राजप्रसाद गुप्ता की मौत 19 जनवरी को भिलाई के बी एम शाह अस्पताल में इलाज के दौरान हुई थी. राजप्रसाद का इलाज बी एम शाह में 10 जनवरी से चल रहा था, जिनके सेम्पल की रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू का पॉजिटिव होना पाया गया था.
- शकुन साहू सुपेला की रहने वाली थी, जिसकी मौत 19 फ़रवरी को बीएम शाह अस्पताल में हुई थी.
- DGM की बेटी रोशनी दुर्ग की रहने वाली थी, जिसका इलाज सेक्टर 9 में चल रहा था. इस दौरान 20 फरवरी को उसकी मौत हो गई.
इस साल 32 संदिग्ध मरीजों का इलाज जिले के विभिन्न अस्पताल में किया गया था, जिनमें से 5 को स्वाइन फ्लू पॉजिटिव होना पाया गया था. हाल ही में भिलाई के सेक्टर 9 अस्पताल में 5 मरीजों का इलाज स्वाइन के संदिग्धों के रूप में किया जा रहा है.