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दुर्ग: आरटीई के तहत प्रवेश प्रक्रिया में लापरवाही, पालक काट रहे सरकारी दफ्तरों के चक्कर

विभाग के ओर से जारी की गई लिस्ट बार-बार निरस्त होने के कारण अब बच्चों के पालकों को सरकारी दफ्तर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.

बच्चों के पेरेंट्स
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Published : May 10, 2019, 2:24 PM IST

दुर्ग: राईट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को जिले के निजी स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा देने के लिए योजना बनाई गई थी, जो की अब पालकों के लिए परेशानी का सबब बनती दिखाई दे रही है. विभाग के ओर से जारी की गई लिस्ट बार-बार निरस्त होने के कारण अब बच्चों के पालकों को सरकारी दफ्तर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.

आरटीई के तहत प्रवेश प्रक्रिया में लापरवाही

जारी लिस्ट निरस्त
दरअसल दुर्ग में शासन की योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे आने वाले पालकों ने अपने बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में पढ़ाने के लिए आरटीई के तहत ऑनलाइन आवेदन भरा था. इसके जरिए कई बच्चों का चयन जिले के विभिन्न स्कूलों में हुआ. शिक्षा विभाग द्वारा जारी पहली लिस्ट में नाम भी आ गए लेकिन जब पालक अपने बच्चे का एडमिशन कराने पहुंचे तो स्कूल ने ये कहते हुए उन्हें भगा दिया की लिस्ट में आपके बच्चे का नाम गायब है. वहीं दूसरी लिस्ट फिर से जारी की गई है जिसमें दूसरे बच्चों का नाम है.

प्रायवेट स्कूल के चक्कर काट रहे पालक
पालक जब जिला शिक्षा विभाग के दफ्तर पहुंचे तो वहां के अधिकारियो ने इसे तकनीकी त्रुटि बताते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. वहीं अब पालक परेशान होकर विभाग और प्रायवेट स्कूल के चक्कर काट रहे हैं. पालकों का कहना है कि जब एक बार लिस्ट में पात्र बताया गया तो अब उनके बच्चों को एडमिशन दिया जाए. वहीं त्रुटि के लिए जिम्मेदार पोर्टल एजेंसी पर भी कार्रवाई के लिए मांग की गई है. देश के गरीब बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में दाखिला देने और शिक्षित करने की योजना पर पोर्टल एजेंसी की लापरवाही ने जिले के कई बच्चों का भविष्य खतरे डाल दिया है. ऐसे में देखने वाली बात होगी की अब विभाग अपना अगला कदम क्या उठाता है.

दुर्ग: राईट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को जिले के निजी स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा देने के लिए योजना बनाई गई थी, जो की अब पालकों के लिए परेशानी का सबब बनती दिखाई दे रही है. विभाग के ओर से जारी की गई लिस्ट बार-बार निरस्त होने के कारण अब बच्चों के पालकों को सरकारी दफ्तर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.

आरटीई के तहत प्रवेश प्रक्रिया में लापरवाही

जारी लिस्ट निरस्त
दरअसल दुर्ग में शासन की योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे आने वाले पालकों ने अपने बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में पढ़ाने के लिए आरटीई के तहत ऑनलाइन आवेदन भरा था. इसके जरिए कई बच्चों का चयन जिले के विभिन्न स्कूलों में हुआ. शिक्षा विभाग द्वारा जारी पहली लिस्ट में नाम भी आ गए लेकिन जब पालक अपने बच्चे का एडमिशन कराने पहुंचे तो स्कूल ने ये कहते हुए उन्हें भगा दिया की लिस्ट में आपके बच्चे का नाम गायब है. वहीं दूसरी लिस्ट फिर से जारी की गई है जिसमें दूसरे बच्चों का नाम है.

प्रायवेट स्कूल के चक्कर काट रहे पालक
पालक जब जिला शिक्षा विभाग के दफ्तर पहुंचे तो वहां के अधिकारियो ने इसे तकनीकी त्रुटि बताते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. वहीं अब पालक परेशान होकर विभाग और प्रायवेट स्कूल के चक्कर काट रहे हैं. पालकों का कहना है कि जब एक बार लिस्ट में पात्र बताया गया तो अब उनके बच्चों को एडमिशन दिया जाए. वहीं त्रुटि के लिए जिम्मेदार पोर्टल एजेंसी पर भी कार्रवाई के लिए मांग की गई है. देश के गरीब बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में दाखिला देने और शिक्षित करने की योजना पर पोर्टल एजेंसी की लापरवाही ने जिले के कई बच्चों का भविष्य खतरे डाल दिया है. ऐसे में देखने वाली बात होगी की अब विभाग अपना अगला कदम क्या उठाता है.

Intro:शिक्षा के अधिकार के तहत गरीब स्कूली बच्चो को मुफ्त में शिक्षा देने की योजना दुर्ग में पालकों के लिए परेशानी का सबब बनता दिखाई दे रहा है विभाग के द्वारा जारी सूचि बार बार निरस्त होने की वजह से अब बच्चो का भविष्य खतरे में दिख रहा है तो पलकों को सरकारी दफ्तर के चक्कर काटने पड़ रहे है ...Body:दरअसल दुर्ग में शासन की योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे आने वाले पालकों ने अपने बच्चो को प्रायवेट स्कुलो में पढ़ाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जिसमे उनके बच्चो का चयन जिले के विभिन्न स्कुलो में हुआ...शिक्षा विभाग से जारी पहली सूचि में बच्चो के नाम भी आ गए पर जब पालक अपने बच्चो का एडमिशन कराने पहुंचे तो स्कुल के द्वारा जानकारी दी गयी की लिस्ट में आपके बच्चे का नाम गायब है वही दूसरी सूचि फिर से जारी कर दी गयी है जिसमें दुसरे बच्चो का नाम है ...पहली सूचि में आये बच्चो के नाम के बाद अब दूसरी सूचि जारी हो गयी पालक जब जिला शिक्षा विभाग के दफ्तर पहुंचे तो वहा के अधिकारियो ने इसे तकनिकी त्रुटी बताते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड लिया...अब पालक परेशान होकर विभाग और प्रायवेट स्कुल के चक्कर काट रहे है पालकों का कहना है कि जब एक बार लिस्ट में पात्र बताया गया तो अब उनके बच्चो को एडमिशन दिया जाए वही त्रुटी के लिए जिम्मेदार पोर्टल एजेंसी पर भी कार्यवाही के लिए मांग की है...बहरहाल देश के गरीब बच्चो को प्रायवेट स्कुलो में दाखिला देने व शिक्षित करने की योजना पर पोर्टल एजेंसी की लापरवाही ने जिले के कई बच्चो का भविष्य को खतरे डाल दिया है ...

बाईट :- धर्मेन्द्र वर्मा,पालक (पीछे बैग रखा हुआ है )
बाईट :- दुर्गेश चौरे,पालक(ब्राउन शर्ट वाला)

बाईट :- अमित घोष,RTE प्रभारी,शिक्षा विभाग,दुर्ग (सफेद शर्ट वाला)Conclusion:ऐसे में देखने वाली बात होगी की अब विभाग अपना अगला कदम क्या उठाता है और बच्चो का भविष्य सुरक्षित रखने के साथ पोर्टल एजेंसी की लापरवाही पर क्या कार्यवाही करता है ..
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