दुर्ग: राईट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को जिले के निजी स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा देने के लिए योजना बनाई गई थी, जो की अब पालकों के लिए परेशानी का सबब बनती दिखाई दे रही है. विभाग के ओर से जारी की गई लिस्ट बार-बार निरस्त होने के कारण अब बच्चों के पालकों को सरकारी दफ्तर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.
जारी लिस्ट निरस्त
दरअसल दुर्ग में शासन की योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे आने वाले पालकों ने अपने बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में पढ़ाने के लिए आरटीई के तहत ऑनलाइन आवेदन भरा था. इसके जरिए कई बच्चों का चयन जिले के विभिन्न स्कूलों में हुआ. शिक्षा विभाग द्वारा जारी पहली लिस्ट में नाम भी आ गए लेकिन जब पालक अपने बच्चे का एडमिशन कराने पहुंचे तो स्कूल ने ये कहते हुए उन्हें भगा दिया की लिस्ट में आपके बच्चे का नाम गायब है. वहीं दूसरी लिस्ट फिर से जारी की गई है जिसमें दूसरे बच्चों का नाम है.
प्रायवेट स्कूल के चक्कर काट रहे पालक
पालक जब जिला शिक्षा विभाग के दफ्तर पहुंचे तो वहां के अधिकारियो ने इसे तकनीकी त्रुटि बताते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. वहीं अब पालक परेशान होकर विभाग और प्रायवेट स्कूल के चक्कर काट रहे हैं. पालकों का कहना है कि जब एक बार लिस्ट में पात्र बताया गया तो अब उनके बच्चों को एडमिशन दिया जाए. वहीं त्रुटि के लिए जिम्मेदार पोर्टल एजेंसी पर भी कार्रवाई के लिए मांग की गई है. देश के गरीब बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में दाखिला देने और शिक्षित करने की योजना पर पोर्टल एजेंसी की लापरवाही ने जिले के कई बच्चों का भविष्य खतरे डाल दिया है. ऐसे में देखने वाली बात होगी की अब विभाग अपना अगला कदम क्या उठाता है.