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मनरेगा मजदूरों को नहीं मिल रहा मेहनताना, पोर्टल में जातिवार एंट्री तो नहीं है वजह ? - दुर्ग में नहीं मिले मनरेगा मजदूरी के रुपये

दुर्ग के कई गांवों में मनरेगा (MGNREGA) के तहत काम करने वाले ग्रामीणों को उनका मेहनताना समय पर नहीं मिल रहा है. वे ग्रामीण बैंक से लेकर पंचायतों के चक्कर काटने को मजबूर हैं. वहीं अधिकारियों का कहना है कि जिले में सभी लंबित भुगतान किए जा चुके हैं. बस इस वित्तीय वर्ष का भुगतान होना बाकी है. ये भी पता चला है कि केंद्र सरकार ने मनरेगा पोर्टल में बदलाव कर दिया है. अब पोर्टल में एंट्री जातिवार हो रही है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस नए बदलाव की वजह से भी श्रमिकों के कार्य दिवस से जुड़े भुगतान में देरी हो रही है.

MGNREGA workers did not get PAYMENT
मनरेगा मजदूरों को नहीं मिला मेहनताना
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Published : May 27, 2021, 10:52 PM IST

Updated : May 28, 2021, 9:58 AM IST

दुर्ग: मेहनत करने के बावजूद ग्रामीणों को मनरेगा (MGNREGA) की मजदूरी समय पर नहीं मिल पा रही है. समय पर मजदूरी नहीं मिलने से ग्रामीणों में नाराजगी है. कई ग्रामीण ऐसे भी हैं, जिनका 2 साल पहले किए गए काम का पैसा अब तक नहीं मिल पाया है. वहीं कुछ ग्रामीण अब भी पंचायतों के चक्कर काट रहे हैं. कोरोना काल में ग्रामीणों को मजदूरी नहीं मिलने से अब उनके सामने भुखमरी के हालात हो गए हैं. इसमें धमधा, पाटन और दुर्ग विकासखंड के कई ग्रामीण शामिल हैं. जिनका मेहनताना नहीं मिल पाया है. प्रशासनिक अधिकारी दावा कर रहे हैं कि सभी का भुगतान किया जा चुका है. इस वित्तीय वर्ष का भुगतान होना बस बाकी है. इधर केंद्र सरकार ने मनरेगा पोर्टल में बदलाव कर दिया है. अब पोर्टल में एंट्री जातिवार हो रही है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस नए बदलाव की वजह से श्रमिकों के कार्य दिवस से जुड़े भुगतान में देरी हो रही है.

मनरेगा मजदूरों का दर्द

जिले के पाटन ब्लॉक के तरीघाट ग्राम पंचायत के बल्लू राम ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने 2 साल पहले मनरेगा के तहत मजदूरी का काम किया था, लेकिन अब तक उसका मेहनताना नहीं मिल पाया है. कई बार रोजगार सहायक अधिकारियों से वे संपर्क कर चुके हैं, पंचायत के भी चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ. मजदूर ने बताया कि संबंधित अधिकारी कहते हैं कि पैसा डाल दिया जाएगा, लेकिन अब तक पैसा नहीं मिल पाया. बल्लू ने बताया कि उसने 3 सप्ताह तक मनरेगा मजदूरी का काम किया है.

काम किया पूरा, मेहनताना मिला आधा

कई ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत काम करने वाले ग्रामीणों को आधा-अधूरा मेहनताना मिल रहा है. पाटन ब्लॉक के अरकार गांव की बिरझा निषाद बताती हैं कि उन्हें पूरे रुपये नहीं मिले हैं. जितने दिन उसने काम किया, उसका आधा पैसा ही मिला है. वह कहती हैं कि आधा मेहनताना मिलने पर जब पंचायत जाते हैं, तो वहां के अधिकारी उन्हें घुमा देते हैं. इतना ही नहीं पड़ोस के गांव में मार्च में उतना ही काम हुआ, लेकिन वहां बहुत से लोगों को पूरा पैसा मिला है. उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से प्रशासन से सवाल किया कि मेहनत पूरा किए हैं, तो मेहनताना आधा क्यों दिया जा रहा?

MGNREGA के तहत चल रहे काम में कोरोना गाइ़डलाइन का पालन नहीं कर रहे मजदूर

मजदूरी की मांग पर अधिकारी करते हैं बदसलूकी

तरीघाट गांव की शांति बाई कहती है कि अप्रैल की मजदूरी का रुपया अब तक उन्हें नहीं मिला है. पिछले 2 सप्ताह से वह पंचायत के चक्कर काट रही है. मजदूरी के पैसे मांगने पर सहायिका बदसलूकी करती है. रुपये नहीं मिलने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि दुर्ग जिला का अंतिम गांव होने की वजह से यहां अधिकारी भी बहुत कम आते हैं.

इस वित्तीय वर्ष की राशि लंबित

इधर जिला प्रशासन का दावा है कि जिला में सभी लंबित भुगतान किए जा चुके हैं. दुर्ग जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि वर्तमान में एक करोड़ 42 लाख 14 हजार की राशि लंबित है. यह इसी वित्तीय वर्ष की राशि है. जिनके रुपये बचे हुए हैं उन सभी का एफटीओ हो चुका है. इसका क्लियरेंस भी बैंक के द्वारा हो रहा है. प्रतिदिन ग्रामीणों के खाते में सीधे रुपये जा रहे हैं.

'मनरेगा के लंबित भुगतान की जिम्मेदारी ले भूपेश सरकार'

केंद्र सरकार ने पोर्टल में किया बदलाव

केंद्र सरकार ने मनरेगा पोर्टल में बदलाव कर दिया है. अब पोर्टल में एंट्री जातिवार हो रही है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस नए बदलाव की वजह से श्रमिकों के कार्य दिवस से जुड़े भुगतान में देरी हो रही है. इससे पहले जॉब कार्ड में नाम, पता, जाति, उम्र, आधार नंबर लिखे हुए हैं. पहले मनरेगा पोर्टल में जनरल एंट्री हो रही थी. एक अप्रैल 2021 से पोर्टल में जातिवार एंट्री की जा रही है. एंट्री के बाद इन आंकड़ों की मैपिंग हो रही है, जिसमें देरी की वजह से भुगतान में देरी हो रही है.

लॉकडाउन के बाद रोजगार की मांग

जिले में 6 अप्रैल से संपूर्ण लॉकडाउन लगाया गया, जो 48 दिनों तक चला. इस दौरान गांव में लोगों का कामकाज ठप रहा. ग्राम पंचायतों ने लोगों को मनरेगा के माध्यम से रोजगार देने के लिए जिला पंचायत में मांग की है. बारिश से पहले कार्यों की स्वीकृति करने की मांग भी पंचायतों ने की है.

मनरेगा के तहत बलौदाबाजार के 126 ग्राम पंचायतों में 13 करोड़ से ज्यादा के काम को मिली मंजूरी

एक नजर में जाने मनरेगा की स्थिति-

  • जिले में 52060 मजदूर कार्यरत
  • इस वित्तीय वर्ष की एक करोड़ 42 लाख 14 हजार रुपये की राशि लंबित
  • जिले में 625 काम जारी
  • जिले में 304 ग्राम पंचायत
  • मनरेगा के तहत 825 कार्य होने हैं
  • 1388 काम शुरू नहीं हुए हैं
  • ग्राम पंचायतों ने की 3012 कार्य की मांग

दुर्ग: मेहनत करने के बावजूद ग्रामीणों को मनरेगा (MGNREGA) की मजदूरी समय पर नहीं मिल पा रही है. समय पर मजदूरी नहीं मिलने से ग्रामीणों में नाराजगी है. कई ग्रामीण ऐसे भी हैं, जिनका 2 साल पहले किए गए काम का पैसा अब तक नहीं मिल पाया है. वहीं कुछ ग्रामीण अब भी पंचायतों के चक्कर काट रहे हैं. कोरोना काल में ग्रामीणों को मजदूरी नहीं मिलने से अब उनके सामने भुखमरी के हालात हो गए हैं. इसमें धमधा, पाटन और दुर्ग विकासखंड के कई ग्रामीण शामिल हैं. जिनका मेहनताना नहीं मिल पाया है. प्रशासनिक अधिकारी दावा कर रहे हैं कि सभी का भुगतान किया जा चुका है. इस वित्तीय वर्ष का भुगतान होना बस बाकी है. इधर केंद्र सरकार ने मनरेगा पोर्टल में बदलाव कर दिया है. अब पोर्टल में एंट्री जातिवार हो रही है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस नए बदलाव की वजह से श्रमिकों के कार्य दिवस से जुड़े भुगतान में देरी हो रही है.

मनरेगा मजदूरों का दर्द

जिले के पाटन ब्लॉक के तरीघाट ग्राम पंचायत के बल्लू राम ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने 2 साल पहले मनरेगा के तहत मजदूरी का काम किया था, लेकिन अब तक उसका मेहनताना नहीं मिल पाया है. कई बार रोजगार सहायक अधिकारियों से वे संपर्क कर चुके हैं, पंचायत के भी चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ. मजदूर ने बताया कि संबंधित अधिकारी कहते हैं कि पैसा डाल दिया जाएगा, लेकिन अब तक पैसा नहीं मिल पाया. बल्लू ने बताया कि उसने 3 सप्ताह तक मनरेगा मजदूरी का काम किया है.

काम किया पूरा, मेहनताना मिला आधा

कई ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत काम करने वाले ग्रामीणों को आधा-अधूरा मेहनताना मिल रहा है. पाटन ब्लॉक के अरकार गांव की बिरझा निषाद बताती हैं कि उन्हें पूरे रुपये नहीं मिले हैं. जितने दिन उसने काम किया, उसका आधा पैसा ही मिला है. वह कहती हैं कि आधा मेहनताना मिलने पर जब पंचायत जाते हैं, तो वहां के अधिकारी उन्हें घुमा देते हैं. इतना ही नहीं पड़ोस के गांव में मार्च में उतना ही काम हुआ, लेकिन वहां बहुत से लोगों को पूरा पैसा मिला है. उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से प्रशासन से सवाल किया कि मेहनत पूरा किए हैं, तो मेहनताना आधा क्यों दिया जा रहा?

MGNREGA के तहत चल रहे काम में कोरोना गाइ़डलाइन का पालन नहीं कर रहे मजदूर

मजदूरी की मांग पर अधिकारी करते हैं बदसलूकी

तरीघाट गांव की शांति बाई कहती है कि अप्रैल की मजदूरी का रुपया अब तक उन्हें नहीं मिला है. पिछले 2 सप्ताह से वह पंचायत के चक्कर काट रही है. मजदूरी के पैसे मांगने पर सहायिका बदसलूकी करती है. रुपये नहीं मिलने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि दुर्ग जिला का अंतिम गांव होने की वजह से यहां अधिकारी भी बहुत कम आते हैं.

इस वित्तीय वर्ष की राशि लंबित

इधर जिला प्रशासन का दावा है कि जिला में सभी लंबित भुगतान किए जा चुके हैं. दुर्ग जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि वर्तमान में एक करोड़ 42 लाख 14 हजार की राशि लंबित है. यह इसी वित्तीय वर्ष की राशि है. जिनके रुपये बचे हुए हैं उन सभी का एफटीओ हो चुका है. इसका क्लियरेंस भी बैंक के द्वारा हो रहा है. प्रतिदिन ग्रामीणों के खाते में सीधे रुपये जा रहे हैं.

'मनरेगा के लंबित भुगतान की जिम्मेदारी ले भूपेश सरकार'

केंद्र सरकार ने पोर्टल में किया बदलाव

केंद्र सरकार ने मनरेगा पोर्टल में बदलाव कर दिया है. अब पोर्टल में एंट्री जातिवार हो रही है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस नए बदलाव की वजह से श्रमिकों के कार्य दिवस से जुड़े भुगतान में देरी हो रही है. इससे पहले जॉब कार्ड में नाम, पता, जाति, उम्र, आधार नंबर लिखे हुए हैं. पहले मनरेगा पोर्टल में जनरल एंट्री हो रही थी. एक अप्रैल 2021 से पोर्टल में जातिवार एंट्री की जा रही है. एंट्री के बाद इन आंकड़ों की मैपिंग हो रही है, जिसमें देरी की वजह से भुगतान में देरी हो रही है.

लॉकडाउन के बाद रोजगार की मांग

जिले में 6 अप्रैल से संपूर्ण लॉकडाउन लगाया गया, जो 48 दिनों तक चला. इस दौरान गांव में लोगों का कामकाज ठप रहा. ग्राम पंचायतों ने लोगों को मनरेगा के माध्यम से रोजगार देने के लिए जिला पंचायत में मांग की है. बारिश से पहले कार्यों की स्वीकृति करने की मांग भी पंचायतों ने की है.

मनरेगा के तहत बलौदाबाजार के 126 ग्राम पंचायतों में 13 करोड़ से ज्यादा के काम को मिली मंजूरी

एक नजर में जाने मनरेगा की स्थिति-

  • जिले में 52060 मजदूर कार्यरत
  • इस वित्तीय वर्ष की एक करोड़ 42 लाख 14 हजार रुपये की राशि लंबित
  • जिले में 625 काम जारी
  • जिले में 304 ग्राम पंचायत
  • मनरेगा के तहत 825 कार्य होने हैं
  • 1388 काम शुरू नहीं हुए हैं
  • ग्राम पंचायतों ने की 3012 कार्य की मांग
Last Updated : May 28, 2021, 9:58 AM IST
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