दुर्ग: धमधा नगर पंचायत दुर्ग में आती है, जो जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर बेमेतरा मार्ग पर स्थित है. धमधा प्राचीन नगरी है, जो तालाब और कांसे के बर्तन के लिए प्रदेश में प्रसिद्ध है. पहले यह जंगल था, जो रतनपुर राज्य में आता था. धमधा में प्राचीन किला और त्रिमूर्ति महामाया मंदिर है, जो नगर की धरोहर है. त्रिमूर्ति महामाया मंदिर का निर्माण गोंड राजवंश के 10वें राजा दशवंत सिंह ने पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए बनवाया था.
नगर पंचायत धमधा 1983 में अस्तित्व में आई. यहां की कुल जनसंख्या 13000 है. इसमें 7460 मतदाता हैं. इसमें 3808 पुरुष और 3652 महिला मतदाताओं की संख्या है. प्राचीन नगर में पहले 55 कुआं और 126 तालाब थे, नगर सरकार की लापरवाही की भेंट चढ़ते-चढ़ते 15 कुआं और 20 तालाब अभी भी बचे हैं. नगर पंचायत में कांग्रेस का एकतरफा दबदबा रहा है. शिवनाथ नदी के तट पर बसा धमधा कृषि प्रधान क्षेत्र है. जहां ज्यादातर किसान रहते हैं.
नगर में साफ-सफाई की बहुत कमी है. नालियों की सफाई नहीं होने से आये दिन यहां के लोग डायरिया, मलेरिया और डेंगू के शिकार होते रहते हैं. तंग गालियां के कारण वार्डों की स्थिति बद से बदतर है. शहर में जल निकासी की व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण कई गलियों में पानी जमा रहता है. नगर में स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है, जिससे कारण यहां के लोगों को जिला मुख्यालय दुर्ग पर ही निर्भर रहना पड़ता है.