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धमधा नगर पंचायत: साफ-सफाई की कमी के कारण लोग डेंगू, मलेरिया से परेशान - डायरिया, मलेरिया और डेंगू के शिकार

प्राचीन नगर में पहले 55 कुआं और 126 तालाब थे, नगर सरकार की लापरवाही की भेंट चढ़ते-चढ़ते 15 कुआं और 20 तालाब अभी भी बचे हैं. नगर पंचायत में कांग्रेस का एकतरफा दबदबा रहा है. शिवनाथ नदी के तट पर बसा धमधा कृषि प्रधान क्षेत्र है. जहां ज्यादातर किसान रहते हैं.

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Published : Nov 8, 2019, 12:42 PM IST

दुर्ग: धमधा नगर पंचायत दुर्ग में आती है, जो जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर बेमेतरा मार्ग पर स्थित है. धमधा प्राचीन नगरी है, जो तालाब और कांसे के बर्तन के लिए प्रदेश में प्रसिद्ध है. पहले यह जंगल था, जो रतनपुर राज्य में आता था. धमधा में प्राचीन किला और त्रिमूर्ति महामाया मंदिर है, जो नगर की धरोहर है. त्रिमूर्ति महामाया मंदिर का निर्माण गोंड राजवंश के 10वें राजा दशवंत सिंह ने पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए बनवाया था.

साफ-सफाई की कमी के कारण लोग डेंगू, मलेरिया से परेशान

नगर पंचायत धमधा 1983 में अस्तित्व में आई. यहां की कुल जनसंख्या 13000 है. इसमें 7460 मतदाता हैं. इसमें 3808 पुरुष और 3652 महिला मतदाताओं की संख्या है. प्राचीन नगर में पहले 55 कुआं और 126 तालाब थे, नगर सरकार की लापरवाही की भेंट चढ़ते-चढ़ते 15 कुआं और 20 तालाब अभी भी बचे हैं. नगर पंचायत में कांग्रेस का एकतरफा दबदबा रहा है. शिवनाथ नदी के तट पर बसा धमधा कृषि प्रधान क्षेत्र है. जहां ज्यादातर किसान रहते हैं.

नगर में साफ-सफाई की बहुत कमी है. नालियों की सफाई नहीं होने से आये दिन यहां के लोग डायरिया, मलेरिया और डेंगू के शिकार होते रहते हैं. तंग गालियां के कारण वार्डों की स्थिति बद से बदतर है. शहर में जल निकासी की व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण कई गलियों में पानी जमा रहता है. नगर में स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है, जिससे कारण यहां के लोगों को जिला मुख्यालय दुर्ग पर ही निर्भर रहना पड़ता है.

दुर्ग: धमधा नगर पंचायत दुर्ग में आती है, जो जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर बेमेतरा मार्ग पर स्थित है. धमधा प्राचीन नगरी है, जो तालाब और कांसे के बर्तन के लिए प्रदेश में प्रसिद्ध है. पहले यह जंगल था, जो रतनपुर राज्य में आता था. धमधा में प्राचीन किला और त्रिमूर्ति महामाया मंदिर है, जो नगर की धरोहर है. त्रिमूर्ति महामाया मंदिर का निर्माण गोंड राजवंश के 10वें राजा दशवंत सिंह ने पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए बनवाया था.

साफ-सफाई की कमी के कारण लोग डेंगू, मलेरिया से परेशान

नगर पंचायत धमधा 1983 में अस्तित्व में आई. यहां की कुल जनसंख्या 13000 है. इसमें 7460 मतदाता हैं. इसमें 3808 पुरुष और 3652 महिला मतदाताओं की संख्या है. प्राचीन नगर में पहले 55 कुआं और 126 तालाब थे, नगर सरकार की लापरवाही की भेंट चढ़ते-चढ़ते 15 कुआं और 20 तालाब अभी भी बचे हैं. नगर पंचायत में कांग्रेस का एकतरफा दबदबा रहा है. शिवनाथ नदी के तट पर बसा धमधा कृषि प्रधान क्षेत्र है. जहां ज्यादातर किसान रहते हैं.

नगर में साफ-सफाई की बहुत कमी है. नालियों की सफाई नहीं होने से आये दिन यहां के लोग डायरिया, मलेरिया और डेंगू के शिकार होते रहते हैं. तंग गालियां के कारण वार्डों की स्थिति बद से बदतर है. शहर में जल निकासी की व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण कई गलियों में पानी जमा रहता है. नगर में स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है, जिससे कारण यहां के लोगों को जिला मुख्यालय दुर्ग पर ही निर्भर रहना पड़ता है.

Intro:नगर पंचायत धमधा (प्रोफ़ाइल)
दुर्ग जिले के अंतर्गत नगर पंचायत धमधा आताहै जो जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर बेमेतरा मार्ग पर स्थित है यह प्राचीन नगर है जो तलाब और कांसे के बर्तन के लिये राज्य भर में प्रसिद्द है ।यहाँ पूर्व में बियावान जंगल था जो रतनपुर राज्य में आता था धमधा में प्राचीन किला एवम त्रिमूर्ति महामाया मंदिर है जो नगर की धरोहर है त्रिमूर्ति महामाया मंदिर का निर्माण गोड राजवंश के दसवें राजा दशवंत सिंह द्वारा पुत्र प्राप्ति के कामना कर कराया था जिसमे महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती के विग्रह है।नगर में प्राचीन तमेर पारा है जहाँ कांसे के बर्तन बनाने वाले रहते है।Body:नगर पंचायत धमधा 1983 में अस्तित्व में आया यहां की जनसंख्या 13000 है जिसमें 7460 मतदाता है जिसमे 3808 पुरुष 3652 महिला है।इस प्राचीन नगर में पूर्व में 55 कुआं और 126 तालाब थे जिसमें महज 15 कुआं और 20 तालाब सलामत है नगर पंचायत में कांग्रेस का एकतरफा दबदबा रहा है यहां कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद तिवारी अनिरुद्ध ताम्रकार चमेली ताम्रकार राजीव गुप्ता अध्यक्ष रहे है वर्तमान में निर्दलीय चुनाव लड़े रमन लाल यादव नगर पंचायत अध्यक्ष है जो बाद में भाजपा प्रवेश किये।शिवनाथ नदी के तट पर बसा यह नगर पंचायत धमधा कृषि प्रधान क्षेत्र है यहां के वार्डों में किसानों की संख्या अधिक है।Conclusion:नगर में चहुंओर गंदगी फैली है नालियों की सफाई नही होती तंग गालियां के कारण वार्डो की स्थिति बद से बदतर है जल निकासी की व्यवस्था नही है। वही खाली पड़े ग्राउंड होने के बाद भी उसे खेल मैदान का रूप अब तक नहीं दिया गया है नगर में स्वास्थ्य शिक्षा जैसे मूलभूत सुविधाओं का अभाव है जिससे जिला मुख्यालय दुर्ग पर ही आश्रित होना पड़ता है।
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