दुर्ग: कोरोना काल में शायद ही कोई ऐसा होगा, जो इसके दुष्प्रभावों से अछूता रहा हो. सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी है स्कूलों, छात्रों और उनके पालकों को. वहीं बच्चों के भविष्य को गढ़ने वाले शिक्षकों पर भी कोरोना काल का काफी बुरा असर देखने को मिला है. उन्हें कई स्कूलों ने वेतन तक नहीं दिया. इधर दुर्ग जिले में अब तक 10 स्कूलों ने विद्यालय बंद करने के लिए शिक्षा विभाग को पत्र सौंपा है. यहां पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अधर में नहीं लटके, इसके लिए शिक्षा विभाग नजदीक के स्कूलों में इन छात्रों का दाखिल करवा रहा है.
इन स्कूलों में गायत्री बाल संस्कार शाला, आशीष विद्यालय जेवरा सिरसा, नवसृजन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निकुम, विश्व वेदांत कुम्हारी, राहुल बाल मंदिर कोसनाला भिलाई, भारती विद्यापीठ सांकरा पाटन, किशोर पब्लिक स्कूल पुलगांव, पंचशील उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खुर्सीपार भिलाई, शिवम पब्लिक स्कूल दुर्ग, सनराइज पब्लिक स्कूल रौंदा धमधा शामिल हैं.
दुर्ग जिले में कुल शासकीय स्कूलों की संख्या 1105 हैं, जबकि निजी स्कूल 595 हैं. जिनमें लाखों बच्चों का भविष्य गढ़ा जाता है, लेकिन लंबे समय से निजी स्कूलों का संचालन बंद होने से अब इनके हमेशा के लिए बंद होने की नौबत आ गई है. ऐसी स्थिति में शिक्षा विभाग को थोड़ी परेशानी जरूर हो रही है, लेकिन जो बच्चे इन स्कूलों में पढ़ते थे, उन्हें आसपास के अन्य स्कूलों में भर्ती करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
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स्कूलों ने जताई असमर्थता
जिला शिक्षा अधिकारी प्रवास बघेल ने बताया कि कोरोना काल में आर्थिक स्थिति के चलते 10 स्कूलों ने विभाग में लिखित में दिया है कि ऐसे वक्त में स्कूल चलना मुश्किल है और उन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को दूसरे स्कूलों में दाखिला दिलवाने को कहा गया है. विभाग द्वारा सभी स्कूलों को नियमानुसार बंद करने की प्रक्रिया होती है, जिसमें स्कूल के सम्पूर्ण दस्तावेज शिक्षा विभाग में जमा करने के बाद स्कूलों को बंद किया जाता है, ताकि स्कूल के बच्चों को किसी दस्तावेज के लिए बाद विद्यालय का चक्कर न काटना पड़े. इस सत्र में और भी स्कूलों से ये आवेदन आया है कि वे अपना विद्यालय बंद करना चाहते हैं. ऐसे स्कूलों को 31 मार्च तक संचालन करने को कहा गया है, उसके बाद ही बंद करने का निर्णय लिया जाएगा.