दुर्ग: होम आइसोलेट कोरोना संक्रमित मरीजों को दवा नहीं मिल पा रही है. इसकी वजह से मरीज और उनके परिजन परेशान हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत तो उन मरीजों को हो रही है जिनके घरों में पूरा परिवार संक्रमित हो जा रहा है. जबकि प्रशासन का दावा है कि दवाइयां आइसोलेट मरीजों को पहुंचाई जा रही है. इसमें एक हफ्ते की दवा देने की बात कही जा रही है. लेकिन यह दावे केवल कागजों में सिमट कर रह गए हैं. शहर के कई ऐसे मरीज हैं जिन तक प्रशासन दवा पहुंचाने में नाकाम साबित हो रहा है. होम आइसोलेट मरीजों ने ETV भारत की टीम को फोन कर दवाई को लेकर हो रही समस्या की जानकारी दी.
एक मरीज ने बताया कि उनकी पत्नी 23 मार्च को कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी. उसके बाद 25 मार्च को उसके दो बेटे पॉजिटिव आए हैं. खुद भी टेस्ट कराया है. लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है. वहीं प्रशानिक कर्मचारी मरीजों को अब तक दवा नहीं पहुंचा पाए हैं. पॉजिटिव आने के बाद पूरे इलाके को सील कर दिया गया है. दवा के लिए प्रशासनिक कर्मचारियों को कहा तो कहते हैं खुद ही आकर दवाई ले जाओ. संक्रमण फैलने की बात कही तो कहते हैं मास्क और ग्लब्स पहनकर दवाई लेने निगम आ जाओ.
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नहीं पहुंची दवाई
रिसाली के एक शख्स ने बताया कि उसने 23 मार्च को कोरोना टेस्ट करवाया था. जिसकी रिपोर्ट 25 को आई थी. रिपोर्ट में वह कोरोना संक्रमित पाया गया. उसके बाद वह होम आइसोलेशन का ऑनलाइन फॉर्म सबमिट किया. लेकिन, 4 दिन बीत जाने के बाद भी दवाई नहीं पहुंची. उन्होंने बताया कि उन्हें सांस लेने में दिक्कतें आ रही है. होम आसोलेशन के लिए जो नंबर दिया गया है उसको बार बार फोन लगा रहा हूं, लेकिन अब तक कोई भी व्यक्ति दवाई लेकर नहीं पहुंचा.
गलत जानकारी दिए जाने की वजह से हो रही दिक्कतें
होम आइसोलेट मरीजों को दवाइयां नहीं मिलने पर कलेक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि 5 हजार से ज्यादा लोग जिले में होम आइसोलेशन में हैं. कोशिश है कि सभी को सही समय में दवाई मिले. उन्होंने बताया कि होम आइसोलेशन में दवाइयां वितरित करने की जो फीडबैक आ रही है उसके मुताबिक 90 फीसदी लोगों को सही समय मे दवाइंया मिल जा रही हैं. हालांकि कुछ प्रतिशत बचे हुए लोग ऐसे हैं जिन्होंने सही जानकारियां नहीं दी है. जिसकी वजह से थोड़ी समस्याएं आ रही हैं.