भिलाई: छत्तीसगढ़ में पिछले कई सालों से गौठानों में दिवाली से पहले गोबर से दीए बनाए जा रहे हैं. इस साल भी शहरी गौठानों में गोबर से दीए बनाए जा रहे हैं. भिलाई में जीवन ज्योति और शिव शक्ति महिला समूह से जुड़ी महिलाएं दीए बना रही है. इन दीयों की डिमांड इतनी ज्यादा है कि हाथों हाथ बिक्री हो रही है. dung lamps made in Gauthans of Bhilai
गोबर के दीयों की ज्यादा मांग: गोबर से बने दीयों की भारी डिमांड के कारण मशीनों की भी सहायता ली जा रही है. ताकि अधिक से अधिक डिमांड की पूर्ति की जा सके. स्वसहायता समूह की महिला पुनम साहू ने बताया " बहुत से दीयों की बिक्री हो चुकी है. कई जगहों से दीयों के ऑर्डर मिले हैं. सूर्या विहार से 500 आर्डर, रायपुर से 1200 दीया का ऑर्डर रिसाली से 300 दीया का आर्डर और गांधी नगर सरकारी स्कूल से 150 दीयों का ऑर्डर मिला है. इसके अलावा भी लगातार दीया खरीदने के लिए लोग पहुंच रहे हैं.
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उपयोग के बाद खाद का काम करते है गोबर के दीए : समूह की महिलाओं ने बताया " गोधन से निर्मित डेकोरेटिव दीए भी तैयार किए जा रहे हैं. अपने आकर्षक रंगों, क्वालिटी की वजह से गोधन निर्मित दीयों की मांग ज्यादा है. ये दीए पूरी तरह से इको फ्रेंडली है. जिसे एक बार उपयोग के बा खाद के रूप में इसका उपयोग किया जा सकता है. Bhilai diwali news गोबर के दीए खरीदने आए मोहन पांडे ने बताया "चाइनीस झालरों से अच्छा है स्थानीयता और संस्कृति को अपनाते हुए गोधन निर्मित दीयों का उपयोग किया जाए. इससे ही घर रोशन किया जाए, पारंपरिक त्योहार में प्रकृति से जुड़ने भी मौका मिलता है."
खुर्सीपार में गोधन निर्मित दीया खरीदने आए सोमेश निषाद ने बताया "त्योहार को देखते हुए गोबर से बने दीयों की खरीदारी की है. इको फ्रेंडली होने के कारण इन दीयों का इस्तेमाल कर चारों तरफ रोशनी करेंगे और पर्यावरण का भी ख्याल रखेंगे. "