दुर्ग: जमाना आधुनिकता के घोड़े पर सवार सरपट दौड़ लगा रहा है. शहरी ही नहीं गांव के लोगों की भी जिंदगी बदली है. जीने के तौर तरीके बदले हैं. जरूरतें और प्राथमिकताएं बदली हैं. इन छोटी बड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए पहले महानगर ही रोजगार के साधन थे. लेकिन अब हालात बदले हैं. खेती किसानी के साथ ही गांव में रोजगार के भी मौके उपलब्ध हो रहे हैं. अब महिलाएं कुशल करीगरों को भी टक्कर दे रही हैं. अंजोरा रूरल इंडस्ट्रियल पार्क से जुड़कर आसपास की महिलाएं अच्छा खासा मुनाफा कमा रही हैं, वो भी अपने घर का और खेती बाड़ी का काम निबटाने के साथ साथ.
ट्रेनिंग से जीवन संवरा: अंजोरा में महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) 2 करोड़ की लागत से स्थापित किया गया. यहां प्लास्टिक बाॅटल, प्लास्टिक जार और बेकरी प्रोडक्ट की इकाई में आसपास की घरेलू महिलाओं को मौका दिया गया. जरा सी ट्रेनिंग के बाद महिलाएं किसी कुशल वर्कर की तरह हर काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं. प्लास्टिक जार के साथ ही ब्रेड और पाव तैयार कर रही हैं.
महिलाओं को अब 12 महीने मिल रहा काम: खेती किसानी के काम 4 महीने करने के बाद रोजगार के लिए गांव के लोगों के पास शहर जाने की ही विकल्प बचता था. मगर अब गांव के लोगों को उनके ही गांव में काम भी मिल रहा है और बढ़ियां दाम भी. क्षेत्र की मांग के हिसाब से जल्द ही रीपा केंद्र में प्लास्टिक से बनने वाले नए उत्पादों को भी शामिल किया जाएगा, ताकि और लोगों को भी रोजगार से जोड़ा जाए.
यहां प्लास्टिक जार बनाने का काम करती हूं. मशीनें भी चला लेती हूं. महिलाओं को आगे बढ़ाने और रीपा में काम देने के लिए सरकार का बहुत आभार. -लता साहू, सदस्य महिला समूह
खेती किसानी में पहले केवल 4 महीने ही काम मिलता था. अब रीपा में 12 महीने काम मिल रहा है. पेमेंट भी ठीक-ठाक है. पहले हम बेरोजगार थे, अब राज्य सरकार की योजना की बदौलत रोजगार मिल गया है. बोतल और जार बनाने का काम करते हैं. अभी घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक हुई है. -आरती, सदस्य महिला समूह
रोजाना तैयार हो रहे 6 हजार प्लास्टिक जार: रीपा अंजोरा में 30 महिलाओं को रोजगार दिया गया है. इनमें ज्यादातर महिलाएं आसपास के गांव के महिला समूह से जुड़ीं हैं. मशीन चलाने के साथ ही इन्हें पैंकिंग की भी ट्रेंनिंग दी गई है. इस केंद्र से रोजाना 6 हजार प्लास्टिक जार तैयार किया जा रहा है. इन जार को आसपास के ही बाजार में 17 रुपए प्रति जार के हिसाब से बड़े ही आराम से बेच दिया जाता है. ब्रेड बनाने और कटिंग के लिए भी मशीन सरकार ने उपलब्ध कराई है. अब जल्द ही आईसक्रीम बनाने की भी मशीन रीपा अंजोरा को दी जाएगी, जिसके बाद यहां रोजगार पाने वालों की संख्या में और भी इजाफा होगा.
प्लास्टिक जार का मार्केट अच्छा चल रहा है. इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं है और इसे रिसाइकिल भी किया जा सकता है. आगे भी ये मार्केट अच्छा चलेगा. घरेलू काम करने के साथ ही महिलाएं अपने ही गांव में बारहों महीने काम पा रही हैं. -रॉकी पांडे, संचालक, रीपा अंजोरा
गांव की 30 महिलाएं अब हुईं आत्मनिर्भर: खेती बाड़ी के साथ ही महिलाओं को उनके ही गांव में रोजगार देने के लिए राज्य सरकार ने हाल ही में महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) शुरू किया. इससे गांव की महिलाओं को आर्थिक लाभ मिल रहा है और वो आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रही हैं. दुर्ग के ग्राम पंचायत अंजोरा में महिलाएं और युवा पहली बार प्लास्टिक जार और बेकरी से जुड़े उत्पाद बनाकर कमाई कर रहे हैं.