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गौ हत्या के महापाप से इस जगह मिलती है मुक्ति, असुर राजा ने किया था निर्माण - गौ हत्या के महापाप से इस जगह मिलती है मुक्ति

freedom from the sin of cow slaughter in Banbarad आज हम आपको ऐसे गांव में लेकर चलेंगे जहां आपको गौ हत्या के पाप से मुक्ति मिलती है.ऐसा माना जाता है कि खुद कर्ण ने इस जगह पर आकर खुद को गौ हत्या के पाप से मुक्त किया था.आज भी पौराणिक काल की निशानियां इस जगह पर देखी जा सकती है.Banbarad gau teerth dham

freedom from the sin of cow slaughter in Banbarad
गौ हत्या के महापाप से इस जगह मिलती है मुक्ति
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 15, 2023, 4:42 AM IST

Updated : Dec 15, 2023, 2:22 PM IST

गौ हत्या के महापाप से इस जगह मिलती है मुक्ति

दुर्ग : दुर्ग जिले के अहिवारा में एक ऐसा स्थान है जहां पर आपको गौ हत्या के पाप से मुक्ति मिलती है.इस जगह का नाम है बानबरद. इस गांव में घुसने के बाद आपको हर तरफ गाय नजर आएंगी.यहीं पर एक ऐसा कुंड है जिसमें नहाने से गौ हत्या जैसे पाप से छुटकारा मिलता है.यदि भूलवश किसी कारण से कोई गौहत्या का भागीदार बन जाए तो बानबरद के कुंड में नहाने से उसके पाप धुल जाते हैं. इस मन्दिर की विशेषता ये है कि ये इकलौता मंदिर है जहां गौ हत्या के पाप से छुटकारा मिलता है.


कहां स्थित है ये मंदिर ? : दुर्ग जिले से महज 18 किलोमीटर दूर बानबरद है. इस मंदिर के बारे में श्रीकृष्ण ने राक्षस बाणासुर को बताया था. मंंदिर के ठीक बाजू में पापमोचन कुंड है. स्नान करने के बाद गौहत्या करने वाले के ऊपर से हत्या का पाप उतर जाता है.हिन्दू धर्म में गौ को माता की तरह पूजा जाता है. भूलवश अनजाने में हुई गौ हत्या के पाप को उतारने लोग इस मन्दिर में आते हैं. विधि विधान से गौ की पूजा कर पाप मोचन कुंड में स्नान करते हैं.

क्या है पौराणिक मान्यता ? : मंदिर के पुजारी महाराज सूर्यकांत वैष्णव ने बताया कि उनकी इस मंदिर में 11 वीं पीढ़ी है. इस मंदिर के बारे में गरुण पुराण में भी जिक्र है. इस मंदिर में पुरातन समय में कर्ण ने आकर गौहत्या के पाप मुक्ति की पूजा की थी. द्वापर युग में भगवान कृष्ण और राक्षस बाणासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ.जब बाणासुर युद्ध में पराजित होने लगा तो उसने छद्मरूप धारण कर कृष्ण की गायों को मारना शुरू कर दिया. एक दिन उसे अपनी गलती का अहसास हुआ.तब भगवान कृष्ण के चरणों में पहुंचकर उसने गौ हत्या के पाप से मुक्ति का रास्ता पूछा.

बाणासुर ने बावड़ी की खुदाई की : भगवान श्रीकृष्ण ने बाणासुर से कहा कि बाणबरद नामक जगह पर एक बावड़ी में जाकर खुदाई करना.खुदाई में मिले विष्णु की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित करके बावड़ी में स्नान और पूजन करना. तब जाकर गौहत्या के महापाप से मुक्ति मिलेगी।.राजा बाणासुर ने ठीक वैसा ही किया. लोगों की ऐसी मान्यता है कि तब से लेकर आज तक बानबरद में गौहत्या का पाप धोने लोग आते हैं. यह देश का इकलौता मंदिर है, जहां गौहत्या का पाप धुलता है.

पुराणों में बाणबरद का है जिक्र : पुराणों में उल्लेख है कि जब बाणासुर राक्षस से गायों की हत्या हो गई, तो वो कृष्ण की शरण में गए.जहां श्रीकृष्ण ने बाणासुर को गौहत्या के पाप से मुक्त होने का रास्ता बताया. बाणासुर को कृष्ण ने बाणबरद जाकर कुंड में नहाने के लिए कहा. ताकि उसे गौ हत्या के पाप से मुक्ति मिल सके.इसलिए आज भी इस कुंड में लोग गौ हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए आते हैं.

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गौ हत्या के महापाप से इस जगह मिलती है मुक्ति

दुर्ग : दुर्ग जिले के अहिवारा में एक ऐसा स्थान है जहां पर आपको गौ हत्या के पाप से मुक्ति मिलती है.इस जगह का नाम है बानबरद. इस गांव में घुसने के बाद आपको हर तरफ गाय नजर आएंगी.यहीं पर एक ऐसा कुंड है जिसमें नहाने से गौ हत्या जैसे पाप से छुटकारा मिलता है.यदि भूलवश किसी कारण से कोई गौहत्या का भागीदार बन जाए तो बानबरद के कुंड में नहाने से उसके पाप धुल जाते हैं. इस मन्दिर की विशेषता ये है कि ये इकलौता मंदिर है जहां गौ हत्या के पाप से छुटकारा मिलता है.


कहां स्थित है ये मंदिर ? : दुर्ग जिले से महज 18 किलोमीटर दूर बानबरद है. इस मंदिर के बारे में श्रीकृष्ण ने राक्षस बाणासुर को बताया था. मंंदिर के ठीक बाजू में पापमोचन कुंड है. स्नान करने के बाद गौहत्या करने वाले के ऊपर से हत्या का पाप उतर जाता है.हिन्दू धर्म में गौ को माता की तरह पूजा जाता है. भूलवश अनजाने में हुई गौ हत्या के पाप को उतारने लोग इस मन्दिर में आते हैं. विधि विधान से गौ की पूजा कर पाप मोचन कुंड में स्नान करते हैं.

क्या है पौराणिक मान्यता ? : मंदिर के पुजारी महाराज सूर्यकांत वैष्णव ने बताया कि उनकी इस मंदिर में 11 वीं पीढ़ी है. इस मंदिर के बारे में गरुण पुराण में भी जिक्र है. इस मंदिर में पुरातन समय में कर्ण ने आकर गौहत्या के पाप मुक्ति की पूजा की थी. द्वापर युग में भगवान कृष्ण और राक्षस बाणासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ.जब बाणासुर युद्ध में पराजित होने लगा तो उसने छद्मरूप धारण कर कृष्ण की गायों को मारना शुरू कर दिया. एक दिन उसे अपनी गलती का अहसास हुआ.तब भगवान कृष्ण के चरणों में पहुंचकर उसने गौ हत्या के पाप से मुक्ति का रास्ता पूछा.

बाणासुर ने बावड़ी की खुदाई की : भगवान श्रीकृष्ण ने बाणासुर से कहा कि बाणबरद नामक जगह पर एक बावड़ी में जाकर खुदाई करना.खुदाई में मिले विष्णु की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित करके बावड़ी में स्नान और पूजन करना. तब जाकर गौहत्या के महापाप से मुक्ति मिलेगी।.राजा बाणासुर ने ठीक वैसा ही किया. लोगों की ऐसी मान्यता है कि तब से लेकर आज तक बानबरद में गौहत्या का पाप धोने लोग आते हैं. यह देश का इकलौता मंदिर है, जहां गौहत्या का पाप धुलता है.

पुराणों में बाणबरद का है जिक्र : पुराणों में उल्लेख है कि जब बाणासुर राक्षस से गायों की हत्या हो गई, तो वो कृष्ण की शरण में गए.जहां श्रीकृष्ण ने बाणासुर को गौहत्या के पाप से मुक्त होने का रास्ता बताया. बाणासुर को कृष्ण ने बाणबरद जाकर कुंड में नहाने के लिए कहा. ताकि उसे गौ हत्या के पाप से मुक्ति मिल सके.इसलिए आज भी इस कुंड में लोग गौ हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए आते हैं.

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Last Updated : Dec 15, 2023, 2:22 PM IST
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