दुर्ग: कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन को लेकर मारामारी की स्थिति देखने को मिली थी. हालात यह थे कि ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह से कई मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी. ऐसे में वन विभाग इस बारिश में ऑक्सीजन उत्सर्जित करने वाले पौधे लगाने की तैयारी में है. इन पौधों से ऑक्सीजन तो मिलेगा ही. साथ ही प्रदूषण भी कम होगा. ऐसे पौधों को लगाने के लिए विभाग आम लोगों को भी प्रेरित करेगा.
शहर और गांव में हरियाली बनाए रखने के लिए हर साल वन विभाग बारिश के दिनों में पौधरोपण करता है. इसके अलावा सरकार के हरियाली प्रसार योजना के तहत भी शहर और गांव को हरा-भरा बनाए रखने के लिए विभाग पौधरोपण के लिए लोगों को मुफ्त पौधे देता है. लेकिन, इस साल कोरोना काल में ऑक्सीजन की समस्या से लोगों को जूझता देख दुर्ग वन विभाग ऑक्सीजन देने वाले पौधे लगाने की तैयारी में है. इसके लिए जिले के अलग-अलग क्षेत्रों को चिन्हांकित किया जा रहा है.
जिले में लगाए जाएंगे डेढ़ लाख पौधे
दुर्ग वन मंडलाधिकारी धम्मशील गणवीर ने बताया कि अभियान के तहत सबसे ज्यादा ऑक्सीजन उत्सर्जित करने वाले पौधे लगाए जाएंगे. जिसमें पीपल, बरगद, नीम और अन्य पेड़ शामिल है. इन पौधों से न केवल ऑक्सीजन मिलता है, बल्कि प्रदूषण भी दूर होता है. इसके अलावा फलदार पौधे भी रोपे जाएंगे. जिसमें आम, नींबू, आंवला समेत कई देसी किस्म के पौधे शामिल है. उन्होंने बताया कि पौधरोपण के लिए जितनी ज्यादा जगह मिलेगी, उतने ज्यादा पेड़ लगाए जा सकेंगे. फिलहाल इस साल डेढ़ से 2 लाख पौधे लगाने का टारगेट है.
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वितरित किए जाएंगे पौधे
राज्य सरकार हरियाली को बनाए रखने के लिए हरियाली प्रसार योजना के तहत पौधरोपण के लिए लोगों को मुफ्त में पौधे देती है. इसके पीछे का उद्देश्य पौधरोपण को बढ़ाने के साथ-साथ पौधों को बचाना होता है. पौधे ऐसे लोगों को दिया जाता है, जिनके पास उसे रोपने के लिए जगह हो. साथ ही वो उस पौधे की सुरक्षा कर सके. वन विभाग ने इस साल डेढ़ से दो लाख पौधे बांटने का लक्ष्य रखा है. इसकी तैयारी विभाग शुरू कर चुका है.
पौधरोपण के लिए मिलेगा 10 हजार प्रति एकड़
जिला वन मंडलाधिकारी ने बताया कि हाल ही में मंत्री परिषद की बैठक में पौधरोपण को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है. उसमें यदि किसान गैर वन क्षेत्रों या खेतों में पौधरोपण करता है, तो उन्हें प्रति एकड़ के हिसाब से 10 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. इसके लिए विभाग ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ने का प्रयास कर रहा है. जिससे जिले में वन क्षेत्रों को बढ़ावा दिया जा सके.