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पाटन में मुश्किल वक्त ने दिखाई किसान को राह, जुगाड़ से हो रही हजारों की पैदावार - Farmer in Durg will work under Ghuruve scheme

कई बार जब कोई रास्ता नहीं बचता है, तो इंसान एक ऐसा रास्ता बना लेता है जो उसे पहचान के साथ बहुत कुछ देता है. दुर्ग के नरेश की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. लॉकडाउन में पट्टे की खेती छूटी और एक दिव्यांग बेटी की जिम्मेदारी जब सिर पर आई तो नरेश ने एक ऐसा रास्ता खेज लिया जिसने उन्हें जीने की राह दिखाने के साथ एक नई उम्मीद दी है. नरेश की पहल से वे जिले पहले ऐसे किसान बन गए हैं, जो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का भी सपना साकार करने जा रहे हैं.

Farmer will produce lakhs from Ghuruwe
किसान घुरूवे से निकलेगा लाखों का पैदावार
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Published : Jun 16, 2021, 7:11 PM IST

Updated : Jun 16, 2021, 7:49 PM IST

दुर्ग: छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वपूर्ण योजना नरवा गरूवा घुरूवा और बाड़ी में घुरूवा को दुर्ग जिले का एक किसान सही रूप से साकार कर रहा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र पाटन के मटंग गांव के रहने वाले किसान नरेश कुमार ने घुरूवा पर ही खेती करना शुरू कर दिया है. छोटे से इस घुरूवे को नरेश ने पूरी तरह से खेती के आकार में ढाल दिया है. नरेश ने पहले तो घुरूवे के आसपास के इलाके की सफाई की, उसके बाद वहां सब्जी-भाजी की खेती शुरू कर दी. एक साल की कड़ी मेहनत के बाद अब सब्जियां उगनी शुरू हो गई हैं. हरी सब्जियों को देख नरेश को उम्मीद है कि भविष्य में उन्हें इससे अच्छी आमदनी होगी.

दुर्ग में किसान का जुगाड़

लॉकडाउन के बाद शुरू किया घुरूवा पर खेती

बीते साल कोरोना की वजह से लॉकडाउन में कई औद्योगिक सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ था. लॉकडाउन ने किसानों को भी बुरी तरह से प्रभावित किया था. लॉकडाउन में प्रभावित होने वाले किसानों में एक नरेश साहू भी हैं. पहले नरेश दूसरों की बाड़ी में सब्जी उगाने का काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद उनका काम छूटा तो उन्होंने घुरूवा पर ही खेती करनी शुरू कर दी. नरेश कहते हैं, पहले तो काफी दिनों तक घुरूवे की साफ सफाई की. आस-पास के बंजर इलाके को घुरूवा से जोड़ा. वहां लगे बेसरम की कटाई की, फिर खेती शुरू कर दी. नरेश कहते हैं, इस काम में उन्हें खूब मेहनत लगा, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि मेहनत का फल एक दिन जरूर मिलेगा.

Farmer will produce lakhs from Ghuruwe
किसान का जुगाड़

कीमतें कम होने के बाद भी बालोद में 1800 रुपये प्रति बोरी का मिल रहा खाद

तार के बदले साड़ियों का इस्तेमाल

किसान नरेश ने मचांग बनाने और घेरा करने के लिए तार की जगह साड़ियों का इस्तेमाल किया है. करीब 5-6 डिसमिल के पूरे इलाके को नरेश ने पुरानी साड़ियों के माध्यम से घेरा बनाया हुआ है, ताकि जानवर अंदर न आ सके. इसके अलावा मचांग में भी उन्होंने साड़ियों का ही उपयोग किया है. नरेश पुरानी साड़ी को बारीक-बारीक फाड़कर रस्सी बनाया है. उसी रस्सी को मचांग के लिए इस्तेमाल किया है. उन्होंने बताया कि मचांग और घेरा के लिए 40 साड़ियां लग गई है. ये साड़ियां परिवार के सदस्यों या गांव वालों की मदद से मिली है.

Farmer will produce lakhs from Ghuruwe
तार के बदले साड़ियों का इस्तेमाल

पानी की न हो समस्या, खोद डाला कुंआ

खेती के लिए पानी का होना बेहद जरूरी है. ऐसे में नरेश ने 7 फीट का कुआं भी खोदा है. बरसात अधिक होने से कुआं पूरी तरह भर चुका है. नरेश ने बताया, टीपा के माध्यम से सब्जियों में पानी डालता है. गर्मी के दिनों में भी कुएं से पानी निकालकर ही सब्जियों में डाला करते हैं, ताकि सब्जियां पूरी तरह से फल फूल सकें. नरेश कहते हैं, घुरूवा ही उनकी आखरी उम्मीद है, क्योंकि उनके पास खेत नहीं है. चार बेटियां हैं. तीन की शादी हो गई है. एक बेटी बची है, लेकिन वह दिव्यांग और 35 साल की हो गई है. बेटा नहीं है, दिव्यांग बेटी की देखरेख भी जरूरी है, इसलिए दूसरे गांव काम के लिए जाने से अच्छा अपने ही गांव के घुरूवे में खेती शुरू की है.

Farmer will produce lakhs from Ghuruwe
किसान की मेहनत

बेटे के जुटाए 1.5 लाख के सिक्के बोरियों में भरकर पहुंचा किसान, खरीद लिया ट्रैक्टर

कई प्रकार की सब्जियों की कर रहे खेती

घुरूवे में खेती करने वाले नरेश जिले के पहले किसान हैं. उन्होंने बताया कि बरबट्टी, सेमी, पटवा भाजी, भिंडी, करेला, भांटा समेत विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगा रहे हैं. इसके अलावा फलदार पैधे भी रोपे हैं. वे कहते हैं, सब्जियों की खेती के लिए वे गोबर के खाद का इस्तेमाल करते हैं. किसी तरह का कीटनाशक का छिड़काव नहीं करते. उनका मानना है कि घुरूवे में ऊर्वक क्षमता अधिक होती है. इससे बहुत ही जल्द सब्जियां उग जाती है.

Farmer will produce lakhs from Ghuruwe
कई प्रकार की सब्जियों की कर रहे खेती

दुर्ग: छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वपूर्ण योजना नरवा गरूवा घुरूवा और बाड़ी में घुरूवा को दुर्ग जिले का एक किसान सही रूप से साकार कर रहा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र पाटन के मटंग गांव के रहने वाले किसान नरेश कुमार ने घुरूवा पर ही खेती करना शुरू कर दिया है. छोटे से इस घुरूवे को नरेश ने पूरी तरह से खेती के आकार में ढाल दिया है. नरेश ने पहले तो घुरूवे के आसपास के इलाके की सफाई की, उसके बाद वहां सब्जी-भाजी की खेती शुरू कर दी. एक साल की कड़ी मेहनत के बाद अब सब्जियां उगनी शुरू हो गई हैं. हरी सब्जियों को देख नरेश को उम्मीद है कि भविष्य में उन्हें इससे अच्छी आमदनी होगी.

दुर्ग में किसान का जुगाड़

लॉकडाउन के बाद शुरू किया घुरूवा पर खेती

बीते साल कोरोना की वजह से लॉकडाउन में कई औद्योगिक सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ था. लॉकडाउन ने किसानों को भी बुरी तरह से प्रभावित किया था. लॉकडाउन में प्रभावित होने वाले किसानों में एक नरेश साहू भी हैं. पहले नरेश दूसरों की बाड़ी में सब्जी उगाने का काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद उनका काम छूटा तो उन्होंने घुरूवा पर ही खेती करनी शुरू कर दी. नरेश कहते हैं, पहले तो काफी दिनों तक घुरूवे की साफ सफाई की. आस-पास के बंजर इलाके को घुरूवा से जोड़ा. वहां लगे बेसरम की कटाई की, फिर खेती शुरू कर दी. नरेश कहते हैं, इस काम में उन्हें खूब मेहनत लगा, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि मेहनत का फल एक दिन जरूर मिलेगा.

Farmer will produce lakhs from Ghuruwe
किसान का जुगाड़

कीमतें कम होने के बाद भी बालोद में 1800 रुपये प्रति बोरी का मिल रहा खाद

तार के बदले साड़ियों का इस्तेमाल

किसान नरेश ने मचांग बनाने और घेरा करने के लिए तार की जगह साड़ियों का इस्तेमाल किया है. करीब 5-6 डिसमिल के पूरे इलाके को नरेश ने पुरानी साड़ियों के माध्यम से घेरा बनाया हुआ है, ताकि जानवर अंदर न आ सके. इसके अलावा मचांग में भी उन्होंने साड़ियों का ही उपयोग किया है. नरेश पुरानी साड़ी को बारीक-बारीक फाड़कर रस्सी बनाया है. उसी रस्सी को मचांग के लिए इस्तेमाल किया है. उन्होंने बताया कि मचांग और घेरा के लिए 40 साड़ियां लग गई है. ये साड़ियां परिवार के सदस्यों या गांव वालों की मदद से मिली है.

Farmer will produce lakhs from Ghuruwe
तार के बदले साड़ियों का इस्तेमाल

पानी की न हो समस्या, खोद डाला कुंआ

खेती के लिए पानी का होना बेहद जरूरी है. ऐसे में नरेश ने 7 फीट का कुआं भी खोदा है. बरसात अधिक होने से कुआं पूरी तरह भर चुका है. नरेश ने बताया, टीपा के माध्यम से सब्जियों में पानी डालता है. गर्मी के दिनों में भी कुएं से पानी निकालकर ही सब्जियों में डाला करते हैं, ताकि सब्जियां पूरी तरह से फल फूल सकें. नरेश कहते हैं, घुरूवा ही उनकी आखरी उम्मीद है, क्योंकि उनके पास खेत नहीं है. चार बेटियां हैं. तीन की शादी हो गई है. एक बेटी बची है, लेकिन वह दिव्यांग और 35 साल की हो गई है. बेटा नहीं है, दिव्यांग बेटी की देखरेख भी जरूरी है, इसलिए दूसरे गांव काम के लिए जाने से अच्छा अपने ही गांव के घुरूवे में खेती शुरू की है.

Farmer will produce lakhs from Ghuruwe
किसान की मेहनत

बेटे के जुटाए 1.5 लाख के सिक्के बोरियों में भरकर पहुंचा किसान, खरीद लिया ट्रैक्टर

कई प्रकार की सब्जियों की कर रहे खेती

घुरूवे में खेती करने वाले नरेश जिले के पहले किसान हैं. उन्होंने बताया कि बरबट्टी, सेमी, पटवा भाजी, भिंडी, करेला, भांटा समेत विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगा रहे हैं. इसके अलावा फलदार पैधे भी रोपे हैं. वे कहते हैं, सब्जियों की खेती के लिए वे गोबर के खाद का इस्तेमाल करते हैं. किसी तरह का कीटनाशक का छिड़काव नहीं करते. उनका मानना है कि घुरूवे में ऊर्वक क्षमता अधिक होती है. इससे बहुत ही जल्द सब्जियां उग जाती है.

Farmer will produce lakhs from Ghuruwe
कई प्रकार की सब्जियों की कर रहे खेती
Last Updated : Jun 16, 2021, 7:49 PM IST
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