दुर्ग: छत्तीसगढ़ में कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. रायपुर के बाद दुर्ग हॉटस्पॉट बना हुआ है. जहां मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. हालात यह है कि लोगों को इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकना पड़ रहा है. इस दौरान अस्पतालों में लापरवाही की खबर भी सामने आ रही है. कोरोना से मौत के बाद परिजनों को डेड बॉडी लेने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. जिले में अपनों के शव लेने के लिए परिजन को दर-दर भटकने को मजबूर है. आलम यह है कि दुर्ग जिला मुर्दाघर में परिजनों की भारी भीड़ उमड़ रही है. जहां कोविड नियमों का भी पालन नहीं हो रहा है. वहीं प्रशासन मूकदर्शक बने बैठा है.
परिजनों को करना पड़ रहा घंटों इंतजार
दुर्ग में कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. हर रोज करीब 20 मरीजों की मौत हो रही है. हालात ऐसे हैं कि मरच्यूरी से मुक्तिधाम तक शव ले जाने के लिए परिजनों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. मरच्यूरी के बाहर मौजूद एक परिजन ने भावुक होकर बताया कि उन्होंने पत्नि को पहले कचांदुर अस्पताल में भर्ती कराया था, उसके बाद दुर्ग लेकर आए और 10 मिनट में उनकी पत्नी की जान चली गई. उन्होंने सही इलाज नहीं होने का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि सरकारी अस्पताल में लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है और प्राइवेट अस्पताल वाले मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं. अब मौत के बाद डेड बॉडी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है.
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शव ले जाने के लिए नहीं मिल रही गाड़ियां
दुर्ग मरच्यूरी में लाशों का अंबार है. हालात ऐसे हैं कि परिजनों को डेड बॉडी ले जाने के लिए गाड़ियां नहीं मिल रही है. एक मृतक के परिजन सुरेंद्र देशपांडे कहते हैं कि 'तीन घंटे से गिड़गिड़ा रहे हैं. मेरी बेटी की कल कोरोना से मौत हो गई थी. किस गाड़ी से ले जाना है कोई कुछ बता नहीं रहा है. जिम्मेदार अधिकारी कह रहे हैं कि अभी 10 बॉडी गई है. थोड़ी देर रूकने बोल रहे हैं, लेकिन काफी समय हो गया है. यहां कोई व्यवस्था नहीं है'.
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व्यवस्था बनाने की कोशिश जारी
मौके पर मौजूद नायब तहसीलदार नीलमणि दुबे ने कहा कि व्यवस्था पूरी है. हमारी लगभग 9 ले 10 गाड़ियां लगी है. गाड़ियां पहले अस्पताल से बॉडी लेकर आती है. उसके बाद यहां से मुक्तिधाम के लिए भेजा जाता है. अलग-अलग रूट में अलग-अलग गाड़ियां लगी है. इसलिए थोड़ा टाइम लगता है. चूंकि बॉडी की संख्या ज्यादा है. इसलिए हम एक साथ चार से पांच शव भेजते हैं. परिजन सिंगल बॉडी भेजने की मांग करते हैं, लेकिन हम रूट के हिसाब मुक्तिधाम भेजते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा परिजन की बॉडी मुक्तिधाम पहुंच सके. ज्यादा से ज्यादा लोगों को राहत मिल पाये. हालांकि हम जानते हैं कि परिजन दुखी हैं. व्यवस्था बनाने की कोशिश जारी है.