दुर्ग: आज मदर्स-डे है, यानी मां का दिन. मां की तुलना कभी किसी से की ही नहीं जा सकती है. मां एक ऐसा शब्द है जिसके आगे बाकी दुनिया के सारे शब्द छोटे पड़ जाते हैं. शायद यही वजह है कि मां को समाज में सबसे ऊंचा स्थान दिया जाता है. माताओं के इस खास दिन को आज पूरी दुनिया मदर्स-डे के रूप में सेलिब्रेट कर रही है. ईटीवी भारत आपको एक ऐसी मां से रूबरू कराने जा रहा है, जो कोरोना काल में भी समाज के प्रति अपना दायित्व निभा रही है. हम बात कर रहे हैं दुर्ग जिला अस्पताल की मेडिकल अफसर डॉ विनीता धुर्वे की, जो अबतक 75 से अधिक कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं की सकुशल डिलीवरी करा चुकी हैं.
डॉ विनीता धुर्वे के पति नहीं हैं और दो बच्चे हैं. उनकी बेटी 9वीं और बेटा 12वीं कक्षा में पढ़ रही है. दोनों बच्चों की जिम्मेदारी डॉ. विनीता के कांधे पर है. बावजूद इसके डॉ विनीता धुर्वे कोविड-19 से संक्रमित गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी करा रही हैं.
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एक भी बच्चा नहीं हुआ संक्रमित: डॉक्टर
डॉक्टर विनीता इस कोरोना काल में अबतक 75 से अधिक कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी करा चुकी हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए विनीता धुर्वे ने बताया कि इसमें से एक भी बच्चा कोविड-19 से संक्रमित नहीं हुआ है. हालांकि संक्रमण का खतरा जरूर रहता है, लेकिन उनके स्टाफ की विशेष सावधानियों की वजह से अबतक जच्चा-बच्चा दोनों सकुशल रहे हैं. उनकी टीम प्रसव कराने वाली महिलाओं से बहन की तरह बर्ताव करती हैं. जिससे ऐसे नाजुक समय में प्रसूताओं के साथ उनका आत्मिक लगाव हो और सुरक्षित डिलीवरी करवाई जा सके.
मां का दूध सर्वोत्तम
डॉक्टर विनीता धुर्वे ने बताया, वे लोग जब भी डिलीवरी या चेकअप के लिए अंदर जाती हैं तो पीपीई कीट पहनना जरूरी होता है. हालांकि पीपीई कीट पहनने से घुटन महसूस होती है, लेकिन खुद की सुरक्षा के लिए जरूरी भी है. वह कहती हैं, डिलीवरी के बाद बच्चे को मां के साथ ही रखते हैं. मां का दूध ही बच्चे को पिलाया जाता है, क्योंकि वही सर्वोत्तम होता है. इस दौरान उनकी सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है. मां को हमेशा हाथों को सैनिटाइज करने और मास्क लगाने कहा जाता है. बच्चे को तौलिया से लिपटाकर रखा जाता है. उन्होंने बताया कि यह सब नार्मल डिलीवरी वालों के लिए होता है. इसके अलावा समय से पहले जिनकी डिलीवरी होती है उस बच्चे को एनआईसीयू में एडमिट कर देते हैं.
जिन्हें आई सांस की दिक्कत, उनकी ऑक्सीजन लगाकर डिलीवरी हुई
कोरोना में लोगों लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कतें सांस लेने में हो रही है. उन्होंने बताया कि जब भी ऐसी कोई ऐसी कंडीशन आई तो उसे भी बेहतर तरीके से मैनेज किया गया है. वैसे इस तरह के केसेस बहुत कम ही आए हैं. एक दो केस जरूर आये थे, जिन्हें ऑक्सीजन लगाकर हैंडल किया गया. डॉक्टर विनीता कहती हैं, कोविड काल में अबतक जितनी भी डिलीवरी उन्होंने की है सभी सफल रही है. खास बात यह है कि इसमें ज्यादतर डिलीवरी नार्मल हुई हैं.
हमारी जिम्मेदारी है, दूसरों की मदद करना: डॉक्टर
डॉक्टर विनीता बताती हैं, उनके पति की मौत 6 साल पहले हो गई थी. उसके बाद से परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई. बच्चों की पढ़ाई से लेकर घर के सारे काम उन्हें खुद ही करना पड़ता है, लेकिन कोरोना काल में लोगों की जान बचाना भी उनकी एक बड़ी जिम्मेदारी है. घर की जवाबदारी होने की वजह से डर तो रहता है, लेकिन डॉक्टर की पढ़ाई के दौरान उन्हें बताया गया था कि दूसरों की मदद करना ही उनका फर्ज है. वो उसी उद्देश्य को पूरा करने में लगी हुई हैं.
जिला अस्पताल में 301 सकुशल डिलीवरी
दुर्ग जिला अस्पताल में 301 कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं की सकुशल डिलीवरी हो चुकी है. इनमें 19 गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन से किया गया है. डॉक्टर विनीता बताती हैं, दुर्ग जिला अस्पताल में जितने भी कोविड-19 से संक्रमित गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी हुई है, उनमें से एक भी बच्चे की रिपोर्ट पॉजीटिव नहीं आई है. इसके अलावा अप्रैल माह से अबतक 15 कोविड-19 से संक्रमित गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी हुई है.