दुर्ग: कोरोना महामारी ने अब शहर के साथ गांव के लोगों को भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है. खासकर शहर से सटे गांवों में कोरोना ने कोहराम मचा दिया है. गांवों में संक्रमितों के साथ मौत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है. दुर्ग जिले के करीब दर्जनभर से अधिक गांव में संक्रमितों का आंकड़ा 100 या 100 से पार है. इनमें से कई गांवों में मौत का आंकड़ा दहाई अंक तक पहुंच चुका है.
पाऊवारा गांव में 15 संक्रमित मिले, एक की मौत हुई
गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के गृहग्राम पाऊवारा में 15 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. इनमें से एक मरीज की उपचार के दौरान मौत हो गई है. सरपंच वामन कुमार साहू ने बताया कि जिस मरीज की मौत हुई है, उसका अंतिम संस्कार दुर्ग के महमरा घाट पर परिजनों की इच्छा मुताबिक किया गया है. इसके अलावा गांव में जितने भी मरीज मिले थे, सभी स्वस्थ हो चुके हैं. हालांकि कुछ लोग अभी भी होम आइसोलेशन में हैं और उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है.
सरपंच की जागरूकता से कम हुआ कोरोना
छत्तीसगढ़ के कुछ ग्राम पंचायतों में सरपंच ने कोरोना के खतरे को पहले ही भांप लिया था. शहर में जैसे ही कोरोना की दूसरी लहर ने तांडव करना शुरू किया, पंचायतें पूरी तरह सतर्क हो गईं. बाहर से आने-जाने वालों पर रोक लगा दी गई. पाऊवारा गांव के सरपंच वामन कुमार साहू ने बताया कि जब पहला मरीज मिला, तो गांव में मुनादी कराई गई. उस इलाके को पूरी तरह सैनिटाइज किया गया. लोगों से घर में रहने की अपील की गई. मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करने के लिए लगातार मुनादी कराई गई. यही वजह है कि गांव में संक्रमण ज्यादा नहीं फैल पाया.
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गांव वालों की सजगता से नहीं फैला कोरोना
ग्रामीण खगेन्द्र कुमार साहू बताते हैं कि आसपास के गांवों में बड़ी संख्या में कोरोना मरीज मिल रहे हैं, लेकिन उनके गांव पाऊवारा में अब तक 15 लोग ही संक्रमित हुए हैं. वे लोग भी अब स्वस्थ हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि गांव वालों की सजगता के कारण उनके गांव में कोरोना का संक्रमण नहीं फैल पाया. गांव के लोग मास्क और शारीरिक दूरी का पालन कर रहे हैं. जरूरी काम होने पर ही वे घर से बाहर निकलते हैं. वे कहते हैं कि कोरोना को गांव में फैलने से रोकने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका गांव वालों की रही है, क्योंकि लोग बेवजह घरों से नहीं निकले, मास्क लगाए रखे और लॉकडाउन के नियमों का सभी ने कड़ाई से पालन किया.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भरोसे गांव
गृहमंत्री का गांव होने की वजह से यहां सड़कें तेजी से बन रही हैं. बहुत से काम हो रहे हैं. इतना ही नहीं हाल ही में पाऊवारा स्टेशन बनाया गया है. जिसका उद्घाटन अभी नहीं हुआ है. स्कूल में बच्चों के खेलने-कूदने की तमाम व्यवस्थाएं हैं, लेकिन कोरोना काल में यदि सबसे ज्यादा किसी चीज की आवश्यकता होती है तो वह है अस्पताल. पाऊवारा गांव में एक ही प्राथमिक केंद्र के भरोसे 3 हजार लोगों की जिंदगी चल रही है. कोविड मरीजों के लिए अस्पताल नहीं है. उन्हें उतई या दुर्ग के कोविड असप्तालों में भर्ती किया जाता है.
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दुर्ग के कई गांवों में पहुंचा कोरोना
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के गांवों में कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. दुर्ग में सबसे पहले ढौर गांव में कोरोना संक्रमितों की पहचान हुई थी. उसके बाद से उस गांव में एक बड़ा कोरोना विस्फोट हुआ. फिर धीरे-धीरे दुर्ग के दर्जन भर से अधिक गांवों में कोरोना ने पैठ पसार लिया. इस बीच बहुत से लोगों की जान भी गई. शहर से जुड़े हनोदा, कुम्हारी, मचांदुर, अशोका समेत दर्जन भर से अधिक गावों में लगातार संक्रमितों के साथ ही मौत का आंकड़ा भी बढ़ रहा है. जिस पर काबू करने का प्रयास सरकार कर रही है.
दुर्ग के ये गांव हैं सबसे ज्यादा प्रभावित
गांव | संक्रमितों की संख्या | मौत | गांव की जनसंख्या |
अशोका गांव | 127 | 6 | 3414 |
ढौर गांव | 180 | 7 | 3000 |
पतोरा | 75 | 5 | 3435 |
अंजोरा | 112 | 16 | 5000 |
हनोद | 80 | 1 | 2853 |
पगबंधि | 20 | 0 | 2000 |