दुर्ग: छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण की दर कम हो रही है. मरीजों की संख्या लगातार घट रही है. सुधरते हालात को देखते हुए प्रशासन ने अनलॉक शुरू कर दिया है. लेकिन शिक्षण और कोचिंग संस्थान अब भी बंद हैं. भिलाई को एजुकेशन हब कहा जाता है. यहां कोचिंग इंस्टीट्यूट 16 महीने से नहीं खुले हैं. बीच में कुछ हफ्तों के लिए इजाजत मिली थी लेकिन मार्च से फिर ताला लटका हुआ है. लंबे वक्त से पसरे सन्नाटे से कोचिंग संचालकों समेत शिक्षकों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है. छात्रों की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है.
कोरोना ने कोचिंग संस्थानों की कमर तोड़ कर रख दी है. एजुकेशन हब भिलाई के कोचिंग संस्थान लंबे समय से बंद हैं. जिससे लाखों का नुकसान हुआ है. कोचिंग संचालक विकास गुप्ता ने ETV भारत से कहा कि 16 महीने हो चुके हैं सरकार ने कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है. ऑनर को हर महीने किराया देना होता है. हर माह तकरीबन एक लाख रुपए किराया देना पड़ रहा है. प्रशासन हर चीज ओपन कर रहा है. लेकिन एजुकेशन के लिए कोई गाइडलाइन नहीं है. विकास गुप्ता ने कहा कि कोचिंग बंद होने से संचालकों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है. प्रशासन को जल्द ही इस मामले में कुछ कदम उठाने चाहिए. सरकार को हमारे लिए भी कुछ सोचना चाहिए.
ऑनलाइन वीडियो गेम में UPI और बैंक एकाउंट न करें रजिस्टर, कांकेर में 3 लाख रुपये से ज्यादा की लगी चपत
ऑनलाइन कोचिंग से स्टाफ की सैलरी नहीं निकल पा रही
कोचिंग संचालक रवि वर्मा बताते हैं कि उनके सेंटर में जेईई, नीट, आईआईटी की पढ़ाई होती है. लॉकडाउन लगने के बाद से कोचिंग बंद हैं. ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है, लेकिन ऑनलाइन क्लास से स्टाफ की सैलरी भी नहीं निकल पा रही है. कोचिंग संस्थानों में ज्यादतर प्राइवेट टीचर होते हैं. संस्थान बंद होने से हमारे शिक्षकों को भी खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हालात यह हैं कि रेंट भर पाना भी मुश्किल हो गया है. उन्होंने ETV भारत को बताया कि यदि शासन प्रशासन कोचिंग संचालित करने के लिए जो भी गाइडलाइन जारी करे. उसी के मुताबिक कोचिंग संचालित की जाएगी.
जेवर गिरवी रख गुजारा करने को मजबूर
भिलाई के कोचिंग संस्थानों के संचालकों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी ऐसी हालत होगी. कोचिंग संचालक एमके सिंह बताते हैं कि डेढ़ साल से कोचिंग बंद है. घर चलाना मुश्किल हो गया है. किसी तरह पैसे बचाकर रखे थे वह भी खत्म हो गए. हालात ऐसे बन गए हैं कि जेवर गिरवी रखकर गुजारा करना पड़ रहा है. कोचिंग संचालक आर्थिक रूप से पूरी तरह टूट चुके हैं. शासन प्रशासन से भी किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल रही है. प्रशासन की ओर से भी कोचिंग को लेकर अब तक किसी भी तरह की कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई है. भविष्य में क्या होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता. कोचिंग संचालकों में एक अलग तरह का भय है. वे आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान हो गए हैं.
नहीं खुली कोचिंग तो बच्चों के एग्जाम्स पर पड़ सकता है असर
कोचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष सत्येंद्र गुप्ता कहते हैं कि लंबे समय से कोचिंग संस्थान बंद है. एजुकेशन हब भिलाई में आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा समेत अन्य राज्यों के स्टूडेंट्स कोचिंग के लिए आते हैं. प्रशासन धीरे-धीरे सभी चीजों को अनलॉक कर रहा है तो उसमें कोचिंग को भी शामिल करना चाहिए. उन्होंने बताया कि ऑनलाइन क्लास से पढ़ाई बेहतर नहीं हो पा रही है. आने वाले दिनों में नीट, जेईई, सीए, सीएमई समेत विभिन्न एग्जाम्स होने वाले हैं. अगर ऑफलाइन क्लासेस जल्द शुरू नहीं हुई तो एग्जाम्स पर खासा असर पड़ेगा. ऐसे में सरकार को जल्द ही कोचिंग संस्थान खोलने की अनुमति देनी चाहिए.
फैक्ट फाइल
- भिलाई में 500 से अधिक कोचिंग संस्थान
- हॉस्टल और पीजी 100 से अधिक हैं
- मेस 100 से अधिक
- सालाना कारोबार 100 करोड़ तक
- कोचिंग के स्टूडेंट्स 20 हजार से अधिक
- भिलाई में 5 लाइब्रेरी
- छोटे बड़े स्किल ट्रेनिंग सेंटर 100 से अधिक