ETV Bharat / state

भिलाई में छत्तीसगढ़ के पहले स्किन बैंक की शुरूआत

छत्तीसगढ़ का पहला स्किन बैंक भिलाई के सेक्टर-9 जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय में शुरू किया गया है. अब गंभीर रूप से जले लोगों को स्किन उपलब्ध हो सकेगी.Chhattisgarh first skin bank started in Bhilai

skin bank
स्किन बैंक
author img

By

Published : Aug 21, 2022, 5:25 PM IST

भिलाई: भिलाई में छत्तीसगढ़ का पहला स्किन बैंक 7 साल बाद सेक्टर-9 जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय में शुभारंभ किया गया, इसे संचालित करने के लिए जरूरी मशीनों के साथ ही सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गईं. सेल प्रबंधन ने योग्य डॉक्टर और ट्रेंड स्टफ को भी नियुक्त किया. 9 सितंबर 2015 को इस स्किन बैंक को तैयार किया गया था. कानूनी अड़चनों और जरूरी मशीनों के अभाव में संचालन नहीं हो पाया था.Chhattisgarh first skin bank started in Bhilai

स्किन बैंक का शुभारंभ:स्किन बैंक के शुभारंभ के लिए जरूरी जगह, आवश्यक मशीनें और प्रशिक्षित स्टाफ की आवश्यकता थी. भिलाई के स्किन बैंक को शुरू करने के लिए एडवांस बर्न केयर डिपार्टमेंट में जगह निर्धारित की गई. आवश्यक मशीनें जैसे इलेक्ट्रिकल डर्मेटोम, स्किन मैशर, बायोसेफ्टी केबिनेट और फ्रीजर, इनक्यूबेटर आदि उपलब्ध कराया गया. जिसमें उच्च प्रबंधन ने अपना त्वरित सहयोग किया. भिलाई इस्पात संयंत्र के बर्न विभाग के 6 स्टाफ मुंबई स्थित नेशनल बर्न सेंटर के स्किन बैंक में प्रशिक्षित किया गया. यह प्रशिक्षित स्टाफ को स्किन बैंक प्रारंभ करने में सहायक सिद्ध होंगे. आवश्यक दस्तावेज और स्किन निकालने की सहमति से लेकर दूसरे मरीज को स्किन लगाने तक की पूरी प्रक्रिया का मैन्युअल बनाया गया है.

प्रदेश का पहला लाइसेंसी स्किन बैंक होगा: सेक्टर-9 का स्किन बैंक प्रदेश का पहला लाइसेंसी स्किन बैंक होगा. राज्य सरकार से पहुंची टीम ने परीक्षण करने के बाद इसी बैंक को अनुमति दी. लाइसेंस मिलने से सेक्टर-9 प्रबंधन अब नियमानुसार प्रदेश के पहले स्किन बैंक का संचालन कर सकेगें. स्किन डोनेशन जीवित व्यक्ति भी कर सकता है, लेकिन सेक्टर-9 अस्पताल के बैंक में अभी ब्रेनडेड मरीजों से ही स्किन प्राप्त करेंगे. स्किन बैंक के प्रबंधक के अनुसार उनमें भी उन्हीं का स्किन लिया जाएगा, जिन्हें एचआईवी, हैपेटाइटिस या फिर कोई वायरल बीमारी न हो. इससे गंभीर से रूप से जल चुके मरीजों के इलाज में बड़ी सुविधा होगी.

मृत लोगों की स्किन को रखा जाएगा सुरक्षित: किसी की मौत हो जाने के मौत के 6 घंटे के अंदर बॉडी से स्किन लिया जा सकता है. सामान्यत: मौत के 6 घंटे के भीतर स्किन सुरक्षित रहती है. इसलिए आगे चलकर अस्पताल प्रबंधन ऐसे डोनर से भी स्किन प्राप्त करेगा. अगर डेड बॉडी फ्रिजर में रखी होगी, तो यह समय सीमा 12 घंटे हो जाएगी. ऐसे डोनर को भी किसी बीमारी से पीड़ित नहीं होना चाहिए. इसके लिए जागरूकता भी लाएंगे.

यह भी पढ़ें: तो क्या छत्तीसगढ़ के पहले कैंसर इंस्टिट्यूट का अस्तित्व बनने से पहले होगा खत्म!

गंभीर रूप से जले मरीजों को मिलेगा जीवनदान: सेक्टर 9 अस्पताल के बर्न यूनिट के एडिशनल सीएमओे डाॅ. उदय कुमार ने बताया, "आने वाले समय में बीएसपी का स्किन बैंक गंभीर रूप से जले मरीजों के लिये वरदान साबित होगा. इस स्किन बैंक से गंभीर रूप से जले मरीजों को जीवन दान मिल सकेगा. मरीज की या उनके रिश्तेदारों की सहमति के बाद ही मरीज की पैर या पीठ की चमड़ी के ऊपरी परत इलेक्ट्रिकल डर्मेटोम के द्वारा निकाली जाएगी. निकाली गई जगह पर प्रॉपर बैंडेज जाएगा. निकली गई चमड़ी को 50 प्रतिशत ग्लिसरॉल में लेकर स्किन बैंक में इनक्यूबेटर में स्टोर किया जाता है. कुछ आवश्यक जांच भी की जाती है. जरूरी जांच की रिपोर्ट आने के बाद बायोसेफ्टी कैबिनेट में स्किन मेंशर के माध्यम से स्किन पर छोटे-छोटे छेद बनाए जाते हैं, जिससे ग्लिसरोल तथा एंटीबायोटिक सॉल्यूशन उसमें अंदर तक जाए और स्किन में कोई संक्रमण ना हो. इस प्रक्रिया के बाद प्रॉपर लेबल, जिसमें नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ फ्रीजर में 85 फीसद ग्लिसरॉल में स्टोर किया जाता है. इस स्किन को लगभग 5 वर्षों तक 4 डिग्री सेंटीग्रेड पर रख सकते हैं.

भिलाई: भिलाई में छत्तीसगढ़ का पहला स्किन बैंक 7 साल बाद सेक्टर-9 जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय में शुभारंभ किया गया, इसे संचालित करने के लिए जरूरी मशीनों के साथ ही सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गईं. सेल प्रबंधन ने योग्य डॉक्टर और ट्रेंड स्टफ को भी नियुक्त किया. 9 सितंबर 2015 को इस स्किन बैंक को तैयार किया गया था. कानूनी अड़चनों और जरूरी मशीनों के अभाव में संचालन नहीं हो पाया था.Chhattisgarh first skin bank started in Bhilai

स्किन बैंक का शुभारंभ:स्किन बैंक के शुभारंभ के लिए जरूरी जगह, आवश्यक मशीनें और प्रशिक्षित स्टाफ की आवश्यकता थी. भिलाई के स्किन बैंक को शुरू करने के लिए एडवांस बर्न केयर डिपार्टमेंट में जगह निर्धारित की गई. आवश्यक मशीनें जैसे इलेक्ट्रिकल डर्मेटोम, स्किन मैशर, बायोसेफ्टी केबिनेट और फ्रीजर, इनक्यूबेटर आदि उपलब्ध कराया गया. जिसमें उच्च प्रबंधन ने अपना त्वरित सहयोग किया. भिलाई इस्पात संयंत्र के बर्न विभाग के 6 स्टाफ मुंबई स्थित नेशनल बर्न सेंटर के स्किन बैंक में प्रशिक्षित किया गया. यह प्रशिक्षित स्टाफ को स्किन बैंक प्रारंभ करने में सहायक सिद्ध होंगे. आवश्यक दस्तावेज और स्किन निकालने की सहमति से लेकर दूसरे मरीज को स्किन लगाने तक की पूरी प्रक्रिया का मैन्युअल बनाया गया है.

प्रदेश का पहला लाइसेंसी स्किन बैंक होगा: सेक्टर-9 का स्किन बैंक प्रदेश का पहला लाइसेंसी स्किन बैंक होगा. राज्य सरकार से पहुंची टीम ने परीक्षण करने के बाद इसी बैंक को अनुमति दी. लाइसेंस मिलने से सेक्टर-9 प्रबंधन अब नियमानुसार प्रदेश के पहले स्किन बैंक का संचालन कर सकेगें. स्किन डोनेशन जीवित व्यक्ति भी कर सकता है, लेकिन सेक्टर-9 अस्पताल के बैंक में अभी ब्रेनडेड मरीजों से ही स्किन प्राप्त करेंगे. स्किन बैंक के प्रबंधक के अनुसार उनमें भी उन्हीं का स्किन लिया जाएगा, जिन्हें एचआईवी, हैपेटाइटिस या फिर कोई वायरल बीमारी न हो. इससे गंभीर से रूप से जल चुके मरीजों के इलाज में बड़ी सुविधा होगी.

मृत लोगों की स्किन को रखा जाएगा सुरक्षित: किसी की मौत हो जाने के मौत के 6 घंटे के अंदर बॉडी से स्किन लिया जा सकता है. सामान्यत: मौत के 6 घंटे के भीतर स्किन सुरक्षित रहती है. इसलिए आगे चलकर अस्पताल प्रबंधन ऐसे डोनर से भी स्किन प्राप्त करेगा. अगर डेड बॉडी फ्रिजर में रखी होगी, तो यह समय सीमा 12 घंटे हो जाएगी. ऐसे डोनर को भी किसी बीमारी से पीड़ित नहीं होना चाहिए. इसके लिए जागरूकता भी लाएंगे.

यह भी पढ़ें: तो क्या छत्तीसगढ़ के पहले कैंसर इंस्टिट्यूट का अस्तित्व बनने से पहले होगा खत्म!

गंभीर रूप से जले मरीजों को मिलेगा जीवनदान: सेक्टर 9 अस्पताल के बर्न यूनिट के एडिशनल सीएमओे डाॅ. उदय कुमार ने बताया, "आने वाले समय में बीएसपी का स्किन बैंक गंभीर रूप से जले मरीजों के लिये वरदान साबित होगा. इस स्किन बैंक से गंभीर रूप से जले मरीजों को जीवन दान मिल सकेगा. मरीज की या उनके रिश्तेदारों की सहमति के बाद ही मरीज की पैर या पीठ की चमड़ी के ऊपरी परत इलेक्ट्रिकल डर्मेटोम के द्वारा निकाली जाएगी. निकाली गई जगह पर प्रॉपर बैंडेज जाएगा. निकली गई चमड़ी को 50 प्रतिशत ग्लिसरॉल में लेकर स्किन बैंक में इनक्यूबेटर में स्टोर किया जाता है. कुछ आवश्यक जांच भी की जाती है. जरूरी जांच की रिपोर्ट आने के बाद बायोसेफ्टी कैबिनेट में स्किन मेंशर के माध्यम से स्किन पर छोटे-छोटे छेद बनाए जाते हैं, जिससे ग्लिसरोल तथा एंटीबायोटिक सॉल्यूशन उसमें अंदर तक जाए और स्किन में कोई संक्रमण ना हो. इस प्रक्रिया के बाद प्रॉपर लेबल, जिसमें नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ फ्रीजर में 85 फीसद ग्लिसरॉल में स्टोर किया जाता है. इस स्किन को लगभग 5 वर्षों तक 4 डिग्री सेंटीग्रेड पर रख सकते हैं.

For All Latest Updates

TAGGED:

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.