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दूसरों को भोजन कराने वाले खुद हुए रोटी को मोहताज, कोरोना से कैटरर्स व्यवसाय को भारी नुकसान

कोरोना संकट और लॉकडाउन ने कैटरर्स को भी परेशानी में (Caterers are facing financial trouble due to Corona) डाल दिया है. पिछले डेढ़ साल से कैटरिंग संचालक परेशान हैं. हालत ये हो गई है कि शादी-ब्याह जैसे अवसरों में दूसरों को खाना खिलाने वाले खुद ही दो वक्त की रोटी के लिए परेशान हैं.

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कोरोना से कैटरर्स का व्यवसाय चौपट
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Published : Jun 6, 2021, 11:11 PM IST

Updated : Jun 7, 2021, 3:39 PM IST

दुर्ग: कोरोना महामारी (corona pandemic) ने न सिर्फ आमजन पर जानलेवा हमला किया. बल्कि लोगों की रोजी-रोटी पर भी तगड़ा प्रहार किया है. कई उद्योग बंद हो गए तो बहुत से प्राइवेट कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी कर दी. हालात यह है कि तमाम व्यापार घाटे और नुकसान में चल रहे हैं. इन सबके अलावा एक ऐसा वर्ग भी है जो शादी या अन्य समारोह में आमंत्रित अतिथियों को स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध कराते हैं, लेकिन आज वो खुद ही दो वक्त की रोटी के लिए परेशान हैं. कोरोना (corona) के कारण लगाए गए लॉकडाउन (lockdown) ने जिन धंधों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया, उनमें कैटरिंग व्यवसाय (catering business in chhattisgarh) भी शामिल है. पिछले डेढ़ साल कोरोना ने कैटरर्स संचालकों की कमर तोड़कर रख दी है.

कोरोना से कैटरर्स व्यवसाय को भारी नुकसान

कोरोना की दूसरी लहर में लगे लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है. लॉकडाउन से पहले ही शादी समारोहों पर संकट खड़ा हो गया था. कई शादियां टल गईं तो, कुछ मंदिरों में या घरों में ही 20 लोगों को शामिल कर शादियां हुई. पिछले लॉकडाउन से ही नुकसान झेल रहे कैटरर्स को इस बार के लॉकडाउन ने तगड़ा झटका दे दिया है. दुर्ग जिले में 200 से अधिक कैटरर्स संचालक हैं, जो कई सालों से कैटरिंग का काम करते आ रहे हैं. एक एक संचालकों के अंडर में 50 से अधिक वर्कर्स रहते हैं, जिनका काम स्वादिष्ट भोजन के साथ ही लोगों को खिलाने की भी जिम्मेदारी होती है, लेकिन कोरोना महामारी ने इनके व्यवसाय को पूरी तरह से तबाह कर दिया है. आज ये लोग दाने-दाने के मोहताज हो गए हैं. हालात यह है कि बहुत से वर्करों ने अब अपना काम ही बदल दिया है. खाना बनाने वाले कई वर्कर्स मजबूरी या अन्य कामों में लग गए हैं.

EXCLUSIVE: लॉकडाउन ने कराया 800 करोड़ का नुकसान, डेकोरेशन और कैटरिंग का काम ठप !

'दूसरों को खाना खिलाने वाले खुद भूखे'

खुर्सीपार निवासी न्यू जायसवाल कैटरर्स के संचालक संतोष जायसवाल ने ईटीवी भारत को अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि, वे 20 साल से कैटरिंग का काम कर रहे हैं. उनके यहां 100 वर्कर्स हैं, लेकिन कोरोना महामारी ने उनके काम को खासा प्रभावित किया है. कोरोना के पहले जहां एक महीने में 20 काम मिल जाते थे, लेकिन अब एक काम मिलना भी मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि हम लोग शादी या अन्य समारोह में अतिथियों को भोजन कराते थे, लेकिन आज हमारे पास ही भोजन की समस्या उत्पन्न हो गई है. इसके अलावा हमारे बहुत से वर्कर्स रोजगार नहीं मिलने की वजह से या तो घर में बैठे हैं या दिहाड़ी मजदूरी करने पर मजबूर हैं.

Caterers facing hardship due to corona lockdown at durg
दुकानों में धूल खा रहे बर्तन
शासन से नहीं मिला सहयोग, हलवाई छोड़ रहे काम

पप्पू कैटरर्स के संचालक कमल किशोर सिंघल बताते हैं कि पिछले साल 23 मार्च से लॉकडाउन लगा. उसके बाद से अगस्त तक एक रुपए की कमाई नहीं हुई. पूरी तरह से उनका काम बंद रहा. उसके बाद नवंबर-दिसंबर में प्रशासन ने थोड़ी रियायत दी, जिसमें 50 लोगों को शादी समारोह में आने की अनुमति दी गई. उस समय थोड़ा बहुत ही काम चला. फिर जनवरी से लेकर मार्च तक सीजन कोई सीजन नहीं था. हमें अप्रैल और मई का इंतजार था, क्योंकि हमारा कारोबार सीजन के हिसाब से ही चलता है और इस माह में सबसे अधिक मुहूर्त थे, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया. सिंघल ने बताया कि पिछले डेढ़ साल से कोरोना के चलते उनका व्यापार कई सालों पीछे चला गया.

Caterers facing hardship due to corona lockdown at durg
दुकानों में धूल खा रहे बर्तन

लाखों के सामानों पर जमी धूल

कैटरिंग का काम करने वाले बताते हैं कि उनके सामान दुकानों में रखे-रखे धूल खा रहे हैं. संक्रमण कम होने के बाद प्रशासन ने महज 50 लोगों को ही शादी में आने की अनुमति दे रही है. ऐसे में लोग खुद ही भोजन पका लें रहे हैं. यहां फिर होटलों में ऑर्डर कर रहे हैं. कैटरर्स एम श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि 35 साल से कैटरिंग का काम कर रहे हैं. उनके पास 20 मजदूर परमानेंट थे, लेकिन काम बंद होने की वजह से सभी घरों में खाली बैठे हुए हैं. कैटरर्स के पास पहली बार रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गई है. रेड्डी ने बताया कि कोरोना से पहले साल भर में शादी के अलावा अन्य समारोह मिलाकर सैकड़ों काम मिलता था, लेकिन अब एक काम नहीं मिल रहा है. खाना पकाने वाले बर्तन, सामान दुकान में रखे-रखे धूल खा रहे हैं.

टेंट और साउंड सर्विस पर लॉकडाउन की मार, सरकार से मदद की गुहार

होटलों में शादी होने से कैटरिंग व्यवसाय को हो रहा नुकसान

कैटरर्स संचालक अन्नू जायसवाल ने बताया कि शादी या अन्य समारोह में डेकोरेशन के साथ ही अतिथियों को स्वादिष्ट भोजन कराते हैं, लेकिन कोरोना की वजह से व्यापार पूरी तरह से बर्वाद हो गया है. हालात ऐसे हैं कि बहुत से वर्कर्स अपने पुस्तैनी काम को छोड़ने पर मजबूर हैं. उन्होंने बताया कि 50 लोगों की अनुमति होने की वजह से ज्यादातर लोग होटलों में शादी करना पसंद कर रहे हैं. इसकी वजह से उनका काम प्रभावित हो रहा है. कैटरर्स संचालक ने प्रशासन से मांग की है कि शादी समारोह में मेहमानों की संख्या बढ़ाई जाए. जिससे उनकी भी रोजी-रोटी चलती रहे.

जिले में कैटरर्स संचालकों से जुड़े आंकड़े

  • जिले में 200 से अधिक कैटरर्स संचालक.
  • जिले में 4000 से अधिक कैटरर्स मजदूर हुए प्रभावित.
  • साल में तीन से चार सीजन शादी के.
  • हर सीजन के एक माह में 20-25 मिलते हैं काम.
  • दुर्ग जिले में 3 हजार से अधिक शादी के आए आवेदन.
  • अनलॉक होने के बाद करीब 100 शादियां होटलों में हुई.

दुर्ग: कोरोना महामारी (corona pandemic) ने न सिर्फ आमजन पर जानलेवा हमला किया. बल्कि लोगों की रोजी-रोटी पर भी तगड़ा प्रहार किया है. कई उद्योग बंद हो गए तो बहुत से प्राइवेट कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी कर दी. हालात यह है कि तमाम व्यापार घाटे और नुकसान में चल रहे हैं. इन सबके अलावा एक ऐसा वर्ग भी है जो शादी या अन्य समारोह में आमंत्रित अतिथियों को स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध कराते हैं, लेकिन आज वो खुद ही दो वक्त की रोटी के लिए परेशान हैं. कोरोना (corona) के कारण लगाए गए लॉकडाउन (lockdown) ने जिन धंधों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया, उनमें कैटरिंग व्यवसाय (catering business in chhattisgarh) भी शामिल है. पिछले डेढ़ साल कोरोना ने कैटरर्स संचालकों की कमर तोड़कर रख दी है.

कोरोना से कैटरर्स व्यवसाय को भारी नुकसान

कोरोना की दूसरी लहर में लगे लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है. लॉकडाउन से पहले ही शादी समारोहों पर संकट खड़ा हो गया था. कई शादियां टल गईं तो, कुछ मंदिरों में या घरों में ही 20 लोगों को शामिल कर शादियां हुई. पिछले लॉकडाउन से ही नुकसान झेल रहे कैटरर्स को इस बार के लॉकडाउन ने तगड़ा झटका दे दिया है. दुर्ग जिले में 200 से अधिक कैटरर्स संचालक हैं, जो कई सालों से कैटरिंग का काम करते आ रहे हैं. एक एक संचालकों के अंडर में 50 से अधिक वर्कर्स रहते हैं, जिनका काम स्वादिष्ट भोजन के साथ ही लोगों को खिलाने की भी जिम्मेदारी होती है, लेकिन कोरोना महामारी ने इनके व्यवसाय को पूरी तरह से तबाह कर दिया है. आज ये लोग दाने-दाने के मोहताज हो गए हैं. हालात यह है कि बहुत से वर्करों ने अब अपना काम ही बदल दिया है. खाना बनाने वाले कई वर्कर्स मजबूरी या अन्य कामों में लग गए हैं.

EXCLUSIVE: लॉकडाउन ने कराया 800 करोड़ का नुकसान, डेकोरेशन और कैटरिंग का काम ठप !

'दूसरों को खाना खिलाने वाले खुद भूखे'

खुर्सीपार निवासी न्यू जायसवाल कैटरर्स के संचालक संतोष जायसवाल ने ईटीवी भारत को अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि, वे 20 साल से कैटरिंग का काम कर रहे हैं. उनके यहां 100 वर्कर्स हैं, लेकिन कोरोना महामारी ने उनके काम को खासा प्रभावित किया है. कोरोना के पहले जहां एक महीने में 20 काम मिल जाते थे, लेकिन अब एक काम मिलना भी मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि हम लोग शादी या अन्य समारोह में अतिथियों को भोजन कराते थे, लेकिन आज हमारे पास ही भोजन की समस्या उत्पन्न हो गई है. इसके अलावा हमारे बहुत से वर्कर्स रोजगार नहीं मिलने की वजह से या तो घर में बैठे हैं या दिहाड़ी मजदूरी करने पर मजबूर हैं.

Caterers facing hardship due to corona lockdown at durg
दुकानों में धूल खा रहे बर्तन
शासन से नहीं मिला सहयोग, हलवाई छोड़ रहे काम

पप्पू कैटरर्स के संचालक कमल किशोर सिंघल बताते हैं कि पिछले साल 23 मार्च से लॉकडाउन लगा. उसके बाद से अगस्त तक एक रुपए की कमाई नहीं हुई. पूरी तरह से उनका काम बंद रहा. उसके बाद नवंबर-दिसंबर में प्रशासन ने थोड़ी रियायत दी, जिसमें 50 लोगों को शादी समारोह में आने की अनुमति दी गई. उस समय थोड़ा बहुत ही काम चला. फिर जनवरी से लेकर मार्च तक सीजन कोई सीजन नहीं था. हमें अप्रैल और मई का इंतजार था, क्योंकि हमारा कारोबार सीजन के हिसाब से ही चलता है और इस माह में सबसे अधिक मुहूर्त थे, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया. सिंघल ने बताया कि पिछले डेढ़ साल से कोरोना के चलते उनका व्यापार कई सालों पीछे चला गया.

Caterers facing hardship due to corona lockdown at durg
दुकानों में धूल खा रहे बर्तन

लाखों के सामानों पर जमी धूल

कैटरिंग का काम करने वाले बताते हैं कि उनके सामान दुकानों में रखे-रखे धूल खा रहे हैं. संक्रमण कम होने के बाद प्रशासन ने महज 50 लोगों को ही शादी में आने की अनुमति दे रही है. ऐसे में लोग खुद ही भोजन पका लें रहे हैं. यहां फिर होटलों में ऑर्डर कर रहे हैं. कैटरर्स एम श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि 35 साल से कैटरिंग का काम कर रहे हैं. उनके पास 20 मजदूर परमानेंट थे, लेकिन काम बंद होने की वजह से सभी घरों में खाली बैठे हुए हैं. कैटरर्स के पास पहली बार रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गई है. रेड्डी ने बताया कि कोरोना से पहले साल भर में शादी के अलावा अन्य समारोह मिलाकर सैकड़ों काम मिलता था, लेकिन अब एक काम नहीं मिल रहा है. खाना पकाने वाले बर्तन, सामान दुकान में रखे-रखे धूल खा रहे हैं.

टेंट और साउंड सर्विस पर लॉकडाउन की मार, सरकार से मदद की गुहार

होटलों में शादी होने से कैटरिंग व्यवसाय को हो रहा नुकसान

कैटरर्स संचालक अन्नू जायसवाल ने बताया कि शादी या अन्य समारोह में डेकोरेशन के साथ ही अतिथियों को स्वादिष्ट भोजन कराते हैं, लेकिन कोरोना की वजह से व्यापार पूरी तरह से बर्वाद हो गया है. हालात ऐसे हैं कि बहुत से वर्कर्स अपने पुस्तैनी काम को छोड़ने पर मजबूर हैं. उन्होंने बताया कि 50 लोगों की अनुमति होने की वजह से ज्यादातर लोग होटलों में शादी करना पसंद कर रहे हैं. इसकी वजह से उनका काम प्रभावित हो रहा है. कैटरर्स संचालक ने प्रशासन से मांग की है कि शादी समारोह में मेहमानों की संख्या बढ़ाई जाए. जिससे उनकी भी रोजी-रोटी चलती रहे.

जिले में कैटरर्स संचालकों से जुड़े आंकड़े

  • जिले में 200 से अधिक कैटरर्स संचालक.
  • जिले में 4000 से अधिक कैटरर्स मजदूर हुए प्रभावित.
  • साल में तीन से चार सीजन शादी के.
  • हर सीजन के एक माह में 20-25 मिलते हैं काम.
  • दुर्ग जिले में 3 हजार से अधिक शादी के आए आवेदन.
  • अनलॉक होने के बाद करीब 100 शादियां होटलों में हुई.
Last Updated : Jun 7, 2021, 3:39 PM IST
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