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Mushroom Farming: भिलाई के गोठानों में मशरूम की पैदावार, आत्मनिर्भर बन रही स्व सहायता समूह की महिलाएं - Gothan Women growing mushroom in Durg

Mushroom Farming: भिलाई के गोठानों में मशरूम की पैदावार कर स्व सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. भिलाई के नई उड़ान स्व सहायता समूह की पांच महिलाओं ने दो माह पहले मशरूम की पैदावार शुरू की थी. अब हर दिन ये महिलाएं 5 किलो तक मशरूम उत्पादन कर रही है.

Bhilai Gothan Women Growing Mushroom
भिलाई के गोठानों में मशरूम की खेती
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 20, 2023, 5:11 PM IST

Updated : Sep 20, 2023, 10:44 PM IST

मशरूम की पैदावार कर आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं

दुर्ग भिलाई: छत्तीसगढ़ के गोठानों में मशरूम की खेती की जा रही है. इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. भिलाई के कोसनाला शहर गौठान की नई उड़ान स्व सहायता समूह की पांच महिलाओं ने आजीविका के रूप में मशरूम उत्पादन काम को चुना. कम समय और कम लागत में ये महिलाएं ज्यादा लाभ लेने के लिए मशरूम उत्पादन कर रहीं हैं.

ये है पूरा प्रोसेस: इस बारे में नई उड़ान महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष रेखा बघेल ने ETV भारत को बताया कि, 2 माह पहले मशरूम की खेती गौठान में शुरू किया था. 5000 का मशरूम अब तक बेच चुके हैं. मशरूम उत्पादन के लिए हम गेहूं के भूसे को निर्धारित मात्रा में फॉर्मेलिन पाउडर और वॉवेस्टिंग लिक्विड के साथ रातभर पानी में भिगाकर रखते हैं. सुबह धूप में सुखाने के बाद प्लास्टिक की थैलियों में लेयर बाई लेयर बीच-बीच में मशरूम भरकर कमरे में लटका देते हैं. 15 से 20 दिन के बाद जब मशरूम तैयार होने लगता है, तो प्लास्टिक के थैलियों को बाहर से हटाया जाता है. इसके बाद लगभग सप्ताहभर के बाद मशरूम पूरी तरह तैयार हो जाता है."

हर दिन उत्पादन हो रहा 5 किलो मशरूम: मशरूम उत्पादन के बारे में भिलाई नगर निगम के जोन आयुक्त प्रीति सिंह ने बताया कि, "गौठान की योजना महिलाओं को स्वालंबी बना रही है. इसके तहत नई उड़ान स्व सहायता समूह की ओर से मशरूम उत्पादन का काम महिलाएं कर रही है. महिला समूह की ओर से हर दिन 5 किलो मशरूम उत्पादन किया जा रहा है. कुल 5 महिलाएं इसमें शामिल है. इनके द्वारा गौठान में मशरूम उत्पादन के लिए 1000 बैग टांगने का लक्ष्य है. लेकिन 600 बैग लगाये गए हैं. इनमें कुछ ही समय में उत्पादन होना शुरू हो जाता है. इसके साथ ही और बैग लगाने की तैयारी भी की जा रही है."

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आत्मनिर्भर बन रही गोठान की महिलाएं: इन समूहों की ओर से उत्पादित मशरूम की मार्केट में अच्छी डिमांड है. मशरूम को प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है. ये सूखा और गीला दोनों रूप में बिकता है. समूह की ये महिलाएं मशरूम उत्पादन के लिए सुबह से ही आ जाती हैं. उसके बाद मशरूम बनाने का प्रोसेस शुरू होता है. मशरूम बनाने के लिए पहले झिल्ली में पारा गिला करके बीज डाला जाता है. उसके बाद कुछ दिनों के लिए बैग को 25 डिग्री टेंपरेचर पर एक रूम में टंगा दिया जाता है. मशरूम बनने के बाद झिल्ली से उसे तोड़कर इकट्ठा किया जाता है, उसके बाद उसे पैक कर कर बाजारों में बेचा जाता है. गोठान की महिलाओं ने दो माह पहले मशरूम के उत्पादन का काम शुरू किया था. अब तक इन लोगों ने 10 से 12 हजार रुपए कमा लिए हैं. गोठान की महिलाओं की मानें तो जब से इन्होंने मशरूम की खेती शुरू की है, तब से इनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है.

मशरूम की पैदावार कर आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं

दुर्ग भिलाई: छत्तीसगढ़ के गोठानों में मशरूम की खेती की जा रही है. इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. भिलाई के कोसनाला शहर गौठान की नई उड़ान स्व सहायता समूह की पांच महिलाओं ने आजीविका के रूप में मशरूम उत्पादन काम को चुना. कम समय और कम लागत में ये महिलाएं ज्यादा लाभ लेने के लिए मशरूम उत्पादन कर रहीं हैं.

ये है पूरा प्रोसेस: इस बारे में नई उड़ान महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष रेखा बघेल ने ETV भारत को बताया कि, 2 माह पहले मशरूम की खेती गौठान में शुरू किया था. 5000 का मशरूम अब तक बेच चुके हैं. मशरूम उत्पादन के लिए हम गेहूं के भूसे को निर्धारित मात्रा में फॉर्मेलिन पाउडर और वॉवेस्टिंग लिक्विड के साथ रातभर पानी में भिगाकर रखते हैं. सुबह धूप में सुखाने के बाद प्लास्टिक की थैलियों में लेयर बाई लेयर बीच-बीच में मशरूम भरकर कमरे में लटका देते हैं. 15 से 20 दिन के बाद जब मशरूम तैयार होने लगता है, तो प्लास्टिक के थैलियों को बाहर से हटाया जाता है. इसके बाद लगभग सप्ताहभर के बाद मशरूम पूरी तरह तैयार हो जाता है."

हर दिन उत्पादन हो रहा 5 किलो मशरूम: मशरूम उत्पादन के बारे में भिलाई नगर निगम के जोन आयुक्त प्रीति सिंह ने बताया कि, "गौठान की योजना महिलाओं को स्वालंबी बना रही है. इसके तहत नई उड़ान स्व सहायता समूह की ओर से मशरूम उत्पादन का काम महिलाएं कर रही है. महिला समूह की ओर से हर दिन 5 किलो मशरूम उत्पादन किया जा रहा है. कुल 5 महिलाएं इसमें शामिल है. इनके द्वारा गौठान में मशरूम उत्पादन के लिए 1000 बैग टांगने का लक्ष्य है. लेकिन 600 बैग लगाये गए हैं. इनमें कुछ ही समय में उत्पादन होना शुरू हो जाता है. इसके साथ ही और बैग लगाने की तैयारी भी की जा रही है."

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आत्मनिर्भर बन रही गोठान की महिलाएं: इन समूहों की ओर से उत्पादित मशरूम की मार्केट में अच्छी डिमांड है. मशरूम को प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है. ये सूखा और गीला दोनों रूप में बिकता है. समूह की ये महिलाएं मशरूम उत्पादन के लिए सुबह से ही आ जाती हैं. उसके बाद मशरूम बनाने का प्रोसेस शुरू होता है. मशरूम बनाने के लिए पहले झिल्ली में पारा गिला करके बीज डाला जाता है. उसके बाद कुछ दिनों के लिए बैग को 25 डिग्री टेंपरेचर पर एक रूम में टंगा दिया जाता है. मशरूम बनने के बाद झिल्ली से उसे तोड़कर इकट्ठा किया जाता है, उसके बाद उसे पैक कर कर बाजारों में बेचा जाता है. गोठान की महिलाओं ने दो माह पहले मशरूम के उत्पादन का काम शुरू किया था. अब तक इन लोगों ने 10 से 12 हजार रुपए कमा लिए हैं. गोठान की महिलाओं की मानें तो जब से इन्होंने मशरूम की खेती शुरू की है, तब से इनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है.

Last Updated : Sep 20, 2023, 10:44 PM IST
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