धमतरी: वनग्राम दुगली की लड़कियों ने 10 साल पहले एक स्व-सहायता समूह बनाकर वनोपज प्रोडक्ट तैयार करने की पहल की थी. 10 साल पहले की यह पहल आज प्रदेश में एक ब्रांड का रूप ले चुकी है. लड़कियों ने अपनी सूझ-बूझ, हौसले और मेहनत से वनोपज प्रोडक्ट से जुड़ा दुगली ब्रांड खड़ा कर दिया है. इस समूह का नाम जागृति स्व-सहायता समूह है. आज समूह हर साल लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहा है. ग्रामीण इलाकों में रोजगार पैदा कर रहा है.
2009-10 में 10 लड़कियों ने वन विभाग की मदद से 10 लाख का कर्ज लेकर कारोबार शुरू किया था. समूह हर साल 4 लाख तक मुनाफा कमा रहा है. आज दुगली में प्रदेश का एकमात्र तीखुर प्रोसेसिंग केंद्र स्थापित है. यहां से तैयार हुई तीखुर की मार्केट में मांग भी है. वन विभाग इस समूह की हर संभव मदद करने का प्रयास कर रहा है. नए प्रशिक्षण से लेकर उत्पादों की सप्लाई विभाग की देखरेख में हो रही है.
ये उत्पाद हो रहे तैयार
वनोपज से स्व-सहायता समूह बड़ी मात्रा में उत्पाद तैयार कर रहा है. आज बाजार में दुगली ब्रांड का शहद, आंवला, एलोवेरा, दोना-पत्तल, आवला कैंडी, बैचांदी, तीखुर उपलब्ध हैं. इन उत्पादों को प्रदेश के कई जिलों में सप्लाई किया जाता है. प्रोडक्ट की गुणवत्ता को इस तरह मेंटेन किया गया है कि लोग दुगली आकर भी सामान खरीदते हैं.
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तीखुर का एकमात्र प्रोसेसिंग केंद्र
जागृति स्व-सहायता समूह ने तीखुर तैयार करने पर विशेष ध्यान दिया. छत्तीसगढ़ में सरकार की मदद से पहला तीखुर प्रोसेसिंग केंद्र भी यहां स्थापित किया गया. समूह तीखुर के उत्पाद विशेष रूप से तैयार कर रहा है. यहां से तैयार किए गए तीखुर 1 हजार रुपए प्रति किलो के भाव पर बिक रहे हैं. फिलहाल 500 क्विंटल तीखुर का संग्रहण भी किया गया है.
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रोजगार की पहल
10 साल पहले शुरू हुए इस जागृति स्व-सहायता समूह ने पूरे दुगली इलाके में रोजगार का एक चैनल खड़ा कर दिया है. फिलहाल 40 से 50 महिलाओं को यहां रोजगार मिल रहा है. महिलाओं को रोज 200 से 250 रुपए का भुगतान भी किया जा रहा है. आने वाले दिनों में 100 महिलाओं को रोजगार देने की योजना है. इसके अलावा समूह वनोपज की खरीदी भी करता है. जिससे ग्रामीण स्तर पर रोजगार पैदा हो रहा है. जागृति स्व सहायता समूह ने इस साल कई वनोपज की खरीदी समर्थन मूल्य में किया है. जिससे ग्रामीणों को काफी फायदा पहुंचा है.