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'किसानों का मित्र' बना महिलाओं का सहारा, खाद बनाकर कमा रही मुनाफा

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Published : Mar 16, 2021, 6:37 PM IST

Updated : Mar 16, 2021, 8:53 PM IST

धमतरी के गातापार में गोधन न्याय योजना महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है. स्व-सहायता समूह की महिलाएं केचुए की खेती और जैविक खाद बनाकर मुनाफा कमा रहीं हैं.

womens getting profit by making organic fertilizer
आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं

धमतरी: गातापार की मजदूर महिलाओं ने केचुओं की खेती से अपनी तकदीर बदल डाली है. 8 महिलाओं का ये कामधेनु महिला कृषक अभिरूचि समूह, अब तक 5 लाख से ज्यादा केचुआ और वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार कर बेच चुका है. कभी कम आमदनी कमाने वाली समूह की हर महिला अब 4 हजार रुपये हर महीने कमा रही है. महिला समूह केचुओं को 220 रुपये में बेच रही है. धमतरी के अलावा बालोद, सुकमा और बीजापुर से भी इन केचुओं की डिमांड आ रही है.

आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं

8 महिलाओं ने मिलकर 2019 में महिला स्व सहायता समूह नाम से एक संगठन तैयार किया था. कुछ महिने पैसे के अभाव में वे चाहकर कोई कारोबार नहीं कर पा रहीं थी. लेकिन गांव में जब से गौठान बना तो इससे जुड़कर 5 महीने पहले उन्होंने वहां खरीदे गए गोबर से समूह के जरिए केचुआ और वर्मी खाद का निर्माण शुरू किया. पहले समूह 107 क्विंटल खाद का उत्पादन कर रहा था. इसे 8 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा था. जब भूपेश सरकार ने गोधन न्याय योजना की शुरूआत की तब सरकार ने इसकी कीमत तय की. अब 10 रुपये की दर से समूह की महिलाएं खाद बेच रही हैं.

220 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा केचुआ

खाद ब्रिकी के ढाई महीने बाद केचुए का उत्पादन शुरू हुआ. तब महिलाओं को इसमें नए कारोबार की उम्मीद दिखी. गौठान की महिलाओं ने खुद केचुआ बेचने का फैसला लिया. महिला समूह ने 220 रुपये किलो के हिसाब से अब तक 24 क्विंटल केचुआ बेचा है. जिससे महिला समूह को 4 लाख 15 हजार रुपये की आमदनी हुई है. इसके अलावा महिलाओं ने 1 लाख 60 रुपये की वर्मी खाद भी बेची है.

गोधन से चलेगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था: अंबिकापुर का एम्पोरियम बना उदाहरण

2 रुपये किलो में गोबर खरीद रही सरकार

छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया है जहां गोधन न्याय योजना से सरकार 2 रुपये किलो में गोबर खरीद रही है. सरकार ने हरेली त्यौहार के दिन इस योजना की शुरूआत की थी. जहां 2 रुपये किलो में पशुपालकों से गोबर की खरीदी की जा रही है. इसके पीछे सरकार का मकसद पशुपालन को बढ़ावा देना और कृषि लागत में कमी लाने के साथ जमीन की उर्वरक शक्ति में वृद्धि करना है.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना लक्ष्य

गोधन न्याय योजना से पर्यावरण में सुधार के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी बड़े बदलाव की उम्मीद है. इस योजना से बड़े पैमाने पर शहर और गांव में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. योजना के तहत राज्य में 5 हजार गौठान स्वीकृत किए जा चुके हैं. जिनमें 2 हजार 785 में गोधन न्याय योजना की शुरुआत की गई है. राज्य सरकार चरणबद्ध तरीके से गौठानों का विस्तार कर रही है.

किसानों को हो रहा फायदा

प्रदेश की सभी 11 हजार 630 ग्राम पंचायतों और सभी 20 हजार गांवों में गौठान निर्माण का लक्ष्य रखा है. निर्माण पूरा होने के बाद वहां भी गोधन न्याय योजना के तहत गोबर की खरीदी की जाएगी. गौठानों में जैविक खाद तैयार की जा रही है. जिसे सरकारी संस्थाएं 8 रुपये किलो के भाव से खरीद रही है. गोबर से बने जैविक खाद को किसान अब अपने खेतों में डालने में लगे हैं. किसानों का कहना है कि पहले रासायनिक खाद डालने से जमीन की उर्वरक क्षमता कम हो रही थी. अब जैविक खाद डालने से उर्वरक क्षमता बढ़ने लगी है. किसान 10 रुपये किलो के हिसाब से गौठन से खाद लेकर खेतों में डाल रहे हैं.

धमतरी: गातापार की मजदूर महिलाओं ने केचुओं की खेती से अपनी तकदीर बदल डाली है. 8 महिलाओं का ये कामधेनु महिला कृषक अभिरूचि समूह, अब तक 5 लाख से ज्यादा केचुआ और वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार कर बेच चुका है. कभी कम आमदनी कमाने वाली समूह की हर महिला अब 4 हजार रुपये हर महीने कमा रही है. महिला समूह केचुओं को 220 रुपये में बेच रही है. धमतरी के अलावा बालोद, सुकमा और बीजापुर से भी इन केचुओं की डिमांड आ रही है.

आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं

8 महिलाओं ने मिलकर 2019 में महिला स्व सहायता समूह नाम से एक संगठन तैयार किया था. कुछ महिने पैसे के अभाव में वे चाहकर कोई कारोबार नहीं कर पा रहीं थी. लेकिन गांव में जब से गौठान बना तो इससे जुड़कर 5 महीने पहले उन्होंने वहां खरीदे गए गोबर से समूह के जरिए केचुआ और वर्मी खाद का निर्माण शुरू किया. पहले समूह 107 क्विंटल खाद का उत्पादन कर रहा था. इसे 8 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा था. जब भूपेश सरकार ने गोधन न्याय योजना की शुरूआत की तब सरकार ने इसकी कीमत तय की. अब 10 रुपये की दर से समूह की महिलाएं खाद बेच रही हैं.

220 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा केचुआ

खाद ब्रिकी के ढाई महीने बाद केचुए का उत्पादन शुरू हुआ. तब महिलाओं को इसमें नए कारोबार की उम्मीद दिखी. गौठान की महिलाओं ने खुद केचुआ बेचने का फैसला लिया. महिला समूह ने 220 रुपये किलो के हिसाब से अब तक 24 क्विंटल केचुआ बेचा है. जिससे महिला समूह को 4 लाख 15 हजार रुपये की आमदनी हुई है. इसके अलावा महिलाओं ने 1 लाख 60 रुपये की वर्मी खाद भी बेची है.

गोधन से चलेगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था: अंबिकापुर का एम्पोरियम बना उदाहरण

2 रुपये किलो में गोबर खरीद रही सरकार

छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया है जहां गोधन न्याय योजना से सरकार 2 रुपये किलो में गोबर खरीद रही है. सरकार ने हरेली त्यौहार के दिन इस योजना की शुरूआत की थी. जहां 2 रुपये किलो में पशुपालकों से गोबर की खरीदी की जा रही है. इसके पीछे सरकार का मकसद पशुपालन को बढ़ावा देना और कृषि लागत में कमी लाने के साथ जमीन की उर्वरक शक्ति में वृद्धि करना है.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना लक्ष्य

गोधन न्याय योजना से पर्यावरण में सुधार के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी बड़े बदलाव की उम्मीद है. इस योजना से बड़े पैमाने पर शहर और गांव में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. योजना के तहत राज्य में 5 हजार गौठान स्वीकृत किए जा चुके हैं. जिनमें 2 हजार 785 में गोधन न्याय योजना की शुरुआत की गई है. राज्य सरकार चरणबद्ध तरीके से गौठानों का विस्तार कर रही है.

किसानों को हो रहा फायदा

प्रदेश की सभी 11 हजार 630 ग्राम पंचायतों और सभी 20 हजार गांवों में गौठान निर्माण का लक्ष्य रखा है. निर्माण पूरा होने के बाद वहां भी गोधन न्याय योजना के तहत गोबर की खरीदी की जाएगी. गौठानों में जैविक खाद तैयार की जा रही है. जिसे सरकारी संस्थाएं 8 रुपये किलो के भाव से खरीद रही है. गोबर से बने जैविक खाद को किसान अब अपने खेतों में डालने में लगे हैं. किसानों का कहना है कि पहले रासायनिक खाद डालने से जमीन की उर्वरक क्षमता कम हो रही थी. अब जैविक खाद डालने से उर्वरक क्षमता बढ़ने लगी है. किसान 10 रुपये किलो के हिसाब से गौठन से खाद लेकर खेतों में डाल रहे हैं.

Last Updated : Mar 16, 2021, 8:53 PM IST
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