धमतरीः गंगरेल बांध से सिंचाई के लिए करीब 19 टीएमसी पानी छोड़े जाने के बाद अब यह डेड स्टोरेज की ओर तेजी से बढ़ता जा रहा है. मौजूदा वक्त में यहां केवल 14 प्रतिशत पानी ही उपयोग के लिए बचा है. बांध की वर्तमान स्टोरेज 9 टीएमसी है, वहीं इसका डेड स्टोरेज 5 टीएमसी है.
पानी के गिरते जलस्तर ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. मानसून आने में अभी डेढ़ महीना बाकी है, लेकिन रविशंकर जलाशय परियोजना में महज 9 टीएमसी पानी बचा है. इस पानी से ही रायपुर, भिलाई के साथ धमतरी जिले की जरूरतों को पूरा करना है. हालांकि सरकारी महकमे के अफसर इस बारे में आश्वस्त हैं.
सिंचाई के लिए दिया जा रहा पानी
गनीमत है कि 4 टीएमसी पानी वाले मुरुमसिल्ली बांध को ऐसे ही आपातकालीन हालातों के लिए सुरक्षित रखा जाता है. यहां से करीब 2.50 टीएमसी पानी लाने की तैयारी है. फिलहाल 1300 क्यूसेक पानी सिंचाई के लिए दिया जा रहा था, लेकिन हालात को देखते हुए प्रशासन ने खोले गए नहर के गेटों को बंद कर दिया है.
जीवनदायिनी है गंगरेल बांध
इस साल जब गंगरेल तीन बार लबालब भरा तो तीनों बार पानी छोड़ा गया. मौजूदा वक्त में गंगरेल में अब केवल पीने के लिए पानी बाकी रह गया है. इसलिए सिंचाई के लिए पानी देना बंद कर दिया गया है. बता दें कि धमतरी सहित बलौदाबाजार, बालोद, रायपुर भाटापारा और दुर्ग के लिए गंगरेल बांध जीवनदायिनी है.