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धमतरी में गहराया जल संकट, डेड स्टोरेज की ओर बढ़ रहा गंगरेल बांध - WATER PROBLEM

पानी के गिरते जलस्तर ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. मानसून आने में अभी डेढ़ महीना बाकी है, लेकिन रविशंकर जलाशय परियोजना में महज 9 टीएमसी पानी बचा है.

गंगरेल बांध
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Published : May 22, 2019, 12:19 PM IST

Updated : May 22, 2019, 1:57 PM IST

धमतरीः गंगरेल बांध से सिंचाई के लिए करीब 19 टीएमसी पानी छोड़े जाने के बाद अब यह डेड स्टोरेज की ओर तेजी से बढ़ता जा रहा है. मौजूदा वक्त में यहां केवल 14 प्रतिशत पानी ही उपयोग के लिए बचा है. बांध की वर्तमान स्टोरेज 9 टीएमसी है, वहीं इसका डेड स्टोरेज 5 टीएमसी है.

धमतरी में गहराया जल संकट, डेड स्टोरेज की ओर बढ़ रहा गंगरेल बांध

पानी के गिरते जलस्तर ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. मानसून आने में अभी डेढ़ महीना बाकी है, लेकिन रविशंकर जलाशय परियोजना में महज 9 टीएमसी पानी बचा है. इस पानी से ही रायपुर, भिलाई के साथ धमतरी जिले की जरूरतों को पूरा करना है. हालांकि सरकारी महकमे के अफसर इस बारे में आश्वस्त हैं.

सिंचाई के लिए दिया जा रहा पानी

गनीमत है कि 4 टीएमसी पानी वाले मुरुमसिल्ली बांध को ऐसे ही आपातकालीन हालातों के लिए सुरक्षित रखा जाता है. यहां से करीब 2.50 टीएमसी पानी लाने की तैयारी है. फिलहाल 1300 क्यूसेक पानी सिंचाई के लिए दिया जा रहा था, लेकिन हालात को देखते हुए प्रशासन ने खोले गए नहर के गेटों को बंद कर दिया है.

जीवनदायिनी है गंगरेल बांध
इस साल जब गंगरेल तीन बार लबालब भरा तो तीनों बार पानी छोड़ा गया. मौजूदा वक्त में गंगरेल में अब केवल पीने के लिए पानी बाकी रह गया है. इसलिए सिंचाई के लिए पानी देना बंद कर दिया गया है. बता दें कि धमतरी सहित बलौदाबाजार, बालोद, रायपुर भाटापारा और दुर्ग के लिए गंगरेल बांध जीवनदायिनी है.

धमतरीः गंगरेल बांध से सिंचाई के लिए करीब 19 टीएमसी पानी छोड़े जाने के बाद अब यह डेड स्टोरेज की ओर तेजी से बढ़ता जा रहा है. मौजूदा वक्त में यहां केवल 14 प्रतिशत पानी ही उपयोग के लिए बचा है. बांध की वर्तमान स्टोरेज 9 टीएमसी है, वहीं इसका डेड स्टोरेज 5 टीएमसी है.

धमतरी में गहराया जल संकट, डेड स्टोरेज की ओर बढ़ रहा गंगरेल बांध

पानी के गिरते जलस्तर ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. मानसून आने में अभी डेढ़ महीना बाकी है, लेकिन रविशंकर जलाशय परियोजना में महज 9 टीएमसी पानी बचा है. इस पानी से ही रायपुर, भिलाई के साथ धमतरी जिले की जरूरतों को पूरा करना है. हालांकि सरकारी महकमे के अफसर इस बारे में आश्वस्त हैं.

सिंचाई के लिए दिया जा रहा पानी

गनीमत है कि 4 टीएमसी पानी वाले मुरुमसिल्ली बांध को ऐसे ही आपातकालीन हालातों के लिए सुरक्षित रखा जाता है. यहां से करीब 2.50 टीएमसी पानी लाने की तैयारी है. फिलहाल 1300 क्यूसेक पानी सिंचाई के लिए दिया जा रहा था, लेकिन हालात को देखते हुए प्रशासन ने खोले गए नहर के गेटों को बंद कर दिया है.

जीवनदायिनी है गंगरेल बांध
इस साल जब गंगरेल तीन बार लबालब भरा तो तीनों बार पानी छोड़ा गया. मौजूदा वक्त में गंगरेल में अब केवल पीने के लिए पानी बाकी रह गया है. इसलिए सिंचाई के लिए पानी देना बंद कर दिया गया है. बता दें कि धमतरी सहित बलौदाबाजार, बालोद, रायपुर भाटापारा और दुर्ग के लिए गंगरेल बांध जीवनदायिनी है.

Intro:गंगरेल बांध से सिंचाई के लिए करीब 19 टीएमसी पानी छोड़े जाने के बाद अब यह डेड स्टोरेज की ओर तेजी से बढ़ रहा है मौजूदा वक्त में यहां केवल 14 प्रतिशत पानी यानी 4 टीएमसी ही पानी उपयोगी के लिए बचा है.जबकि गंगरेल बांध की वर्तमान स्टोरेज 9 टीएमसी है और इसका डेड स्टोरेज 5 टीएमसी है यानी कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इतने पानी का उपयोग किया ही नही जा सकता.


Body:पारा के ऊपर चढ़ने और बांधों में लगातार नीचे आते पानी के लेबल ने धमतरी के लोगों के माथे पर सिलवटें ला दिया है जबकि मानसून आने में अभी डेढ़ माह का समय बाकी है लेकिन हालिया तस्वीर में रविशंकर जलाशय परियोजना में महज 9 टीएमसी पानी बाकी रह गया है जिससे रायपुर,भिलाई के साथ धमतरी जिले की जरूरतों को पूरी करने है.हालांकि सरकारी महकमे के अफसर इस बारे में आस्वत है.वही अगर मानसून धोखा देते हैं तो हालत गंभीर होने से इनकार भी नहीं किया जा सकता है.

चिलचिलाती गर्मी के मौसम में दिगर जगहों की तरह बांधों का शहर कहे जाने वाले धमतरी में भी इन दिनों आसमान से आग बरस रहा है जिसके चलते तालाब पोखर तो सूख ही गए हैं अब बांधों के पेट भी खाली होने लगा है.रविशंकर सागर परियोजना के ये वो जलाशय है जिसके पानी से इस्पात नगरी भिलाई की भट्टी ठंडी होती है वही राजधानी रायपुर के बाशिंदों का गला तर होता है यही नहीं धमतरी जिले की खेती और आमलोगों की जरूरतों के लिए महज इसी पानी का आसरा रहता है.

दरअसल हर साल इस साल बारिश में 32 टीएमसी वाला गंगरेल तीन बार भरा इसके बाद भी यह स्थिति बनी हुई है.गनीमत है कि मुरुमसिल्ली बांध ऐसे ही हालातों के लिए सुरक्षित रखा जाता है और वहां करीब 4 टीएमसी पानी है.वहां से करीब 2.50 टीएमसी पानी लाने की तैयारी है लेकिन फिलहाल 1300 क्यूसेक पानी सिंचाई के लिए दिया जा रहा था लेकिन हालात को देखते हुए प्रशासन ने खोले गए नहर गेटों को बंद कर दिया है.

इस साल जब गंगरेल तीन बार लबालब भरा तो तीनों बार पानी छोड़ा गया.करीब 21 टीएमसी ने महानदी में बेकार बहाना पड़ा इतना पानी तो रायपुर 10 साल के लिए पर्याप्त है भिलाई स्टील प्लांट को साल में 2.50 और रायपुर को करीब 2.71 और धमतरी को केवल आधा टीएमसी पानी दिया जाता है.मौजूदा वक्त में गंगरेल में अब केवल पीने के लिए पानी बाकी है इसलिए सिंचाई के लिए पानी देना बंद कर दिया गया है.इसके अलावा मुरूमसिल्ली बांध में 4 टीएमसी पानी है जिसे गंगरेल बांध में लाया जाएगा ताकि तीन जिलों को मानसून आते तक पानी दिया जा सके.गौरतलब है कि धमतरी सहित बलौदाबाजार,बालोद,रायपुर भाटापारा और दुर्ग के लिए गंगरेल बांध जीवनदायिनी है.

बाईट...रजत बंसल,कलेक्टर धमतरी

रामेश्वर मरकाम धमतरी

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Conclusion:
Last Updated : May 22, 2019, 1:57 PM IST
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