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धमतरी निकाय चुनाव में टाइट है फाइट, निर्दलीय निभा सकते हैं किंगमेकर की भूमिका

धमतरी नगर निगम में परिणाम को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के अपने-अपने दावे हैं. राजनीतिक जानकारों के अनुसार इस बार निर्दलीय प्रत्याशियों की भूमिका अहम रहेगी.

urban body election dhamtari
निकाय चुनाव में टाइट है फाइट
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Published : Dec 23, 2019, 5:35 PM IST

Updated : Dec 23, 2019, 6:18 PM IST

धमतरी : 24 दिसंबर को नगरीय निकाय चुनाव के नतीजें आएंगे. मंगलवार को मतगणना होगी इसको लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. मतगणना से पहले राजनीतिक दलों में जीत के दावे प्रतिदावे तेज हो गए हैं.

निर्दलीय प्रत्याशियों की भूमिका अहम

धमतरी नगर के 40 वार्ड में कुल 70 हजार मतदाता हैं.राजनीतिक जानकारों के अनुसार बीजेपी की सीटें पहले से कम हो सकती है. निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत की संख्या भी पहले से कम हो सकती है. वहीं कांग्रेस की सीटें भी बढ़ने के कयास लगाए जा रहे हैं.

ये हैं अनुमान-

⦁ भाजपा की सीटें 24 से घटकर 12 तक पहुंच सकती है
⦁ कांग्रेस की सीटें बढ़ सकती है
⦁ जबकि निर्दलीय की संख्या घटकर 8 तक पहुंच सकती है.
⦁ हांलाकि जिला कांग्रेस ने इस बार 30 प्लस सीटें जीतने का नारा दिया था.
⦁ बीजेपी ने भी 30 सीटों पर जीत का दावा किया है.

दरअसल, निकाय चुनाव में सिर्फ स्थानीय मुद्दे ही हावी है. जिन वार्डों में एक ही जाति या संप्रदाय के कई प्रत्याशी है वहां वोट के बंटने से दूसरे प्रत्याशी को सीधा फायदा पहुंच रहा है. इसी वजह से कई वार्डों में भाजपा को कांग्रेस पर बढ़त मिल रही है.

कुछ वार्डों में कांग्रेस के बड़े नेताओं की आपसी खींचतान के कारण भाजपा को फायदा मिलता दिख रहा है. तो कुछ वार्डों में OBC फैक्टर सामने आ रहा है. इन सभी समीकरण को देखते हुए बीजेपी को पहले के मुकाबले कम सीटें मिलने का अंदाजा लगाया जा रहा है.

निर्दलीय प्रत्याशियों की अहम भूमिका

जानकारों का यह भी कहना है कि किसी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलना मुश्किल नजर आ रहा है. सत्ता की चाबी निर्दलीय प्रत्याशियों की जेब से निकल सकती है.

धमतरी : 24 दिसंबर को नगरीय निकाय चुनाव के नतीजें आएंगे. मंगलवार को मतगणना होगी इसको लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. मतगणना से पहले राजनीतिक दलों में जीत के दावे प्रतिदावे तेज हो गए हैं.

निर्दलीय प्रत्याशियों की भूमिका अहम

धमतरी नगर के 40 वार्ड में कुल 70 हजार मतदाता हैं.राजनीतिक जानकारों के अनुसार बीजेपी की सीटें पहले से कम हो सकती है. निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत की संख्या भी पहले से कम हो सकती है. वहीं कांग्रेस की सीटें भी बढ़ने के कयास लगाए जा रहे हैं.

ये हैं अनुमान-

⦁ भाजपा की सीटें 24 से घटकर 12 तक पहुंच सकती है
⦁ कांग्रेस की सीटें बढ़ सकती है
⦁ जबकि निर्दलीय की संख्या घटकर 8 तक पहुंच सकती है.
⦁ हांलाकि जिला कांग्रेस ने इस बार 30 प्लस सीटें जीतने का नारा दिया था.
⦁ बीजेपी ने भी 30 सीटों पर जीत का दावा किया है.

दरअसल, निकाय चुनाव में सिर्फ स्थानीय मुद्दे ही हावी है. जिन वार्डों में एक ही जाति या संप्रदाय के कई प्रत्याशी है वहां वोट के बंटने से दूसरे प्रत्याशी को सीधा फायदा पहुंच रहा है. इसी वजह से कई वार्डों में भाजपा को कांग्रेस पर बढ़त मिल रही है.

कुछ वार्डों में कांग्रेस के बड़े नेताओं की आपसी खींचतान के कारण भाजपा को फायदा मिलता दिख रहा है. तो कुछ वार्डों में OBC फैक्टर सामने आ रहा है. इन सभी समीकरण को देखते हुए बीजेपी को पहले के मुकाबले कम सीटें मिलने का अंदाजा लगाया जा रहा है.

निर्दलीय प्रत्याशियों की अहम भूमिका

जानकारों का यह भी कहना है कि किसी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलना मुश्किल नजर आ रहा है. सत्ता की चाबी निर्दलीय प्रत्याशियों की जेब से निकल सकती है.

Intro:धमतरी नगरनिगम के सत्ता में 135 साल से दूर कांग्रेस इस बार सिंहासन हथियाने तो वही भाजपा इतिहास बरकरार रखने का दावा कर रही है लेकिन शहर में मतगणना से पहले ही परिणामों का आंकलन होने लगा है.एक तरफ सियासत के पंडितो के अपने दावे है तो वही भाजपा और कांग्रेस के अपने दावे है.

Body:धमतरी नगर के 40 वार्ड में कुल 70 हजार मतदाता है जो आगामी महापौर सहित 40 पार्षदो के लिये मतदान कर चुके है. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का असर परिणामो पर पड़ेगा या नही.. लेकिन परिणामो के आंकलन पर जरूर पड़ रहा है.भाजपा की सीटें पहले से कम होती दिखाई दे रही है वही निर्दलियो की संख्या भी पहले से कम हो सकती है.कांग्रेस की सीटें भी बढ़ने के कयास है लोगों और जानकारो से बातचीत के आधार पर निकल कर आ रही है कि भाजपा की सीटें 24 से कम होकर 21-22 तक हो सकती है वहीं कांग्रेस की सीटें 8 से बढ़ कर 12 -13 तक पहुंच सकती है जबकि निर्दलीय 8 से कम होकर 4 - 5 ही रहने के आसार हैं.हांलाकि जिला कांग्रेस ने इस बार 30 प्लस सीटें जीतने का नारा दिया था और 30 सीटे जीतेगें भी इधर भाजपा नेता मानते है कि इस बार पहले से भी ज्यादा वार्ड में कमल खिलेगा.

दरअसल वार्डो के चुनाव में सिर्फ स्थानीय मुद्दे ही हावी है.प्रत्याशी उसकी पार्टी और चेहरा.ये बाते काफी मायने रखती है जिन वार्डो में एक ही जाति या संप्रदाय के कई प्रत्याशी है वहां वोटो के बंटने से दूसरे प्रत्याशी को सीधा फायदा पहुंच रहा है इसी तरह के फायदे के कारण कई वार्डो में भाजपा को कांग्रेस पर बढ़त मिल रही है.कुछ वार्डो में कांग्रेस के बड़े नेताओ की आपसी खीचतान के कारण भाजपा को फायदा मिलता दिख रहा है तो कुछ वार्डो में ओबीसी के लिये आरक्षित महापौर की सीट पर एक समाज के लोग अपने समाज का चेहरा देखना चाहते है और इसी लिये भाजपा को वोट दिया गया है इस तरह से कई समीकरणो के चलते भाजपा को पहले से कम सीट ही सही लेकिन फिर भी सत्ता के करीब पहुंचा रही है लेकिन कुछ जानकारो की गणित कहती है कि न भाजपा को न कांग्रेस को ही स्पष्ट बहुमत मिलेगा.


Conclusion:बहरहाल क्या भाजपा के दावे सही होंगे या कांग्रेस के दावे,क्या सत्ता की चाबी निर्दलीयो के जेब से निकलेगी ये देखना दिलचस्प होगा.

बाईट_01 विजय गोलछा,जिला महामंत्री कांग्रेस(चेक स्वेटर में)
बाईट_02 शशि पवार, जिलाध्यक्ष भाजपा(सोफ़े में बैठे हुए)
बाईट_03 सुधीर गुप्ता,राजनैतिक विशेषज्ञ(काला चश्मा पहने हुए)
बाईट_04 रंजीत छाबड़ा, राजनैतिक विशेषज्ञ(पगड़ी में)

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी


Last Updated : Dec 23, 2019, 6:18 PM IST
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