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धमतरी: आदिवासी समाज ने धूमधाम से मनाया नवाखाई त्योहार - etv bharat news

विजयादशमी पर आदिवासी समाज में नवाखाई पर्व मनाई जाती है. इस पर्व में आदिवासी समाज के लोग नए-नए कपड़े पहनकर अपने इष्ट देव की पूजा करते हैं और नए चावल और दूध का भोग लगाता हैं.

आदिवासी समाज ने मनाया नवाखाई त्योहार
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Published : Oct 8, 2019, 6:56 PM IST

धमतरी: छत्तीसगढ़ के आदिवासी विशेष रूप से अपने संस्कृति और परंपरा के लिए जाने जाते हैं. आदिवासियों की एक परंपरा है नवाखाई, जिसे आदिवासियों के के साथ दिगर समाज के लोग भी मनाते हैं. नवाखाई परंपरा आदिवासियों की मुख्य त्योहार माना जाता है. इस दिन आदिवासी समाज के लोग नए कपड़े पहनकर अपने इष्ट देव की पूजा करते हैं, वहीं नए फसल आने पर उन्हें भेंट के साथ नए चावल और दूध का भोग लगाकर सुख समृद्धि की कामना करते हैं.

आदिवासी समाज ने मनाया नवाखाई त्योहार

धमतरी के मुजगहन गांव में नवाखाई की अपनी एक अलग ही परंपरा है. यहां दशहरे के दिन सभी आदिवासी परिवार एक जगह एकत्र होते हैं और अपने इष्टदेव की पूजा कर उन्हें चावल का भोग लगाते हैं.

इस दौरान आदिवासी परिवार ठाकुर देव और बुढ़ादेव मंदिर में पूजा करते हैं. वहीं एक दूसरे को गुलाल लगाकर बधाई भी देते हैं. घर पहुंचने पर महिलाएं पुरुषों का स्वागत करती है और घर में अपने कुल देवी देवताओं की पूजा कर सभी नए अन्न ग्रहण करते हैं.

धमतरी: छत्तीसगढ़ के आदिवासी विशेष रूप से अपने संस्कृति और परंपरा के लिए जाने जाते हैं. आदिवासियों की एक परंपरा है नवाखाई, जिसे आदिवासियों के के साथ दिगर समाज के लोग भी मनाते हैं. नवाखाई परंपरा आदिवासियों की मुख्य त्योहार माना जाता है. इस दिन आदिवासी समाज के लोग नए कपड़े पहनकर अपने इष्ट देव की पूजा करते हैं, वहीं नए फसल आने पर उन्हें भेंट के साथ नए चावल और दूध का भोग लगाकर सुख समृद्धि की कामना करते हैं.

आदिवासी समाज ने मनाया नवाखाई त्योहार

धमतरी के मुजगहन गांव में नवाखाई की अपनी एक अलग ही परंपरा है. यहां दशहरे के दिन सभी आदिवासी परिवार एक जगह एकत्र होते हैं और अपने इष्टदेव की पूजा कर उन्हें चावल का भोग लगाते हैं.

इस दौरान आदिवासी परिवार ठाकुर देव और बुढ़ादेव मंदिर में पूजा करते हैं. वहीं एक दूसरे को गुलाल लगाकर बधाई भी देते हैं. घर पहुंचने पर महिलाएं पुरुषों का स्वागत करती है और घर में अपने कुल देवी देवताओं की पूजा कर सभी नए अन्न ग्रहण करते हैं.

Intro:आदिवासी अपने संस्कृति और परम्पराओ के जाने जाते है.इनकी यही परम्परा इन्हें प्रकृति से भी जोड़े रखती है.आदिवासियों की इन्ही परम्पराओ में से एक है नवाखाई का पर्व.अमूमन नवाखाई का पर्व आदिवासियों के आलावा दिगर समाजो में भी मनाया जाता है लेकिन नवाखाई परम्परा की आदिवासियों की मुख्य त्यौहारों में से एक है.इस दिन आदिवासी समाज के लोग नए कपड़े पहनकर अपने इष्ट देव की पूजा करते है वही नए फसल आने पर उन्हें भेंट के साथ नए चावल सहित दूध का भोग लगाकर सुख समृद्धि की कामना करते है.

Body:धमतरी जिले के मुजगहन गांव में नवाखाई का पर्व मनाने की अपनी एक अलग परंपरा है यहां दशहरे के दिन सभी आदिवासी परिवार एक जगह एकत्र होते हैं और अपने इष्टदेव की पूजा कर उन्हें चावल का भोग समर्पित करते है.इस दौरान आदिवासी परिवार ठाकुर देव और बुढादेव मंदिर में पूजा करते है.वही एक दूसरे को गुलाल लगाकर पर बधाई देते है और छोटे बड़ों का आशीर्वाद लेते है.घर पहुँचने पर महिलाएं पुरुषों का स्वागत सत्कार करती है और घर मे अपने कुल देवी देवताओं की पूजा कर सभी नए अन्न ग्रहण करते है.

Conclusion:बहरहाल आदिवासी परिवारों की माने तो यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और पूर्वजों की इस परंपरा को वे आज भी निर्वहन कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे.

बाईट_01 परसराम ध्रुव,समाज प्रमुख
बाईट_02 सीताराम ध्रुव,स्थानीय

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी
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