धमतरी: अनूठे रीति-रिवाज और परंपराओं के लिए जाना जाने वाले छत्तीसगढ़ में सनातन काल से कई मान्यताएं और परंपरा चली आ रही है. इनमें से कुछ प्राचीन मान्यताएं और आस्था आज भी विद्यमान है. एक ऐसी ही मान्यता धमतरी जिले के मगरलोड इलाके में है. जहां के एक तालाब के पानी को पवित्र मान न तो महिलाएं स्नान करने जाती हैं और न ही तालाब के पानी का इस्तेमात गांव वाले शौच जाने के लिए करते हैं. इस तालाब के पानी को गांव वाले गांगा के पानी की तरह पूजते हैं. मगरलोड ब्लॉक के नारधा गांव में बनवास कुंवर मंदिर के पास पैरी नदी के पावन तट पर यह तालाब स्थित है.
तालाब और मंदिर की मान्यता
लोग बताते हैं कि यह तालाब और मंदिर बहुत ही ऐतिहासिक और रहस्यमय है. इस तालाब का निर्माण मालगुजारी शासन काल में कराया गया था. लोगों की मानें तो यह तालाब करीब 165 साल पुराना है. कहा जाता है कि एक समय यहां कोई बालब्रम्हाचारी तपस्वी ने इसी जगह पर तपस्या की थी. इस तपस्या स्थल को मालगुजारों ने सहजने का प्रयास किया और 165 साल पूर्व तपस्वी के बालब्रम्हाचारी के स्वरूपानुसार बनवास कुंवर नाम सें मुर्ति स्थापित कर दी. इसके बाद उनकी याद में मंदिर का निर्माण कराया गया.
केवल पुरुषों को इजाजत
बनवास कुंवर तालाब के प्रति आस्था और विश्वास रखने वाले ग्रामीणों का आज भी कहना है कि इस तालाब में कोई भी मासिक धर्म प्रारंभ हो चुकी युवती या महिलाएं स्नान नहीं करती हैं. इस तालाब में केवल पुरुष ही स्नान करते हैं. तालाब में किसी भी प्रकार की गंदगी नहीं की फैलाई जाती है. यहां तक की शौच के लिए भी इसके पानी का उपयोग नहीं किया जाता है.
मन्नत भी होती है पूरी
ग्रामीणों के अनुसार लोग अगर जानबुझकर तालाब में शौच या उसे अशुद्ध करने का प्रयास करते हैं, तो उन्हें दुष्परिणाम भुगतना पड़ता है. तालाब में कोई भी काम पूजा अर्चना के बाद ही प्रारंभ किया जाता है. लोगों का मामना है कि यहां जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी मुरादें पूरी होती है.