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नई नीति के बाद महंगी हो सकती है रेत, आसान नहीं है राह

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Published : Aug 21, 2019, 5:11 PM IST

धमतरी के रेत खदानों की नीलोमी की तैयारी शुरू हो गई है. इसके लिए सरकार नई नीति के जरिए रेत खदानों का क्लस्टर बनाकर नीलामी होगा. नई नीति के मुताबिक रेत के कीमतों में बढ़ोतरी होने की संभावना है.

रेत पहले से ज्यादा महंगी होने की संभावना

धमतरी: नई नीति के मुताबिक रेत खदानों की नीलामी के लिये तैयारी शुरू हो गई है. लेकिन नई गौण खनिज नीति की नई व्यवस्था को जमीन पर लागू करने के लिये प्रशासन के पास न पर्याप्त संसाधन है न ही स्टाफ. इस नई व्यवस्था में रेत पर तीन तरह के टैक्स लगने से रेत और महंगी होने के आसार हैं.

रेत खदानों की नीलोमी की तैयारी शुरू

धमतरी से निकलने वाली महानदी के घाटों पर रेत का अकूत भंडार है. जहां से लगातार साल भर रेत का वैध, अवैध उत्खनन और परिवहन जारी रहता है. छत्तीसगढ़ सरकार की नई नीति के बाद अब रेत खदानों का क्लस्टर बनाकर नीलामी की जानी है. इसकी तैयारी धमतरी में शुरू हो गई है.

  • नई व्यवस्था में रेत उत्खनन और परिवहन पर कड़ी निगरानी सबसे बड़ी चुनौती रहेगी, जिससे किसी भी तरह की चोरी पर पूरी तरह से लगाम लगाई जा सके. निगरानी के लिए खनिज निरीक्षक के साथ खदानों पर सीसीटीवी कैमरों की जरूरत पड़ेगी. साथ ही जांच नाका भी जरूरी होगा लेकिन धमतरी खनिज विभाग में न तो पर्याप्त खनिज निरीक्षक हैं और न स्टाफ और सीसीटीवी की तो बात ही छोड़िये. अगर इन कमियों को पूरा करना है तो एक बड़ा प्रशिक्षित स्टाफ भर्ती करना जरूरी होगा.
  • जिले भर के खदानो में सीसीटीवी लगवाने में बड़ी राशि की जरूरत पड़ेगी, जिसकी अभी चर्चा तक नहीं हो रही है. इन हालातो में नई नीति को जमीन पर उतारना बड़ी मुश्किल से कम नहीं है.
  • जहां तक रेत सस्ती होने की बात है वो शायद संभव ही नहीं है. धमतरी में अभी रेत का रेट 50 रुपये प्रति घनमीटर है. एक ट्रैक्टर रेत की कीमत है अभी 800 रुपये प्रति ट्रेक्टर है. इस 800 में 150 रुपये रेत का दाम पंचायत के खाते में जाता है. 200 रुपए लोडिंग की मजदूरी, 200 रुपये डीजल का खर्च और सप्लायर का मुनाफा 250 रुपये प्रति ट्रिप. इस तरह से ग्राहक को एक ट्रैक्टर रेत 800 रुपये की पड़ती है.
  • अब सरकार की नई नीति के आधार पर हिसाब लगाते हैं. अगर सरकार रिवर्स बीडिंग भी करती है तो भी रेत के दाम 50 रुपये प्रति घनमीटर से कम नहीं हो सकते. इसका मतलब ये कि अभी जितना खर्च है वो तो होगा ही वह पैसा भी इस दाम में जुड़ेगा जो अभी तक नहीं लगता था.
  • मसलन 10 फीसदी डीएमएफ के लिए, साढ़े सात फीसदी पर्यावरण उपकर, साढ़े सात फीसदी अधोसंरचना उपकर और 2 फीसदी टीसीएस लगेगा. ये सारी रकम उपभोक्ता के जेब से निकलेगी और सीधे सरकार के खजाने में जाएगी. इस तरह से नई नीति की वजह से रेत पहले से ज्यादा महंगी होने की संभावना है.

धमतरी: नई नीति के मुताबिक रेत खदानों की नीलामी के लिये तैयारी शुरू हो गई है. लेकिन नई गौण खनिज नीति की नई व्यवस्था को जमीन पर लागू करने के लिये प्रशासन के पास न पर्याप्त संसाधन है न ही स्टाफ. इस नई व्यवस्था में रेत पर तीन तरह के टैक्स लगने से रेत और महंगी होने के आसार हैं.

रेत खदानों की नीलोमी की तैयारी शुरू

धमतरी से निकलने वाली महानदी के घाटों पर रेत का अकूत भंडार है. जहां से लगातार साल भर रेत का वैध, अवैध उत्खनन और परिवहन जारी रहता है. छत्तीसगढ़ सरकार की नई नीति के बाद अब रेत खदानों का क्लस्टर बनाकर नीलामी की जानी है. इसकी तैयारी धमतरी में शुरू हो गई है.

  • नई व्यवस्था में रेत उत्खनन और परिवहन पर कड़ी निगरानी सबसे बड़ी चुनौती रहेगी, जिससे किसी भी तरह की चोरी पर पूरी तरह से लगाम लगाई जा सके. निगरानी के लिए खनिज निरीक्षक के साथ खदानों पर सीसीटीवी कैमरों की जरूरत पड़ेगी. साथ ही जांच नाका भी जरूरी होगा लेकिन धमतरी खनिज विभाग में न तो पर्याप्त खनिज निरीक्षक हैं और न स्टाफ और सीसीटीवी की तो बात ही छोड़िये. अगर इन कमियों को पूरा करना है तो एक बड़ा प्रशिक्षित स्टाफ भर्ती करना जरूरी होगा.
  • जिले भर के खदानो में सीसीटीवी लगवाने में बड़ी राशि की जरूरत पड़ेगी, जिसकी अभी चर्चा तक नहीं हो रही है. इन हालातो में नई नीति को जमीन पर उतारना बड़ी मुश्किल से कम नहीं है.
  • जहां तक रेत सस्ती होने की बात है वो शायद संभव ही नहीं है. धमतरी में अभी रेत का रेट 50 रुपये प्रति घनमीटर है. एक ट्रैक्टर रेत की कीमत है अभी 800 रुपये प्रति ट्रेक्टर है. इस 800 में 150 रुपये रेत का दाम पंचायत के खाते में जाता है. 200 रुपए लोडिंग की मजदूरी, 200 रुपये डीजल का खर्च और सप्लायर का मुनाफा 250 रुपये प्रति ट्रिप. इस तरह से ग्राहक को एक ट्रैक्टर रेत 800 रुपये की पड़ती है.
  • अब सरकार की नई नीति के आधार पर हिसाब लगाते हैं. अगर सरकार रिवर्स बीडिंग भी करती है तो भी रेत के दाम 50 रुपये प्रति घनमीटर से कम नहीं हो सकते. इसका मतलब ये कि अभी जितना खर्च है वो तो होगा ही वह पैसा भी इस दाम में जुड़ेगा जो अभी तक नहीं लगता था.
  • मसलन 10 फीसदी डीएमएफ के लिए, साढ़े सात फीसदी पर्यावरण उपकर, साढ़े सात फीसदी अधोसंरचना उपकर और 2 फीसदी टीसीएस लगेगा. ये सारी रकम उपभोक्ता के जेब से निकलेगी और सीधे सरकार के खजाने में जाएगी. इस तरह से नई नीति की वजह से रेत पहले से ज्यादा महंगी होने की संभावना है.
Intro:धमतरी में नई नीति के मुताबिक रेत खदानों की नीलामी के लिये तैयारी शुरू हो गई है लेकिन नई गौण खनिज नीति की नई व्यवस्था को जमीन पर लागू करने के लिये प्रशासन के पास न पर्याप्त संसाधन है न ही स्टाफ.इस नई व्यवस्था में रेत पर तीन तरह के टैक्स लगने से रेत और महंगी होने के आसार है.

Body:धमतरी से निकलने वाली महा नदी के घाटो पर रेत का अकूत भंडार है जहां से लगातार साल भर रेत का वैध अवैध उत्खनन परिवहन जारी रहता है.छत्तीसगढ़ सरकार की नई नीति के बाद अब रेत खदानो का क्लस्टर बनाकर नीलामी की जानी है.इसकी तैयारी धमतरी में शुरू हो गई है नई व्यवस्था में रेत उत्खनन और परिवहन पर कड़ी निगरानी सबसे बड़ी चुनौती रहेगी.ताकि किसी भी तरह की चोरी पर पूरी तरह से लगाम लगाया जा सके.निगरानी के लिये खनिज निरीक्षक के साथ खदानो पर सीसीटीवी कैमरो की जरूरत पड़ेगी.साथ ही जांच नाका भी जरूरी होगा लेकिन धमतरी खनिज विभाग में न तो पर्याप्त खनिज निरीक्षक है न स्टाफ और सीसीटीवी की तो बात ही छोड़िये.अगर इन कमीयों को पूरा करना है तो एक बड़ा प्रशिक्षित स्टाफ भर्ती करना जरूरी होगा.जिले भर के खदानो में सीसीटीवी लगवाने में बड़ी राशि की जरूरत पड़ेगी.जिसकी अभी चर्चा तक नहीं हो रही है.इन हालातो में नई जमीन पर लागू हो पाना असंभव सा है लेकिन प्रशासन को सरकार ने आदेशो का पालन करना ही है लिहाजा औपचारिकता निभाई जा रही है.

जहां तक रेत सस्ती होने की बात है वो शायद संभव ही नहीं है.कैसे जरा इसे से समझते है.धमतरी में अभी रेत का रेट 50 रूपये प्रति घनमीटर है तीन घनमीटर रेत के साथ एक ट्रैक्टर रेत की कीमत है अभी 800 रूपये प्रति ट्रेक्टर है.इस 800 मे 150 रूपये रेत के दाम पंचायत के खाते मे जाता है. 200 रूपय लोडिंग की मजदूरी, 200 रूपये डीजल का खर्च और सप्लायर का मुनाफा 250 रूपये प्रति ट्रिप.इस तरह से ग्राहक को एक ट्रेक्टर रेत 800 रूपये की पड़ती है.अब सरकार की नई नीति के आधार पर हिसाब लगाते है.अगर सरकार रिवर्स बीडिग भी करती है तो भी रेत के दाम 50 रूपये प्रति घनमीटर से कम नहीं हो सकते.इसका मतलब ये कि अभी जितना खर्च है वो तो होगा ही वह पैसा भी इस दाम में जुड़ेगा जो अभी तक नहीं लगता था.मसलन10 फीसदी डीएमएफ के लिये,साढ़े सात फीसदी पर्यावरण उपकर,साढ़े सात फीसदी अधोसंरचना उपकर और 2 फीसदी टीसीएस लगेगा.ये सारी रकम उपभोक्ता के जेब से निकलेगी और सीधे सरकार के खजाने में जाएगी.इस तरह से नई नीति से रेत पहले से और ज्यादा महंगी होने की पूरी संभावना है.वैसे भाजपा सरकार पर बार बार नीति बदलने वाली बात पर चुटकी भी ले रही है साथ ही पंचायतो के हक की भी बात कर रही है.

Conclusion:नई व्यवस्था अगर किसी तरह लागू भी हो जाकी है तो सरकार का खजाना जरूर बढ़ेगा लेकिन रेत के बढ़े हुए दाम का भार तो आखिर में जनता के जेब में ही पड़ना है.

बाईट_1 रजत बंसल, कलेक्टर धमतरी
बाईट_2 कविंद्र जैन, भाजपा प्रवक्ता धमतरी

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी


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